अब गई कि तब गई Trudeau की कुर्सी! Khalistan समर्थक जगमीत सिंह ने मांगा इस्तीफा, कभी रहे थे त्रूदो सरकार में शामिल

प्रधानमंत्री त्रूदो की मुश्किलें बौर बढ़ जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। जैसा पहले बताया, वे अपने देश में ही लोगों के गुस्से के निशाने पर हैं। उनके बचकाने बयान, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपरिपक्व बर्ताव आदि उनकी बुद्धिमत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगा चुके हैं। आम चुनाव से पहले हुए तमाम सर्वे त्रूदो की लोकप्रियता […]

Dec 18, 2024 - 11:39
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अब गई कि तब गई Trudeau की कुर्सी! Khalistan समर्थक जगमीत सिंह ने मांगा इस्तीफा, कभी रहे थे त्रूदो सरकार में शामिल

प्रधानमंत्री त्रूदो की मुश्किलें बौर बढ़ जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। जैसा पहले बताया, वे अपने देश में ही लोगों के गुस्से के निशाने पर हैं। उनके बचकाने बयान, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपरिपक्व बर्ताव आदि उनकी बुद्धिमत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगा चुके हैं। आम चुनाव से पहले हुए तमाम सर्वे त्रूदो की लोकप्रियता में तेज उतार दिखा रहे हैं।


कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो की सरकार के जाने के आसार बन रहे हैं। कभी त्रूदो की गोद में बैठ सत्ता की मलाई खाने और भारत विरोधी माहौल बनाने में उनके साथी रहे एनडीपी के नेता जगमीत सिंह ने ही उनसे इस्तीफा देने को कहा है। उस देश में खालिस्तानी तत्वों को सिर—माथे बैठाकर, भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या का आरोप लगाकर दुनिया भर में अपनी फजीहत कराने वाले त्रूदो वक्त का बेरहम बदलाव देख सांसत में हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि अब वे अधिक दिन तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं रहने वाले हैं।

त्रूदो की अल्पमत सरकार को समर्थन देकर और सरकार में भागीदारी करने वाले खालिस्तानियों के कथित प्रायोज​क नेता जगमीत सिंह ने प्रधानमंत्री त्रूदो के विरुद्ध यह अचानक तलवारें क्यों खींच ली हैं। दरअसल, उस देश में आम चुनाव नजदीक हैं, इसलिए जानकारों का मानना है कि जगमीत ने चुनाव बाद के माहौल का आकलन करते हुए त्रूदो से दूरी बनाई है। वैसे भी त्रूदो की लोकप्रियता अब बस प्रोपेगेंडा वीडियो तक ही रही है।

भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या का आरोप लगाकर दुनिया भर में अपनी फजीहत करा चुके हैं त्रूदो

प्रकट रूप में जगमीत का कहना है कि कनाडा के नागरिक आर्थिक मुश्किलें झेल रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ सत्ता में बैठी लिबरल पार्टी तथा प्रधानमंत्री त्रूदो अपने में ही उलझे हुए हैं। यह उन्हीं जगमीत सिंह का ताजा कथन है जो कुछ महीने पहले तक त्रूदो की सरकार में सत्ता सुख ही नहीं भोग रहे थे बल्कि उस देश की विदेश नीति को खालिस्तान के पक्ष में संचालित करते हुए भारत को घेर रहे थे। उनकी इन्हीं हरकतों से दुनिया के सभ्य समाजों में त्रूदो की साख को बट्टा लगा है और कनाडा के ​ही समझदार लोग उनसे उकताने लगे हैं।

लेकिन उनका खालिस्तानियों के उकसावे पर भारत विरोधी बयान देना और सुरक्षा एजेंसियों को भारतभक्त भारतवंशियों पर डंडे बरसाने को कहना अब उनके नाम के साथ जुड़ गया है। ऐसे में मौका देखकर खालिस्तानी तत्वों के प्रायोज​क जगमीत अपनी सूरत पाक—साफ दिखाने के लिए उनसे दूरी बना चुके हैं। वही अब उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

खालिस्तानी तत्वों के प्रायोज​क जगमीत अपनी सूरत पाक—साफ दिखाने के लिए उनसे दूरी बना चुके हैं। वही अब उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं

