आरएसएस से जनसंघ तक, फिर भारतीय जनता पार्टी: एक ऐतिहासिक सफर

Nov 19, 2024 - 20:12
 0
आरएसएस से जनसंघ तक, फिर भारतीय जनता पार्टी: एक ऐतिहासिक सफर

आरएसएस से जनसंघ तक, फिर भारतीय जनता पार्टी: एक ऐतिहासिक सफर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का संबंध भारतीय राजनीति का एक ऐसा ताना-बाना है, जिसने देश के राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया है। यह एक ऐसा आंदोलन है, जो राष्ट्रीयता, सांस्कृतिक पहचान और हिंदुत्व के विचारों पर आधारित है। आइए, इस ऐतिहासिक सफर को समझने के लिए आरएसएस की स्थापना से लेकर भाजपा के वर्तमान स्वरूप तक के विकास को विस्तार से जानते हैं।


आरएसएस की स्थापना और उद्देश्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की। यह संगठन हिंदू समाज को संगठित करने, उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना को जाग्रत करने के उद्देश्य से बना।
डॉ. हेडगेवार ने महसूस किया कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदू समाज में एकता की कमी थी। उन्होंने इसे दूर करने के लिए एक संगठनात्मक ढांचे की आवश्यकता को समझा।

आरएसएस का प्रारंभिक उद्देश्य था:

  1. हिंदू समाज को संगठित करना।
  2. राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका सुनिश्चित करना।
  3. सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को बढ़ावा देना।

आरएसएस शाखाओं के माध्यम से काम करता है, जहां शारीरिक और बौद्धिक प्रशिक्षण दिया जाता है।


जनसंघ की स्थापना: राजनीतिक मंच का उदय

1951 में, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आरएसएस के सहयोग से भारतीय जनसंघ की स्थापना की। यह कांग्रेस के वर्चस्व को चुनौती देने और राष्ट्रीय मुद्दों को उठाने के लिए एक मंच था।

मुख्य उद्देश्य:

  1. अखंड भारत का निर्माण।
  2. हिंदू राष्ट्रवाद का प्रचार।
  3. आर्थिक और सांस्कृतिक स्वराज।

जनसंघ का आरएसएस से सीधा संबंध था। जनसंघ के अधिकांश कार्यकर्ता आरएसएस के स्वयंसेवक थे।

जनसंघ के प्रमुख नेता:

  1. श्यामा प्रसाद मुखर्जी: जनसंघ के संस्थापक। कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाने के लिए उनका संघर्ष ऐतिहासिक है।
  2. पंडित दीनदयाल उपाध्याय: एकात्म मानववाद के सिद्धांत के जनक। उन्होंने जनसंघ की वैचारिक नींव रखी।


जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी तक का सफर

1977 में आपातकाल के बाद जनसंघ ने जनता पार्टी के साथ मिलकर कांग्रेस का विरोध किया। जनता पार्टी सरकार में जनसंघ के नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।

लेकिन, 1980 में जनता पार्टी में आंतरिक विवाद के कारण जनसंघ के नेता अलग हो गए और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना की। भाजपा की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई। अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के पहले अध्यक्ष बने।


भाजपा का विकास: संघर्ष से सत्ता तक

1980 के दशक में भाजपा का विकास धीरे-धीरे हुआ।

  1. 1984 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात्र 2 सीटें मिलीं।
  2. 1989 में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान भाजपा ने हिंदू राष्ट्रवाद को राजनीतिक एजेंडा बनाया।
  3. लालकृष्ण आडवाणी की "राम रथ यात्रा" ने पार्टी को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोकप्रिय बना दिया।
  4. 1998 में, भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बनाकर केंद्र में पहली बार सरकार बनाई।

अटल बिहारी वाजपेयी:

  • वह भाजपा के पहले प्रधानमंत्री बने (1998-2004)।
  • उन्होंने भारत के आर्थिक और सामरिक विकास में योगदान दिया।


आरएसएस और भाजपा का संबंध

आरएसएस और भाजपा का संबंध वैचारिक और संगठनात्मक है।

  • भाजपा के कई नेता आरएसएस की पृष्ठभूमि से आए हैं।
  • आरएसएस का काम विचारधारा और संगठनात्मक समर्थन देना है।
  • भाजपा की नीतियां अक्सर आरएसएस के सिद्धांतों पर आधारित होती हैं।


भाजपा के प्रमुख नेता और उनके योगदान

  1. अटल बिहारी वाजपेयी:

    • भाजपा के आदर्श नेता।
    • पोखरण परमाणु परीक्षण और "भारत उदय" योजना के लिए प्रसिद्ध।
  2. लालकृष्ण आडवाणी:

    • राम जन्मभूमि आंदोलन के नायक।
    • भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया।
  3. नरेंद्र मोदी:

    • वर्तमान प्रधानमंत्री (2014 से)।
    • "सबका साथ, सबका विकास" के सिद्धांत पर काम।
    • आर्थिक सुधारों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में योगदान।
  4. अमित शाह:

    • भाजपा के संगठनात्मक विस्तार के प्रमुख वास्तुकार।
    • हर राज्य में भाजपा की पकड़ को मजबूत किया।
  5. राजनाथ सिंह:

    • भाजपा के कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।
    • वर्तमान रक्षा मंत्री।


आरएसएस के प्रमुख नेता और उनकी भूमिका

  1. डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार:

    • आरएसएस के संस्थापक।
  2. माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी):

    • आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक।
    • हिंदू राष्ट्रवाद की वैचारिक दिशा को मजबूत किया।
  3. बालासाहेब देवरस:

    • आपातकाल के दौरान आरएसएस को जनांदोलन का रूप दिया।
  4. मोहन भागवत:

    • वर्तमान सरसंघचालक।
    • "सबका साथ, सबका विश्वास" का संदेश दिया।


भाजपा-आरएसएस का वर्तमान और भविष्य

आज भाजपा भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। आरएसएस का संगठनात्मक ढांचा और उसके स्वयंसेवकों की मेहनत ने इसे संभव बनाया है।
भाजपा का एजेंडा आज केवल हिंदू राष्ट्रवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों पर भी केंद्रित है।

आरएसएस और भाजपा का यह संबंध भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय उदाहरण है, जहां वैचारिक समर्थन और राजनीतिक शक्ति का मिलन हुआ है।



आरएसएस, जनसंघ और भाजपा का इतिहास भारत के राजनीतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसी यात्रा है, जो विचारधारा, संघर्ष और सफलता की मिसाल पेश करती है। आरएसएस के संगठनात्मक आधार और भाजपा के राजनीतिक नेतृत्व ने मिलकर भारत को एक नई दिशा देने का काम किया है।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,