उदयपुर से करीब 22 किलोमीटर दूर कैलाशपुरी गांव में एकलिंग जी मंदिर

जयपुर, (हि.स.)। उदयपुर के एकलिंगनाथ मंदिर में कपड़ों और मोबाइल को लेकर नए नियम लागू किए गए हैं। नए नियमों के तहत यहां दर्शन करने आने वाले भक्त छोटे कपड़े (मिनी स्कर्ट, बरमूडा) और नाइट सूट पहन कर दर्शन नहीं कर पाएंगे। मोबाइल ले जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। उदयपुर से करीब […]

Dec 6, 2024 - 13:34
Dec 6, 2024 - 18:14
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उदयपुर से करीब 22 किलोमीटर दूर कैलाशपुरी गांव में एकलिंग जी मंदिर

उदयपुर से करीब 22 किलोमीटर दूर कैलाशपुरी गांव में एकलिंग जी मंदिर

उदयपुर के एकलिंगनाथ मंदिर में कपड़ों और मोबाइल को लेकर नए नियम लागू किए गए हैं। नए नियमों के तहत यहां दर्शन करने आने वाले भक्त छोटे कपड़े (मिनी स्कर्ट, बरमूडा) और नाइट सूट पहन कर दर्शन नहीं कर पाएंगे। मोबाइल ले जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।

उदयपुर से करीब 22 किलोमीटर दूर कैलाशपुरी गांव में एकलिंग जी मंदिर है। इन्हें मेवाड़ के आराध्य के तौर पर पूजा जाता है। मंदिर प्रबंधन की ओर से नए नियमों को लेकर बैनर शुक्रवार को परिसर में लगा दिया गया है। मंदिर कमेटी की ओर से जारी किए गए नए नियमों में मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने का आग्रह किया गया है। मंदिर प्रबंधन का कहना है कि मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले कई भक्तों की ओर से इस तरह के कपड़े को लेकर शिकायत की गई थी। उनका कहना था कि भगवान के मंदिर में भक्तों का पहनावा ऐसा नहीं होना चाहिए। इसके बाद इस नियम को जोड़ा गया है।

मंदिर में मोबाइल फोन ले जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। इससे पहले एकलिंग जी मंदिर में यहां आने वाले भक्तों और टूरिस्ट को मोबाइल स्विच ऑफ कर अंदर ले जाने की अनुमति थी। मंदिर में फोटो खींचने पर भी पाबंदी थी। इसके अलावा मंदिर में पालतू जानवर और किसी भी प्रकार के हथियार ले जाना भी प्रतिबंधित है।

एकलिंग नाथ मंदिर की खासियत

एकलिंगनाथ भगवान शिव के अवतार हैं। यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना है। चारदीवारी में 108 तीर्थ स्थलों के साथ-साथ मुख्य मंदिर भी है। आंतरिक गर्भगृह में काले संगमरमर से बनी भगवान एकलिंगनाथ जी की चार मुख वाली मूर्ति है। मंदिर के बाहर नंदी की एक छोटी चांदी की मूर्ति है।

जगदीश मंदिर में भी लागू हुआ था नियम

उदयपुर के जगदीश मंदिर में एक साल पहले कपड़ों को लेकर ऐसा ही नियम लागू किया गया था। हालांकि बाद में इसे हटा दिया गया था। एक साल पहले उदयपुर शहर के ऐतिहासिक जगदीश मंदिर में टी शर्ट, शॉर्ट जींस, बरमुडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट पहनकर जाने पर रोक लगाई गई थी। ऐसा भक्तों को हिंदू संस्कृति के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से किया गया था। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद देवस्थान विभाग की टीम ने वहां लगे सभी पोस्टर-बैनर हटवाए थे।

अम्बे माता मंदिर में भी ड्रेस कोड

राजस्थान में सबसे पहले अजमेर के अम्बे माता मंदिर में ड्रेस कोड की शुरुआत की थी। छोटे कपड़े पहनने के कारण कई भक्तों को मंदिर आने में असहज महसूस होता था। ऐसे में कई लोगों ने मंदिर में अनुशासन और सभ्य ड्रेस कोड को शुरू करने की अपील की थी।

इन मंदिरों में भी बनाए गए नियम

करीब 100 साल पुराने झारखंड महादेव मंदिर में भी हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जीन्स, फ्रॉक पहनकर मंदिर में नहीं आने की हिदायत दे रखी है। भीलवाड़ा के कोटड़ी चारभुजानाथ मंदिर में ड्रेस कोड लागू है। वहां ट्रस्ट की ओर से फैसला लेकर ड्रेस कोड लागू करते हुए पोस्टर-बैनर लगा रखे हैं।

कृष्णगंज स्थित जैन धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री पावापुरी जैन मंदिर में सभ्य कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश के लिए कह रखा है। मंदिर में एक चेंजिंग रूम भी बना रखा है। अगर कोई गरिमामय कपड़े पहनकर नहीं आता है, तो उसे हम मंदिर के चेजिंग रूम में दूसरे कपड़े भी देते हैं।

पुष्कर ब्रह्मा मंदिर में दर्शन करने के लिए आने वाले भक्तों से अपील कर रखी है कि वे मंदिर में सभ्य कपड़े पहनकर ही प्रवेश करें। सिरोही जिले के सारणेश्वर महादेव मंदिर में देवझूलनी एकादशी को मेला लगता है। मंदिर में उसी को प्रवेश मिलता है जो देवासी समाज की पारंपरिक ड्रेस को पहनकर आता है। अगर कोई देवासी भी पारंपरिक वेशभूषा में नहीं आता है, तो उसे प्रवेश नहीं मिलता है। सिरोही के माउंट आबू दिलवाड़ा जैन मंदिर में अगर कोई महिलाएं छोटे कपड़े पहन कर आ जाती है तो उनके लिए दुपट्‌टे और दूसरे कपड़ों की व्यवस्था भी कर रखी है।

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