आज भारत में जो रेलवे है, उसको भारत में कौन लाया

आज भारत में जो रेलवे है, उसको भारत में कौन लाया,

Mar 2, 2025 - 08:08
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आज भारत में जो रेलवे है, उसको भारत में कौन लाया


आपका उत्तर होगा ब्रिटिश.

जी नहीं..ब्रिटिश सिर्फ विक्रेता थे। वास्तव में भारत में रेलवे लाने का स्वपन एक भारतीय जैन का था.

भारतीय गौरव को छिपाने के लिए हमारे देश की पूर्व सरकारों के समय इतिहास से बड़ी एवं गम्भीर छेड़छाड़ की गई।

भारत में रेलवे आरम्भ करने का श्रेय हर कोई अंग्रेजों को देता है, लेकिन श्रीनाना जगन्नाथ शंकर सेठ मुर्कुटे जैन के योगदान और मेहनत के बारे में कदाचित कम ही लोग जानते हैं।

15 सितंबर 1830 को दुनिया की पहली इंटरसिटी ट्रेन इंग्लैंड में लिवरपूल और मैनचेस्टर के बीच चली।
   यह समाचार हर जगह फैल गया। बम्बई में एक व्यक्ती ने सोचा कि उनके शहर में भी ट्रेन चलनी चाहिए।

अमेरिका में अभी रेल चल रही थी और भारत जैसे गरीब और ब्रिटिश शासित देश में रहने वाला यह व्यक्ति रेलवे का स्वप्न देख रहा था। कोई और होता तो जनता उसे ठोकर मारकर बाहर कर देती।

लेकिन यह व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं था। यह थे बंबई के साहूकार श्रीनाना शंकरशेठ जैन। जिन्होंने स्वयं ईस्ट इंडिया कंपनी को ऋण दिया था। है न...आश्चर्यजनक।

श्रीनाना शंकरशेठ का मूल नाम था जगन्नाथ शंकर मुर्कुटे जैन, जो बंबई से लगभग 100 कि. मी. मुरबाड़ से थे। पीढ़ीगत रूप से समृद्ध थे। उनके पिता अंग्रेजों के बड़े नामी साहूकार थे। उन्होंने ब्रिटिश-टीपू सुल्तान युद्ध के समय बहुत धन अर्जित किया था। उनका एक मात्र पुत्र नाना थे। यह बालक मुँह में सोने की चम्मच लेकर पैदा हुए था।

लेकिन धन ही नहीं अपितु ज्ञान और आशीर्वाद का हाथ भी सिर पर था। पिता ने एक विशेष अध्यापक रख कर अपने पुत्र को अंग्रेजी आदि की शिक्षा देने की भी व्यवस्था की थी। अपने पिता की मृत्यु के उपरांत, उन्होंने गृह व्यवसाय का बृहत विस्तार किया।

जब विश्व के अनेक देश अंग्रेजों के सामने नतमस्तक थे, तब ब्रिटिश अधिकारी नाना शंकरशेठ के आशीर्वाद के लिए अपने पैर रगड़ते थे। अनेक अंग्रेज उनके अच्छे मित्र बन गए थे।

बंबई विश्वविद्यालय, एल फिन्स्टन कॉलेज, ग्रांट मेडिकल कॉलेज, लॉ कॉलेज, जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स, बंबई में कन्याओं के लिए पहला विद्यालय व बंबई विश्वविद्यालय नाना द्वारा स्थापित किये गये थे।

श्रीनाना शंकरशेठ जैन ने बंबई में रेलवे प्रारंभ करने का विचार बनाया। वर्ष था 1843, तब वे अपने पिता के मित्र सर जमशेद जी जीजीभाय उर्फ जे जे के पास गए। श्रीनाना के पिता की मृत्यु के उपरांत वे श्रीनाना के लिए पिता तुल्य थे। उन्होंने सर जेजे को अपना विचार बताया। उन्होंने इंग्लैंड से आए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सर थॉमस एर्स्किन पेरी की भी राय ली कि क्या पारले, बंबई में रेलवे का आरंभ किया जा सकता है.?

वे भी इस विचार से चकित थे। इन तीनों ने मिलकर भारत में इंडियन रेलवे एसोसिएशन की स्थापना की।

उस समय ब्रिटिश सरकार का भारत में रेलवे बनाने का कोई विचार नहीं था। लेकिन जब श्री नाना शंकरशेठ, सर जेजे, सर पैरी जैसे लोगों ने कहा कि वे इस कार्य के लिए गंभीरता से इच्छुक हैं, तो उन्हें इस ओर ध्यान देना पड़ा। 13 जुलाई 1844 को कंपनी ने सरकार को एक प्रस्ताव पेश किया।

बंबई से कितनी दूर तक रेल की पटड़ी बिछाई जा सकती है, इस पर प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार करने की आज्ञा दी गई। उसके पश्चात 'बॉम्बे कमेटी' का गठन किया गया। नाना ने कुछ अन्य बड़े अंग्रेज व्यापारियों, अधिकारियों और बैंकरों को एकत्रित किया और ग्रेट इंडियन रेलवे की स्थापना कर दी। जिसे आज भारतीय रेल के नाम से जाना जाता है।

भारत में दिनांक 16 अप्रैल 1853 को मध्यान्ह 3:30 बजे पहली ट्रेन बंबई के बोरीबंदर स्टेशन से ठाणे के लिए चली। इस ट्रेन में 28 डिब्बे और 3 लोकोमोटिव इंजन थे। जिसे विशेष रूप से अपनी पहली यात्रा के लिए फूलों से सजाया गया था। इस ट्रेन के यात्रियों में श्री नाना शंकरसेठ एवं जमशेदजी जीजीभाय टाटा भी थे।

????नमन है श्रीनाना शंकरसेठ जी जैन को।

कृपया यह अनमोल जानकारी अपने अन्य मित्रों व परिजनों से अवश्य साझा करें। ????

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,