UNHRC में गूंजा जिन्ना के देश में हिन्दुओं और ईसाइयों पर अत्याचार का मुद्दा, वैश्विक समुदाय की इस ओर चुप्पी चिंताजनक

पाकिस्तान में गिनते के बचे हिन्दू समुदाय पर मजहबी कट्टरपंथियों ने अत्याचारों की हदें पार की हुई हैं। अनेक बार प्रमाण सहित हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यकों पर वहां के शासन और कट्टरपंथियों के दमन का विषय अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखा जा चुका है। लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अब […]

Mar 22, 2025 - 17:18
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UNHRC में गूंजा जिन्ना के देश में हिन्दुओं और ईसाइयों पर अत्याचार का मुद्दा, वैश्विक समुदाय की इस ओर चुप्पी चिंताजनक

पाकिस्तान में गिनते के बचे हिन्दू समुदाय पर मजहबी कट्टरपंथियों ने अत्याचारों की हदें पार की हुई हैं। अनेक बार प्रमाण सहित हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यकों पर वहां के शासन और कट्टरपंथियों के दमन का विषय अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखा जा चुका है। लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अब भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं और ईसाइयों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया है। भारतीय कूटनीति का यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो मानवाधिकारों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 58वें सत्र के दौरान इस विषय को रखते हुए भारत के प्रतिनिधि जावेद बेग ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति को ‘भयावह’ की संज्ञा दी।

पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई समुदायों को देश की कुल आबादी का केवल 3 फीसदी बताया जाता है। इन समुदायों को जबरन कन्वर्जन, अपहरण, हिंसा और यहां तक कि हत्याओं का सामना करना पड़ता है। हिन्दुओं के अनेक मंदिर और चर्च लगातार तोड़े, क्षतिग्रस्त किए जाते हैं। इतना ही नहीं, हिन्दू और ईसाइयों की बालिग, नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर जबरन निकाह पढ़ा दिया जाता है।

हिन्दू बालिग, नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर जबरन निकाह पढ़ा दिया जाता है  (File Photo)

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में भारत के प्रतिनिधि जावेद ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय ईसाई समुदाय की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। जावेद ने कहा कि ब्राजील, अमेरिका और रूस जैसे ईसाई बहुल देशों ने इस पर सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं की, न ​ही पाकिस्तान की ऐसी मानसिकता पर कोई सवाल ही उठाया है। यह चुप्पी मानवाधिकारों के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय की लापरवाही को दर्शाती है।

भारत ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति केवल एक आंतरिक मामला नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का उल्लंघन है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र से इस मुद्दे पर ध्यान देने और कार्रवाई करने की अपील की।

इसमें संदेह नहीं है कि भारत इस विषय पर अनेक मंचों से पाकिस्तान की असलियत सामने रख चुका है। लेकिन अपनी अपनी कूटनीतिक मजबूरी की वजह से अनेक देश इसका संज्ञान तक लेने से कतराते हैं। यह बात पाकिस्तान और वहां के कट्टरपंथियों को उनकी करतूतों को जारी रखने की शह देती है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र जैसे मंच पर भारत का मानवाधिकार संरक्षण का यह ताजा प्रयास न केवल पाकिस्तान में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत मानवाधिकारों के प्रति कितना गंभीर है। यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चेतावनी है कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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