प्रेम और शांति संबंधों का आधार

प्रेम के लिए थोड़ी दूरी और जगह की आवश्यकता होती है

Apr 2, 2024 - 23:41
Apr 2, 2024 - 23:42
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प्रेम और शांति संबंधों का आधार

प्रेम और शांति संबंधों का आधार

हमारे संबंध दृढ़ होंगे या क्षीण, यह हमारे मन पर निर्भर करता है। अगर आपका मन सशक्त है। आपके भीतर प्रेम, करुणा, शांति और सेवाभाव है तो संबंध आपके लिए उपहार बन जाते हैं और वे सदा दृढ़ रहते हैं...

बंधों में केवल आकर्षण स नहीं, बल्कि प्रेम का होना आवश्यक है। लेकिन इस प्रेम की अपेक्षा समस्याएं उत्पन्न करती है। जब आप अपने प्रेमी से प्रेम की मांग करने लग जाते हैं, तो प्रेम कम होने लगता है। तब आप कहते हैं, मुझे इस संबंध में नहीं आना चाहिए था। फिर उस संबंध से निकलने का संघर्ष और अन्य समस्याएं प्रारंभ हो जाती हैं। एक संबंध से निकलने के बाद आप दूसरे संबंध में जाते हैं, लेकिन फिर यही कहानी दोहराई जाती रहती है। किसी भी संबंध में प्रेम का होना आवश्यक है। प्रेम में आप अपने प्रिय व्यक्ति की अधीनता स्वीकार कर लेते हैं, जबकि आकर्षण में ऐसा नहीं होता। प्रेम और आकर्षण में यही अंतर है। हालांकि आकर्षण पहली सीढ़ी है, लेकिन आप पहली ही सीढ़ी पर तो नहीं बने रह सकते।

आपको अगली सीढ़ी पर चढ़ना ही पड़ेगा। वह सीढ़ी ही प्रेम है। संबंधों की दृढ़ता के लिए शांति भी आवश्यक हैं। दूसरे के व्यवहार पर क्रोधित होने के बजाय शांतिपूर्ण रहें। किसी व्यक्ति को केवल बाहर से ही न देखें। यदि कोई क्रोधी है या थोड़ा नकचढ़ा है, तो हम उसके व्यवहार के लिए उस व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन अगर हम व्यापक दृष्टिकोण से देखेंगे तो कई और पहलू सामने आएंगे। उस व्यक्ति के क्रोध के पीछे कोई न कोई कारण है। यदि यह संबंध में प्रतिबिंबित हो रहा है, तो अपनी धारणा का फलक बढ़ाएं। किसी घटना के लिए उस व्यक्ति पर आरोप न लगाएं, बल्कि शांति के साथ उसे स्वीकार करें और उस घटना को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखें। दृष्टिकोण शांतिपूर्ण हो, तो संबंध भी शांतिपूर्ण होते हैं। यदि अपने संबंधों में आप ही सब कुछ कर रहे हैं और दूसरे व्यक्ति को आप कर हैं, लेकिन नहीं क्योंकि प्रेम होता जब लिए लिए है। मांगे चाहिए


• पित्र- गावरण अकहिय में कुछ नहीं करने दे रहे हैं, तो उनके आत्मसम्मान को कम रहे हैं। कभी-कभी लोग कहते औह। देखो, मैंने इतना कुछ किया, फिर भी वह व्यक्ति मुझसे प्रेम करता। ऐसा इसलिए होता है, वे असहज महसूस करते हैं। तब होता है, जब आदान-प्रदान है और ऐसा तभी हो सकता है, आप भी दूसरे व्यक्ति को अपने कुछ करने का अवसर दें। इसके थोड़ी कुशलता की आवश्यकता हमें दूसरे व्यक्ति से भी बिना योगदान कराने में कुशल होना । हम किसी से अपने लिए कुछ करवाने का सिर्फ एक ही तरीका जानते हैं- मांगना। एक संबंध में यह देखें 

कि दूसरा व्यक्ति भी आपके जीवन में योगदन दे ताकि वह मूल्यहीन अनुभव न करे। प्रेम बढ़ने के लिए दोनों का आत्मसम्मान आवश्यक है। जब आप किसी से प्रेम करते हैं, तो आप उन्हें सांस लेने की भी जगह नहीं देते। यह कई बार घुटन भरा हो सकता है। घुटन प्रेम को खत्म कर देती है। एक-दूसरे के स्थान का सम्मान करें। पुराने समय में पत्नियों को साल में एक महीने के लिए उनकी मां के पास भेजने की प्रथा थी। उस एक महीने में प्रेम टूढ़ होता था। प्रेम के लिए थोड़ी दूरी और जगह की आवश्यकता होती है। जैसे रेलगाड़ी की पटरी समानांतर होती है और दूर तक एक साथ जाती है, वैसे ही जब दोनों व्यक्ति एक दिश में थोड़ी जगह बनाकर चलते हैं तो लंबे समय तक साथ चलते रहते हैं। जीवन में कुछ सेवा करने का लक्ष्य भी स्खें। बांटने और सेवा करने से प्रेम करने और स्वीकार करने की क्षमता बढ़ेगी। यदि आप दोनों ने सेवा को एक उद्देश्य के रूप में रखा है और वैनें मिलकर उस दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो कभी कोई समस्या नहीं होगी। करें। यदि आपको अपना प्रेम बार- बार सिद्ध करना पड़े, तो कितना बड़ा बोझ लगेगा। प्रेम को अभिव्यक्त करना मुश्किल है। महिलाएं भावना- प्रधान होती हैं। पुरुषों को महिलाओं की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। होते हैं तो महिलाओं को अपने साथी के अभिमान को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए। उनको साथी के कारण आत्मग्लानि नहीं होनी चाहिए।

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