क्या होता है माइक्रोब्लैडिंग ट्रीटमेंट? आइब्रो के लिए कितना फायदेमंद, जानें पूरी डिटेल्स

आईब्रो हमारे चेहरे की खूबसूरत निखारने में अहम रोल अदा करती हैं. आईब्रो को परफेक्ट शेप के लिए महिलाएं सैलून के चक्कर लगाती हैं. लेकिन अब मार्केट में इसके लिए एक ट्रीटमेंट आया है जिसे माइक्रोब्लैडिंग कहते हैं. चलिए जानते हैं ये ट्रीटमेंट क्या है, कैसे काम करता है और कितना फायदेमंद है?

Mar 17, 2025 - 08:41
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क्या होता है माइक्रोब्लैडिंग ट्रीटमेंट? आइब्रो के लिए कितना फायदेमंद, जानें पूरी डिटेल्स
क्या होता है माइक्रोब्लैडिंग ट्रीटमेंट? आइब्रो के लिए कितना फायदेमंद, जानें पूरी डिटेल्स

चेहरे की खूबसूरती में आइब्रो का अहम रोल अदा करती है. घनी, शेप में सही बनी हुई और परफेक्ट आइब्रो फेस कट को उभारने के साथ-साथ आपकी पर्सनालिटी को भी निखारती है. लेकिन अगर आपकी आइब्रो हल्की, कम घनी या असमान है, तो शायद आप इसे बेहतर बनाने के लिए कई ब्यूटी ट्रीटमेंट्स ट्राई करने के बारे में सोच रही होंगी. इन्हीं में से एक बेहद पॉपुलर ट्रीटमेंट है माइक्रोब्लैडिंग.

आजकल कई बॉलीवुड और टीवी सेलेब्स भी इस ट्रीटमेंट को अपनाकर अपनी आइब्रो को परफेक्ट लुक दे रही हैं. लेकिन माइक्रोब्लैडिंग क्या है? ये कैसे की जाती है और क्या ये आपके लिए सही ऑप्शन हो सकता है? आइए इस आर्टिकल आपको इस ट्रीटमेंट के बारे में विस्तार से बताते हैं.

माइक्रोब्लैडिंग ट्रीटमेंट क्या है?

माइक्रोब्लैडिंग एक सेमी-पर्मानेंट टैटू टेक्नीक है, जिसमें आपकी नेचुरल आइब्रो को घना और अट्रैक्टिव दिखाने के लिए पिगमेंट इम्प्लांट किया जाता है. ये ट्रीटमेंट एक खास तरह की फाइन ब्लेड और पिगमेंट का यूज करके किया जाता है, जिससे आइब्रो के बीच छोटे-छोटे हेयर स्ट्रोक्स बनाए जाते हैं. ये बिल्कुल नेचुरल आइब्रो के जैसे दिखते हैं, जिससे आपका लुक आर्टिफिशियल नहीं बल्कि रियल लगता है. माइक्रोब्लैडिंग को उन लोगों के लिए बेस्ट माना जाता है, जिनकी आइब्रो कम घनी है या जो बार-बार आइब्रो पेंसिल या बाकी मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से बचना चाहते हैं.

माइक्रोब्लैडिंग ट्रीटमेंट का प्रोसेस क्या है

ये ट्रीटमेंट करीब 2-3 घंटे का होता है, जिसमें कई स्टेप्स फॉलो किए जाते हैं. इसका पहला स्टेप है कंसल्टेशन यानी आइब्रो को शेप देना. इसमें सबसे पहले ब्यूटी एक्सपर्ट आपकी आइब्रो का शेप, फेस कट और स्किन टोन देखकर परफेक्ट शेप डिसाइड करते हैं. ट्रीटमेंट के दौरान दर्द कम हो, इसके लिए आइब्रो एरिया पर नंबिंग क्रीम लगाई जाती है. इसके बाद आउटलाइन डिजाइन की जाती है, जिसमें स्पेशल पेंसिल से आइब्रो का शेप ड्रॉ किया जाता है, जिससे क्लाइंट को फाइनल लुक का अंदाजा हो जाए.

फिर शुरू होता है माइक्रोब्लैडिंग प्रोसेस. इसमें एक फाइन ब्लेड का इस्तेमाल करके स्किन की ऊपरी परत में हल्की कटिंग की जाती है और उसमें पिगमेंट डाला जाता है. आखिर में हीलिंग प्रोसेस होता है. इसमें ट्रीटमेंट के बाद कुछ दिनों में आइब्रो की स्किन हल्की छिलने लगती है और कुछ हफ्तों में फाइनल रिजल्ट दिखने लगता है.

माइक्रोब्लैडिंग के फायदे

ये ट्रीटमेंट आपकी आइब्रो को परफेक्ट, नेचुरल और डिफाइन्ड लुक देता है. साथ ही सेमी पर्मानेंट होता है. ऐसे में ये मेकअप का झंझट खत्म कर देता है और लगभग 1-2 साल तक रहता है. इसे कराने से पलकें नेचुरल और घनी लगती हैं. तो जो लोग आइब्रो हेयर लॉस से परेशान हैं, उनके लिए ये एक बेहतरीन ऑप्शन है. ये वाटरप्रूफ होता है, जिससे पसीने या बारिश में भी आपकी आइब्रो खराब नहीं होती.

किन लोगों को माइक्रोब्लैडिंग नहीं करानी चाहिए?

जिनकी स्किन बहुत सेंसिटिव हो या जिन्हें जल्दी स्किन एलर्जी होती हो उन्हें ये ट्रीटमेंट लेने से बचना चाहिए. इसके अलावा जो डायबिटीज, स्किन डिजीज या ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर से ग्रसित हैं. जो प्रेग्नेंट या ब्रेस्टफीडिंग कर रही हैं. जिनकी स्किन बहुत ऑयली होती है, उनके लिए रिजल्ट जल्दी फेड हो सकता है.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,