ऐसे में, प्रधानमंत्री त्रूदो की मुश्किलें बौर बढ़ जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। जैसा पहले बताया, वे अपने देश में ही लोगों के गुस्से के निशाने पर हैं। उनके बचकाने बयान, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपरिपक्व बर्ताव आदि उनकी बुद्धिमत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगा चुके हैं। आम चुनाव से पहले हुए तमाम सर्वे त्रूदो की लोकप्रियता में तेज उतार दिखा रहे हैं।

इन परिस्थितियों में कनाडा की खालिस्तान समर्थक पार्टी एनडीपी और उसके नेता जगमीत सिंह ने प्रधानमंत्री त्रूदो से इस्तीफा मांग कर राजनीतिक पैंतरा चला है। कारण, चुनाव बाद की परिस्थितियों में जगमीत अधिक सीटें पाने वाले के पाले में झुकने की अभी से तैयारी कर रहे हैं। इन्हीं जगमीत ने त्रूदो की अल्पमत सरकार को समर्थन देकर उन्हें अपने इशारों पर चलने को मजबूर किया था और प्रधानमंत्री त्रूदो भी राजनीतिक दूरदृष्टि के अभाव में उनके पैंतरों को समझ नहीं पाए। लेकिन अब तो उनकी जगहंसाई हो चुकी है।

मीडिया में भी इस बात के चर्चे चले हैं। कनाडा के ‘ग्लोबल न्यूज’ की रिपोर्ट है कि जगमीत सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन करने की संभावनाओं पर पूछे गए सवाल पर ‘सभी विकल्प’ खुले होने की टिप्पणी करके अपनी मंशाओं को साफ कर दिया है। उप प्रधानमंत्री फ्रीलैंड द्वारा इस्तीफा दिया ही जा चुका है और तिस पर जगमीत का नया पैंतरा आया है, इन हालात में त्रूदो के सामने बहुत ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। कुछ विशेषज्ञ तो यहां तक मानते हैं कि वे इस्तीफा देकर उसका ठीकरा ‘सहयोगियों’ पर फोड़कर अपने लिए ‘सहानुभूति’ की चाह रख सकते हैं।

प्रधानमंत्री त्रूदो का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपरिपक्व बर्ताव उनकी बुद्धिमत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगा चुका है

हालां​कि जगमीत सिंह ने भी इस्तीफा मांगने की वजह ‘आर्थिक मुसीबतें’ बताई हैं, लेकिन वे भी जानते हैं कि आर्थिक दिक्कतें तो उनके सरकार में रहते हुए ही आ गई थीं, तब उन्होंने ऐसा कदम क्यों नहीं उठाया था? कनाडा में आज राशन से लेकर रोजमर्रा जरूरतों की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं।

इधर अमेरिका में राष्ट्रपति पद संभालने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने भी प्रधानमंत्री त्रूदो के प्रति कोई बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं की है। उन्होंने न सिर्फ कनाडा के लिए टैरिफ बढ़ाने को संकेत दिया है तो वहीं हल्के अंदाज में ही सही, पर कनाडा को अमेरिका का एक ‘प्रांत’ बना दिए जाने की भी बात की है।

इस मौके पर जगमीत के यह कहने में भी कोई सचाई नहीं झलकती कि नागरिकों की दिक्कतों से परे त्रूदो और उनकी लिबरल पार्टी अपने में ही उलझी है। कनाडा के लोगों की जैसे उन्हें कोई परवाह ही नहीं है। इसलिए त्रूदो को अब पद पर बने रहने की बजाय इस्तीफा दे देना चाहिए। उधर मुख्य विपक्षी दल कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोलीवरे भी त्रूदो पर इस्तीफे का दबाव बनाए हुए हैं। उनका कहना कि त्रूदो का अपनी ही सरकार पर नियंत्रण नहीं रहा है तो भी वे कुर्सी से कसकर चिपके हैं।

दो दिन पहले ‘ग्लोबल न्यूज’ ने ही ‘इप्सोस पोल’ के नतीजों पर एक रिपोर्ट में छापा है कि लिबरल पार्टी के प्रति समर्थन 5 अंक गिरकर 21 प्रतिशत तक उतर गया है। ‘इप्सोस ग्लोबल पब्लिक अफेयर्स’ के मुख्य कार्यकारी डेरेल ब्रिकर का कहना है कि एनडीपी को लेकर अनेक मतदाता अपने भरोसे पर फिर से सोचने में लगे हैं।

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