चाबहार को लेकर भारत के समर्थन में आया तालिबान
अफगानिस्तान अपने आयात व निर्यात के लिए अभी पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर काफी हद तक निर्भर, चाबहार पोर्ट के विकल्प से एक ही कारिडोर पर अफगानिस्तान की निर्भरता हो जाएगी खत्म
चाबहार को लेकर भारत के समर्थन में आया तालिबान
अफगानिस्तान अपने आयात व निर्यात के लिए अभी पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर काफी हद तक निर्भर, चाबहार पोर्ट के विकल्प से एक ही कारिडोर पर अफगानिस्तान की निर्भरता हो जाएगी खत्म
अफगानिस्तान में सत्ता संभाल रहे तालिबान ने चाबहार पोर्ट Aको लेकर खुलकर भारत का समर्थन किया है। साथ ही यह भी संकेत दिया है कि अभी तक आयातित उत्पादों के लिए पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर पूरी तरह से निर्भर अफगानिस्तान प्रशासन चाबहार पोर्ट को अपनाने को तैयार है। इसके साथ ही तालिबान ने पूर्व की अफगानिस्तान सरकार के कार्यकाल में भारत और ईरान के साथ वर्ष 2016 में किए गए तीन पक्षीय समझौते को मान्यता देने का संकेत दिया है।
तालिबान के प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद ने चाबहार पोर्ट के बारे में एक विस्तृत बयान जारी किया है। यह बयान भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट के प्रबंधन को लेकर किए गए एक समझौते के बाद आया है। बताया जा रहा है कि चाबहार पोर्ट को लेकर पूर्व में किए गए तीन पक्षीय समझौते को नए सिरे से लागू करने को लेकर भारत
ईरान व तालिबान के बीच वार्ता हो रही है। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है क्योंकि अभी इन तीनों के साथ उसके रिश्ते तनावपूर्ण हैं। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा- 'अफगानिस्तान अपने आयात और निर्यात के लिए अभी पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर काफी हद तक निर्भर है, लेकिन चाबहार पोर्ट उसे एक विकल्प देता है जिससे एक ही कारिडोर पर अफगानिस्तान की निर्भरता खत्म हो जाएगी।
इस पोर्ट से तालिबान के प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद भारत, मध्य एशिया और अन्य क्षेत्रों के बाजार तक संपर्क स्थापित हो सकता है। यह अफगानिस्तान की स्थिरता व विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। अफगानिस्तान कई देशों के साथ कारोबार कर सकता है।' उन्होंने यह भी कहा है कि चाबहार पोर्ट के सफल संचालन के लिए अफगानिस्तान की भूमिका अहम होगी।
चाबहार परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए अफगानिस्तान का राजनीतिक सहयोग भी बहुत ही जरूरी है। इस बारे में चुनौतियों को दूर करने के लिए और दीर्घकालिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ईरान और भारत के साथ लगातार समन्वय की जरूरत है। सनद रहे कि भारत की तरफ से विकसित किए जा रहे ईरान के चाबहार पोर्ट की तुलना पाकिस्तान में चीन की तरफ से निर्मित ग्वादर पोर्ट से की जाती है।
ग्वादर पोर्ट को चीन-पाकिस्तान आर्थिक कारिडोर के तहत विकसित किया जा रहा है और चीन की भी यही मंशा है कि इस पोर्ट को अफगानिस्तान होते हुए मध्य एशियाई देशों को रास्ता दिया जाए। यही वजह है कि अमेरिका के काबुल से जाने के बाद चीन ने तालिबान के साथ लगातार संपर्क बना कर रखा है। लेकिन इस योजना में एक बड़ी समस्या पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते हैं, जो लगातार खराब हो रहे हैं। यह भी एक वजह है कि तालिबान ने चाबहार पोर्ट का समर्थन करते हुए बयान जारी किया है ताकि पाकिस्तान को संदेश दिया जा सके।
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