6 दिसंबर इतिहास के पन्नों में दर्ज कारसेवकों ने ढहा दिया विवादित ढांचा

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Dec 6, 2024 - 05:41
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6 दिसंबर इतिहास के पन्नों में दर्ज  कारसेवकों ने ढहा दिया विवादित ढांचा

6 दिसंबर: इतिहास के पन्नों में दर्ज खास घटनाएं

6 दिसंबर का दिन इतिहास के पन्नों में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है। यह दिन भारतीय इतिहास के सबसे विवादित और प्रभावशाली घटनाक्रमों में से एक, बाबरी विध्वंस, के साथ-साथ फिनलैंड की स्वतंत्रता जैसे अन्य ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। आइए इस दिन से जुड़े प्रमुख घटनाक्रमों पर एक नजर डालते हैं।


बाबरी विध्वंस: 6 दिसंबर 1992 का दिन

6 दिसंबर 1992 का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद घटना के रूप में दर्ज है। इस दिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को कारसेवकों ने ध्वस्त कर दिया था।

90 के दशक की शुरुआत में राम मंदिर आंदोलन ने पूरे देश में जोर पकड़ लिया था। हजारों कारसेवक अयोध्या पहुंच रहे थे। इस दौरान, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विवादित स्थल की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन डेढ़ लाख से अधिक की भीड़, जो राम मंदिर निर्माण की मांग कर रही थी, 6 दिसंबर को नियंत्रण से बाहर हो गई और विवादित ढांचे को गिरा दिया।

इस घटना के बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिसमें 2000 से अधिक लोग मारे गए। मुलायम सिंह यादव की सरकार के दौरान 1990 में भी कारसेवकों पर गोली चलाने और 18 लोगों की मौत ने आंदोलन को और उग्र कर दिया था।

बाबरी विध्वंस ने देश की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डाला। यह घटना सांप्रदायिक तनाव और राम मंदिर विवाद का प्रतीक बन गई, जिसका असर आज तक महसूस किया जाता है।

बाबरी विध्वंस (1992)

1992 में 6 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिरा दिया। इस घटना ने देश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक तनाव और हिंसा को जन्म दिया।

घटना की पृष्ठभूमि

  • 1980 और 1990 के दशक का माहौल: राम जन्मभूमि आंदोलन ने पूरे देश में धार्मिक और राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया था।
  • कारसेवकों का आंदोलन: 30 अक्टूबर और 2 नवंबर 1990 को अयोध्या में कारसेवकों पर पुलिस ने गोली चलाई, जिसमें कई कारसेवक मारे गए। इसने आंदोलन को और तेज कर दिया।
  • 6 दिसंबर 1992: करीब डेढ़ लाख कारसेवकों की भीड़ अयोध्या पहुंची और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार करते हुए विवादित ढांचे को गिरा दिया।

प्रभाव:

  • घटना के बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे।
  • लगभग 2,000 लोगों की मौत हुई और कई संपत्तियों का नुकसान हुआ।
  • यह घटना भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।

फिनलैंड की स्वतंत्रता (1917)

6 दिसंबर 1917 को फिनलैंड ने रूस से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की।

पृष्ठभूमि:

  • फिनलैंड 1809 से रूसी साम्राज्य का हिस्सा था।
  • रूस में चल रहे क्रांति और युद्ध के माहौल का फायदा उठाते हुए फिनलैंड ने स्वतंत्रता का ऐलान किया।
  • स्वतंत्रता के बाद फिनलैंड को खुद को स्थिर करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

महत्व:

  • फिनलैंड का स्वतंत्रता दिवस हर साल 6 दिसंबर को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
  • यह दिन फिनलैंड की संप्रभुता और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।

अन्य प्रमुख घटनाएं:

  • 1956: डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन। संविधान निर्माता और दलित अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता का निधन इसी दिन हुआ था।
  • 1971: भारत-पाक युद्ध में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर हमला किया। इसे "ऑपरेशन ट्राइडेंट" के नाम से जाना जाता है।
  • 2013: दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का निधन।

6 दिसंबर का दिन इतिहास में कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। बाबरी विध्वंस जैसी घटनाएं जहां समाज और राजनीति को झकझोरने वाली रही हैं, वहीं फिनलैंड की स्वतंत्रता और डॉ. अंबेडकर जैसे व्यक्तित्व का योगदान मानवता और राष्ट्रनिर्माण के लिए प्रेरणास्रोत है। इस दिन की घटनाएं हमें इतिहास की विविधता और उससे मिलने वाले सबक की याद दिलाती हैं।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,