16 जून का इतिहास आज इनका करें पुण्य स्मरण

16 जून 1918 आजादी के गुमनाम नायक क्रान्तिकारी नलिनीकांत बागची बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन 16 जून 1925 महान स्वतन्त्रता सेनानी और राष्ट्रवादी पत्रकार देशबन्धु चितरंजन दास पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन 16 जून 1944 भारतीय रसायनशास्त्री एवं शिक्षाविद् आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र रे पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन

Jun 16, 2024 - 11:32
Jun 16, 2024 - 11:32
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16 जून का इतिहास आज इनका करें पुण्य स्मरण

16 जून का इतिहास आज इनका करें पुण्य स्मरण

आज का दिन 16 जून भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन हमें हमारे कुछ महान स्वतंत्रता सेनानियों और विद्वानों को याद करने का अवसर मिलता है। आइए, उनके बलिदान और योगदान को नमन करें।

16 जून 1918 आजादी के गुमनाम नायक क्रान्तिकारी नलिनीकांत बागची बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन
16 जून 1925 महान स्वतन्त्रता सेनानी और राष्ट्रवादी पत्रकार देशबन्धु चितरंजन दास पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन
16 जून 1944 भारतीय रसायनशास्त्री एवं शिक्षाविद् आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र रे पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन

क्रांतिकारी नलिनीकांत बागची (16 जून 1918)

1918 में आज ही के दिन, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक गुमनाम नायक, क्रांतिकारी नलिनीकांत बागची ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। बागची उन वीर सेनानियों में से एक थे जिन्होंने अपने साहस और बलिदान से भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया। उनका बलिदान हमें याद दिलाता है कि आजादी की कीमत कितनी अधिक थी और कितने गुमनाम नायकों ने इसके लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

देशबंधु चितरंजन दास (16 जून 1925)

1925 में, महान स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रवादी पत्रकार देशबंधु चितरंजन दास की पुण्यतिथि है। चितरंजन दास एक प्रमुख नेता थे जिन्होंने स्वराज के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे एक उच्च कोटि के वकील थे और महात्मा गांधी के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे। दास ने न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक सुधारों के लिए भी कार्य किया। उन्होंने भारतीय समाज को एकजुट करने और सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया।

आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र रे (16 जून 1944)

1944 में, भारतीय रसायनशास्त्री और शिक्षाविद् आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र रे का निधन हुआ था। वे भारत के पहले रसायन विज्ञान के प्रोफेसर थे और बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स के संस्थापक थे। उनके वैज्ञानिक योगदान के अलावा, उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान दिया। आचार्य रे ने विज्ञान को समाज के सुधार और विकास के साधन के रूप में देखा। वे युवाओं को विज्ञान और तकनीकी शिक्षा की ओर प्रेरित करते रहे और उनके योगदान ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में एक नई दिशा दी।

समर्पण और प्रेरणा

इन महान व्यक्तियों के जीवन और उनके बलिदान हमें यह सिखाते हैं कि एक सच्चे नायक का जीवन केवल अपने लिए नहीं होता, बल्कि समाज और देश की सेवा में होता है। उनके संघर्ष और समर्पण से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और यह संकल्प लेना चाहिए कि हम भी अपने देश की सेवा में योगदान देंगे। आज का दिन इन नायकों की स्मृति में सिर झुकाने और उन्हें कोटि-कोटि नमन करने का है।

इनकी स्मृति में आज हम संकल्प लें कि उनके दिखाए रास्ते पर चलकर हम एक सशक्त, समृद्ध और न्यायपूर्ण भारत का निर्माण करेंगे। उनके बलिदान और आदर्श हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे और हमें याद दिलाते रहेंगे कि स्वतंत्रता, विज्ञान और समाज सुधार के लिए हमारा कर्तव्य क्या है।

 #आज_का_इतिहास

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,