iOS महंगा तो Android सस्ता, क्या है सॉफ्टवेयर का झोलझाल?

iOS vs Android: आईओएस डिवाइसेस अक्सर महंगे क्यों होते हैं? आखिर क्यों एंड्रॉयड बेस्ड डिवाइस आईओएस डिवाइस की तुलना में सस्ते होते हैं. सॉफ्टवेयर से स्मार्टफोन की कीमत पर असर कैसे पड़ता है. इन दोनों सॉफ्टवेयर में कितना अंतर है. इन सब सवालों के जवाब आपको यहां पर मिल जाएंगे.

Mar 26, 2025 - 05:22
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iOS महंगा तो Android सस्ता, क्या है सॉफ्टवेयर का झोलझाल?
iOS महंगा तो Android सस्ता, क्या है सॉफ्टवेयर का झोलझाल?

स्मार्टफोन मार्केट में, मोबाइल की कीमत तय कई कारणों को देखकर होती हैं. लेकिन इसमें सबसे जरूरी फैक्ट सॉफ्टवेयर होता है. स्मार्टफोन का ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) जैसे कि iOS (Apple) और Android (Google) ना सिर्फ डिवाइस की परफॉर्मेंस पर असर डालता है, बल्कि इनकी वजह से फोन की कीमत में भी अंतर आता है. ये अंतर क्यों आता है, और iOS और Android के बीच क्या फर्क हैं, ये समझने के लिए नीचे पढ़ें.

मोबाइल के सॉफ्टवेयर से फोन की कीमत पर फर्क क्यों ?

iOS और Android दोनों के सॉफ्टवेयर में अपने-अपने तरीके से डेवलपमेंट, अपडेट्स और सपोर्ट प्रोसेस होता है. Apple iOS का सॉफ्टवेयर पूरी तरह से Apple के कंट्रोल में रहता है. इसका मतलब है कि Apple को अपडेट्स और नए फीचर्स के लिए पूरे प्रोसेस को कंट्रोल करने का मौका मिलता है.

दूसरी तरफ, Android का सॉफ्टवेयर ओपन-सोर्स होता है. इसमें कई कंपनियां जैसे Samsung, OnePlus, Xiaomi कंपनियां आदि अपने हिसाब से कस्टमाइज कर सकती हैं. इससे Android डिवाइसेज की कीमत में उतार-चढ़ाव हो सकता है. क्योंकि कुछ मन्युफैक्चरर सॉफ्टवेयर को अपनी जरूरत के हिसाब से बदलते हैं और इसमें सुधार करते हैं.

डेवलपमेंट और रिसर्च

iOS सॉफ्टवेयर एपल की देखरेख में डेवलप किया जाता है. इसके लिए भारी रिसर्च और डेवलपमेंट का कॉस्ट होता है. ऐसे में iPhones और बाकी Apple डिवाइसेज की कीमतें भी ज्यादा होती हैं.

Android बेस्ड स्मार्टफोन का डेवलपमेंट कंपनियों द्वारा किया जाता है. इसके लिए ज्यादा कॉस्ट नहीं आता है. इस वजह से एंड्रॉयड स्मार्टफोन की कीमत कम होती है और ये बजट से लेकर प्रीमियम स्मार्टफोन्स तक अवेलेब होते हैं.

सेफ्टी और प्राइवेसी

iOS को Apple के कंट्रोल में सेफ्टी के साथ डिजाइन किया जाता है. इसका मतलब है कि इसके सॉफ्टवेयर को लगातार अपडेट किया जाता है. और इसमें सेफ्टी स्टेंडर्ड हाई होते हैं. जिससे Apple डिवाइसेज की कीमत ज्यादा होती है.

Android में सेफ्टी फीचर्स मजबूत होते हैं. लेकिन ये एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर है. जिसे अलग-अलग कंपनियां कस्टमाइज करती हैं. इस वजह से एंड्रॉयड फोन में सेफ्टी और प्राइवेसी स्टेंडर्ड अलग-अलग हो सकते हैं. जो कीमत पर असर डालते हैं.

कस्टमाइजेशन की सुविधा

एंड्रॉयड स्मार्टफोन यूजर्स को ज्यादा कस्टमाइजेशन की सुविधा देते हैं. आप अपनी होम स्क्रीन, ऐप्स, और सेटिंग्स को अपनी पसंद के हिसाब से बदल सकते हैं. इस कस्टमाइजेशन की वजह से Android डिवाइस ज्यादा आसानी से मिल सकते हैं और किफायती होते हैं.

iOS में कस्टमाइजेशन के ऑप्शन लिमिटेड होते हैं. एपल यूजर्स को एक पहले ये तय किया हुआ इंटरफेस मिलता है. जो ज्यादातर यूजर्स के लिए सही होता है. लेकिन ये ज्यादा कस्टमाइजेशन ऑप्शन नहीं देता. ये लिमिटेड कस्टमाइजेशन और एक बेहतरीन इंटरफेस के साथ आता है. जिसकी वजह से Apple डिवाइसेज की कीमत ज्यादा होती है.

ऐप्स और ऐप स्टोर

iOS: iOS ऐप्स Apple के App Store से डाउनलोड किए जाते हैं. ये कड़े इंस्पेक्शन और सेफ्टी के साथ काम करता है. Apple के ऐप स्टोर पर लिमिटेड ऐप्स अवेलेबल है. लेकिन इनकी क्वालिटी ज्यादा होती है.

Android: एंड्रॉयड ऐप्स गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किए जाते हैं. इस प्लेटफॉर्म पर ऐप्स की एक बड़ी संख्या मिलती है. हालांकि, ऐप्स की क्वालिटी और सेफ्टी स्टेंडर्ड ऊपर-नीचे हो सकते हैं.

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