नए भारत का विकासवादी चरित्र

प्रधानमंत्री द्वारा खासतौर पर यूपी के धार्मिक महत्व वाले शहरों में 86 हजार करोड़ रुपये की लागत से करीब 500 परियोजनाओं की घोषणा की गई है। इन परियोजनाओं से करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।

Mar 6, 2024 - 23:13
Mar 6, 2024 - 23:43
 4
नए भारत का विकासवादी चरित्र

नए भारत का विकासवादी चरित्र 

अपनी सास्कृतिक विरासत के साय विकास पथ पर आगे बढ़ रहा नया भारत।

गुलामी की मानसिकता से आज देश का अर्थतंत्र बाहर आया है तो इसका कारण बीते एक दशक में भारतीय इतिहास, संस्कृति और परंपरा को केंद्र में रखकर किए गए विकास कार्य हैं

 देश की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर जो दावा किया है, वह भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर नई आशाएं जगाता है। वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में विकास दर का बढ़कर 8.4 प्रतिशत पहुंचना नए भारत की तस्वीर पेश करता है। भारत की इस आर्थिक कामयाबी का महत्व सिर्फ आंकड़ों में नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक सुविचारित दृष्टि भी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अठारहवीं लोकसभा चुनाव से पहले एक खास विमर्श को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं। उनका यह विमर्श जहां 2047 तक विकसित भारत के संकल्प से जुड़ा है, वहीं वह बीते एक दशक के भीतर उभरे भारत के नए विकासवादी चरित्र की बात भी जोर-शोर से कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री इस बात को संसद के अंदर और बाहर लगातार दोहरा रहे हैं कि बीते एक दशक में उन्होंने भारतीय इतिहास, संस्कृति और परंपरा को केंद्र में रखकर विकास कार्य किए हैं। इस विजन और दृष्टिकोण के कारण गुलामी की मानसिकता से देश का अर्थतंत्र बाहर आया है। हाल में जब प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे तो आस्था और विरासत के साथ विकास को अपनी सरकार की उपलब्धि के तौर पर गिनाया। कुछ इसी तरह की बात उन्होंने इससे पहले लखनऊ में चौथी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में भी कही थी। ये प्रयास देश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विभिन्नता के बीच आर्थिक विकास की क्षमता और संभावना के विकेंद्रित चरित्र को नए सिरे से उभारते प्रतीत हो रहे हैं। 

स्वाभाविक तौर पर विश्व को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के विजन और संकल्प के लिए जो बात सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, वह है इसमें राज्यों का आर्थिक योगदान। नीति आयोग के गठन के पीछे भी तर्क और मकसद यही रहा है कि इससे सहकारी संघवाद की भावना को योजनागत और ढांचागत समर्थन मिलेगा। बजट पेश करने के समय एवं तारीख से लेकर कर ढांचा और योजना आयोग को बदली भूमिका देश में एक दशक में आए बदलावों को गवाही हैं। बीते करीब एक दशक में देश में आस्था और विकास की साझेदारी पर जोर लगातार बढ़ा है। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कई प्रदेशों के आर्थिक चरित्र के केंद्र में लोक आस्था को महत्ता प्रदान की है। गुजरात, मध्य प्रदेश से लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में इस दौरान कई ऐसी पहल हुई हैं, जो आस्था के पुराने केंद्रों को खासतौर पर पर्यटन और उससे जुड़े बाजार और रोजगार के लिहाज से महत्वपूर्ण बना दिया है। 

आर्थिकी की उत्साहजनक तस्वीर 2024 में भी विकास की नई कहानी लिखेगी भारतीय  अर्थव्यवस्था - Encouraging picture of economy Indian economy will write a  new story of development in 2024 also

में प्रधानमंत्री द्वारा खासतौर पर यूपी के धार्मिक महत्व वाले शहरों में 86 हजार करोड़ रुपये की लागत से करीब 500 परियोजनाओं की घोषणा की गई है। इन परियोजनाओं से करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के निर्माण और अयोध्या धाम में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद निवेशक धार्मिक शहरों में काफी रुचि दिखा रहे हैं। इन दिनों राजस्थान, उत्तराखंड से लेकर दक्षिण के राज्यों में जहां भी प्रधानमंत्री पहुंच रहे हैं, वहां की भौगोलिक और सांस्कृतिक विलक्षणता के साथ आर्थिको को चर्चा करते हैं। ऐसे मौकों पर वह डबल इंजन की सरकार के राजनीतिक लाभ गिनाने में भी नहीं चूकते हैं।

भारत की विकास कहानी दुनिया के लिए सबक है

गत दिनों जब वह  दस लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं के भूमि पूजन के लिए लखनऊ पहुंचे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रदेश को वन ट्रिलियन डालर की इकोनमी बनाने के संकल्प को महत्वपूर्ण बताया। यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है और दो बार से नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी इसी राज्य में है। लिहाजा उनके प्रधानमंत्रित्व काल में जो बड़ा बदलाव देश में आया है उसमें यह प्रदेश स्वाभाविक तौर पर काफी आगे है। इसमें कहीं दो राय नहीं कि गुजरात का विकास माडल आज उत्तर प्रदेश की जमीन पर नया विस्तार पा रहा है। 

नया: भारत की विकास कहानी का वैश्विक पदचिह्न: - डब्ल्यूएफवाई

प्रदेश आज देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वैसे नए विकासवादी रुझान के साथ यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि बंगाल, बिहार और झारखंड जैसे राज्य इस दौरान विकास की दौड़ में ज्यादा आगे नहीं बढ़ सके हैं। इन प्रदेशों की राजनीतिक स्थिति में लगातार एक ठहराव बना हुआ है। एक खास तरह के सामाजिक वर्गीकरण की राजनीति इन राज्यों को नए विकास मूल्यों और जरूरतों से जुड़ने नहीं दे रही है। यही वजह है कि इन प्रदेशों में विकास का समावेशी चरित्र गुणात्मक रूप से ज्यादा प्रभावी नहीं दिखता। हालांकि देश में इस बीच जनजातीय या पर्वतीय क्षेत्र में विकास के नए माडल छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे प्रदेशों में जरूर विकसित हुए हैं। 2018 में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के 'कालाहांडी डायलाग' से शुरू हुआ बदलाव का सिलसिला इस मायने में असरदार है। 

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad