साइबर ठगी, गुरुग्राम में टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत का पर्दाफाश

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Jan 22, 2025 - 12:35
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साइबर ठगी, गुरुग्राम में टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत का पर्दाफाश

साइबर ठगी: गुरुग्राम में टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत का पर्दाफाश

साइबर ठगी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन जब इन ठगों को टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों का साथ मिलने लगे, तो समस्या और गंभीर हो जाती है। हाल ही में गुरुग्राम पुलिस और इंडियन साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के संयुक्त ऑपरेशन में ऐसा ही एक मामला सामने आया। इस ऑपरेशन में एक टेलीकॉम कंपनी के दो कर्मचारियों को इंडोनेशियन और चाइनीज साइबर ठगों के साथ मिलीभगत के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

कैसे होती थी ठगी?

आरोपित कर्मचारी ठगों को वर्चुअल नंबर और क्लाउड बेस्ड सेवाएं उपलब्ध कराते थे, जिनका उपयोग व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लोगों को ठगने के लिए किया जाता था। ठग, पार्ट टाइम जॉब और इन्वेस्टमेंट के नाम पर लोगों को जाल में फंसाते थे। पीड़ितों को शुरुआती टास्क के बदले छोटी रकम ट्रांसफर की जाती थी, जिससे उनका विश्वास जीता जा सके। इसके बाद उनसे अधिक रकम निवेश करने के लिए कहा जाता था, लेकिन जब पीड़ित अपने पैसे वापस मांगते, तो उन्हें ग्रुप से निकाल दिया जाता था।

कैसे हुआ भंडाफोड़?

गुरुग्राम के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज हुई थी, जिसमें पीड़ित ने बताया कि उसे एक लैंडलाइन नंबर से कॉल आई थी। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि ठगों को यह लैंडलाइन नंबर एक टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारियों ने उपलब्ध कराया था। आरोपियों की पहचान नीरज वालिया और हेमंत शर्मा के रूप में हुई, जो क्रमशः साइट वेरिफिकेशन और सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत थे।

नियमों की अनदेखी

आरोपितों ने फर्जी पते पर लैंडलाइन नंबर/डीआईडी नंबर जारी किए थे। ये नंबर फर्जी कंपनियों के नाम पर पंजीकृत थे, जो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं थीं। इसके अलावा, उन्होंने SIP ओवर AWS और क्लाउड बेस्ड सेवाओं के कई कनेक्शन भी ठगों को दिए। प्रारंभिक जांच में 500 से अधिक वर्चुअल नंबर जारी करने के सबूत मिले हैं।

मोटी कमाई का खेल

आरोपित हर महीने इन नंबरों और सेवाओं के बदले 8 से 10 लाख रुपये कमा रहे थे। इससे साफ है कि यह ठगी का एक बड़ा नेटवर्क था, जिसमें तकनीकी ज्ञान और सिस्टम का दुरुपयोग कर ठगों को मदद दी जा रही थी।

पुलिस की कार्रवाई

गुरुग्राम पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर शुक्रवार को अदालत में पेश किया और एक दिन का रिमांड लिया। पुलिस को शक है कि इस मामले में टेलीकॉम कंपनी के और कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर क्राइम) प्रियांशु दीवान ने बताया कि आरोपियों के व्हाट्सएप ग्रुप से कई और कंपनियों को वर्चुअल सेवाएं उपलब्ध कराने के सबूत मिले हैं।

आगे की जांच

पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस ठगी के पीछे कौन-कौन से अन्य लोग और कंपनियां शामिल हो सकती हैं। साथ ही, ठगों के नेटवर्क और उनकी कार्यप्रणाली को लेकर भी जांच जारी है।

साइबर सुरक्षा के लिए सतर्कता आवश्यक

इस घटना से एक बार फिर यह साबित होता है कि साइबर अपराधी नई-नई तकनीकों और साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहना होगा। किसी भी अनजान नंबर से आए ऑफर पर विश्वास करने से पहले उसकी जांच जरूरी है।

गुरुग्राम का यह मामला साइबर अपराध और उसके बढ़ते दायरे की गंभीरता को दर्शाता है। यह न केवल ठगों की चालाकी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जब जिम्मेदार कर्मचारी ही नियमों की अवहेलना करें, तो अपराध कितना जटिल हो सकता है। ऐसे में लोगों को जागरूक रहना और प्रशासन को कठोर कदम उठाना अनिवार्य है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,