कई दिन तक दंगे की आग में झुलसा था संभल, मारे गए थे कई हिंदू

कई दिन तक दंगे की आग में झुलसा था संभल, मारे गए थे कई हिंदू ,Sambhal was burnt in the fire of riots for several days, many Hindus were killed.

Dec 15, 2024 - 19:38
Dec 15, 2024 - 20:08
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कई दिन तक दंगे की आग में झुलसा था संभल, मारे गए थे कई हिंदू
कई दिन तक दंगे की आग में झुलसा था संभल, मारे गए थे कई हिंदू
29 मार्च 1978 की तारीख याद कर आज भी सहम जाते हैं लोग, डिग्री कालेज में सदस्यता न मिलने पर मंजर शफी ने रची थी साजिश
29 मार्च 1978। यह वह तारीख है जिसे याद करते ही संभल का हर व्यक्ति सहम जाता है। आरोप है कि डिग्री कालेज में सदस्यता न मिलने पर मंजर अली ने खौफनाक साजिश रची और साथियों संग मिलकर जिले को दंगे की आग में झोंक दिया। जबरन दुकानें बंद करा मारपीट, पथराव और लूटपाट शुरू कर दी। विरोध में हिंदू आगे आए तो फायरिंग कर दी गई जिसमें 10-12 हिंदुओं को जान गंवानी पड़ी। माहौल इस कदर तनावपूर्ण हो गए थे कि करीब दो माह तक (20 मई) जिले में कर्फ्यू लगा रहा। मामले में कुल 169 मुकदमे पंजीकृत हुए, जिसमें तीन पुलिस की ओर से लिखाए गए थे। आजादी के बाद से अब तक 16 बार शहर दंगों की आग में झुलसा है। इसमें कई बार सांप्रदायिक दंगे भी हुए। दहशत में रहना था मुश्किल, औने-पौने दाम पर बेचे मकानः 1978 के दंगे के बाद शहर में असुरक्षा का माहौल बन गया।
82 वर्षीय विष्णु सरन रस्तोगी कहते हैं कि खग्गू सराय में 25-30 परिवार हिंदुओं के रहते थे। 1978 और उसके बाद के दंगों में भारी नुकसान हुआ, काफी लोग मारे गए। लिहाजा कई परिवार एक-एक कर यहां से अपना मकान बेचकर बाहर जाने लगे। यहां से पलायन करने वाले मुकेश कुमार कहते हैं कि वह छोटे थे तब परिवार के सभी लोग इसी मंदिर में पूजा अर्चना करते थे। शादी के दौरान भी यहीं पूजा की जाती थी। 1996 में पलायन करने वाला हमारा आखिरी परिवार था। तब उनके बूथ पर हिंदू आबादी के करीब 95 वोट थे। अब यहां पर कोई वोट नहीं है। प्रताप वर्मा उर्फ प्रदीप कुमार कहते हैं कि उनके परिवार ने 1993 में इस मुहल्ले से पलायन किया। अधिकांश ने अपने पुराने कारोबार को छोड़कर ज्वेलर्स का काम शुरू कर दिया है और कोई भी इस मोहल्ले में आना नहीं चाहता।
मोहम्मद शोएब पेशे से अधिवक्ता हैं और मंदिर के दक्षिण की ओर बने मकान में रहते हैं। वह कहते हैं कि यहां पर पहले से मंदिर था। इसको कभी भी बंद करने के लिए दबाव नहीं डाला गया। यहां रहने वाले लोग अपने मकान बेचकर चले गए और यहां पूजा करने के लिए कोई नहीं रहा। निकट में ही रहने वाले मोहम्मद आजम कहते हैं कि मंदिर काफी पुराना है। हम छोटे थे, तब भी मंदिर इसी हालत में देखा, लेकिन हिंदू परिवार यहां से जा चुके हैं।
इसलिए यहांपूजा नहीं होती है। सफाई को भी नहीं मिले लोग विष्णु सरन रस्तोगी ने बताया कि यहां से पलायन के बाद मंदिर की चाभी उनके भतीजे के पास रहती थी। जाने के कुछ दिनों तक हम लोग मंदिर की सफाई कराने आए भी। फिर कई बार किसी पुजारी को बुलाकर साफ सफाई और पूजा अर्चना के लिए कहा गया, लेकिन डर के माहौल के चलते कोई भी आने को तैयार नहीं हुआ। मंदिर के दक्षिण में कुआं था, जिसे पाट दिया गया। उसकी जानकारी भी उन्हें नहीं लगी। पीपल के पेड़ को भी किसी ने काट दिया।
मंदिर में शुरू हुई पूजा अर्चना, चोटी पर फहराई धर्म ध्वजा मंदिर का ताला खुलते ही मौके पर मौजूद बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता विनोद कुमार गुप्ता ने लड्डू मंगा लिए। प्रसाद शिवलिंग व हनुमान जी पर चढ़ाने के बाद लोगों में बांटा गया। दिन भर यहां लोगों की भीड़ लगी रही। शाम को कुछ लोगों ने शनिवार होने के कारण हनुमान जी का चोला चढ़ाया। यहां धूप-दीप के साथ ही पूजा अर्चना की गई। हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। मंदिर की चोटी पर धर्म ध्वजा भी फहरा दी गई।
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