पुतिन बढ़ाएंगे निवेश, जयशंकर बोले-बाजार खोले रूस

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी के 'मेक इन इंडिया' को सराहा, कहा- भारत में छोटे और मझोले उद्योगों के लिए काफी स्थिर माहौल राष्ट्रपति पुतिन ने 15वें वीटीबी निवेश  फोरम में कहा कि वैश्विक आर्थिकी में भारत की स्थिति को मजबूत बनाने में 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की अहम भूमिका है, जिससे मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला है और विदेशी निवेश आकर्षित करने में भी मदद मिली है।

Dec 6, 2024 - 19:31
Dec 6, 2024 - 19:32
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पुतिन बढ़ाएंगे निवेश, जयशंकर बोले-बाजार खोले रूस

यूक्रेन युद्ध ने बाद भारत और रूस के रिश्तों की तासीर बदल दी है। कभी सिर्फ सैन्य सहयोग पर केंद्रित इन दोनों देशों के रिश्तों में अर्थ का महत्व बढ़ता जा रहा है। यहीं वजह है कि जहां रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने पीएम नरेन्द्र मोदी की इंडिया फर्स्ट व मेक इन इंडिया कार्यक्रम की तारीफ करते हुए भारत में रूसी निवेश बढ़ाने का एलान किया है तो दूसरी तरफ विदेश मंत्री एस. जयशंकर की रूस सरकार से अपने बाजार को भारतीय उत्पादों के लिए और ज्यादा खोलने की मांग कर दी है। रूस और भारत का द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2024 में 70 अरब डालर को पार करने की तरफ अग्रसर है। इसमें रूस से खरीदे जाने वाले कच्चे तेल की हिस्सेदारी काफी है जिससे व्यापार घाटा भी बढ़ रहा है। ऐसे में भारत-रूस अपना निर्यात बढ़ाने की कोशिश में हैं।


राष्ट्रपति पुतिन ने 15वें वीटीबी निवेश  फोरम में कहा कि वैश्विक आर्थिकी में भारत की स्थिति को मजबूत बनाने में 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की अहम भूमिका है, जिससे मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला है और विदेशी निवेश आकर्षित करने में भी मदद मिली है। भारत में छोटे व मझोले उद्योगों के लिए भी काफी स्थिर नीतिगत माहौल दिया है और इसके लिए पीएम मोदी की आर्थिक नीतियों को श्रेय जाता है। इस क्रम में उन्होंने कहा, 'पीएम मोदी के कार्यक्रम मेक इन इंडिया के तहत हम भारत में मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र लगाने को तैयार हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में इंडिया फर्स्ट की नीति लागू की गई है, जिससे स्थिरता आई है। हमें लगता है कि भारत में निवेश करना फायदे का सौदा है।'


पुतिन के इस बयान के कुछ ही घंटे बाद नई दिल्ली में उद्योग चैंबर एसोचैम के एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि रूस को अपने बाजार भारत के लिए और ज्यादा खोले जाने चाहिए। हम रूस सरकार पर दबाव बना रहे हैं और हमें रूस की इकोनमी में ज्यादा हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत की कृषि उत्पाद बनाने वाली और फार्मा कंपनियों के लिए रूस में बड़ा बाजार हो सकता है। जयशंकर के इस बयान से एक महीने पहले भारत-रूस द्विपक्षीय कारोबार व निवेश बढ़ाने को लेकर गठित अंतर-सरकारी समिति की बैठक हुई है। बताया जाता है कि अक्टूबर, 2024 में जब पीएम मोदी ने कजान (रूस) में पुतिन से मुलाकात की थी तब बढ़ते कारोबार घाटा (रूस से आयात बहुत ज्यादा और निर्यात बहुत कम) का मुद्दा उठाया था।

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