प्राचीन कथाओं का आधुनिकीकरण

नरेंद्र कोहली समेत अनेक साहित्यकारों की सूची में आलोक व मयंक अग्रवाल भी शामिल हैं। उनकी रचना 'देवों का उदय' पौराणिक कथाओं को लेकर लिखा गया उपन्यास है,

Mar 3, 2024 - 23:38
Mar 4, 2024 - 12:07
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प्राचीन कथाओं का आधुनिकीकरण

प्राचीन कथाओं का आधुनिकीकरण

भारत में पौराणिक घटनाओं से प्रेरित साहित्य रचना की संस्कृति नवीन नहीं है, परंतु विगत वर्षों में कई ऐसे साहित्यकार हुए हैं, जिन्होंने अपने रचनाकर्म से युवा पीढ़ी को इन्हें केवल मिथक कथाओं के रूप में देखने से आगे की एक दृष्टि दी है। अमीश त्रिपाठी, देवदत्त पटनायक, नरेंद्र कोहली समेत अनेक साहित्यकारों की सूची में आलोक व मयंक अग्रवाल भी शामिल हैं। उनकी रचना 'देवों का उदय' पौराणिक कथाओं को लेकर लिखा गया उपन्यास है, जिसमें लेखकद्वय ने हजारों वर्ष पूर्व देवों की एक नई उभरती विकसित सभ्यता की कल्पना की है।

पौराणिक कथाओं को आधुनिक मोड़ मिलता है

आधुनिक भारतीय लेखकों में प्राचीन भारतीय साहित्य और लोकप्रिय किंवदंतियों से विषयों को चुनने और उन्हें अतीत की घटनाओं की अपनी व्याख्या के साथ अलग ढंग से प्रस्तुत करने की एक स्पष्ट प्रवृत्ति है। तर्कशास्त्रियों का एक वर्ग इन किंवदंतियों को ठोस सबूतों के अभाव में मिथकों के रूप में वर्णित करता है। यद्यपि, लाखों लोगों के लिए वे दृढ़ विश्वास और वास्तविक घटनाओं के विषय हैं। विज्ञान के इस युग में, हमारा मस्तिष्क बिना साक्ष्य या उचित स्वीकार्य तर्क के किसी भी आख्यान को स्वीकार करने से इन्कार करता है इसलिए लेखकद्वय ने अपनी इस रचना में पौराणिक कथाओं के पीछे तर्क खोजने का प्रयास किया है।

इस पुस्तक में लेखकढ्य ने हजारों वर्ष

पूर्व सुरों की कुछ शाखाएं, जो अपने मूल निवास हिमालय की तराइयों से निकलकर सुदूर पश्चिम में बस गई, उनकी कथा को एक रोचक रूप देने का प्रयास किया है। उनके अनुसार, धीरे-धीरे वे आज के भारत से लेकर पश्चिम एशिया तक स्थान-स्थान पर फैल गए। नई सभ्यताओं ने जन्म लिया और आवागमन के नए मार्ग स्थापित हुए। विश्व के बड़े भू-भाग पर शासन करने वाले सुरों ने देव की उपाधि धारण कर ली। समय के साथ सुर दो समूहों में विभाजित हो गए। वे, जो सुरों की कठिन सिद्धांतों वाली जीवन- पद्धति से सहमत नहीं थे, उन्होंने असुर नाम अपना लिया। सुरों और असुरों के बीच प्राय झड़पें होती रहती थीं, परंतु समुद्री मार्गों की तलाश के लिए उन्होंने मिलकर समुद्र मंथन अभियान चलाया, जो उन्हें आश्चयों और रहस्यों के लोक में ले गया। इस रहस्यलोक में उन्हें मिला सोम नामक अमृत, जिस पर अधिकार को लेकर एक बार फिर सुरों और असुरों के मध्य विवाद उत्पन्न हो गया। 'देवों का उदय' में लेखकद्वय ने इन्हीं प्राचीन कथाओं को लेकर एक उपन्यास का रूपदिया है। इस कृति में कल्पना और पौराणिक कथाओं को एकसाथ

ग्रीक और हिंदू पौराणिक कथाएँ: क्या ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं? | कीर्तन  के द्वारा | मध्यम

जोड़कर इसे औपन्यासिक रूप दिया गया है, जिसकी कथा न केवल रोचक और मनोरंजक है, बल्कि प्राचीन विश्व के प्रति जिज्ञासा भी उत्पन्न करती है पुस्तक : देवों का उदय

प्रकाशक प्रभात प्रकाशन लेखक: आलोक अग्रवाल एवं मयंक अग्रवाल मूल्य 500 रुपये

लेखकद्वय ने अपनी इस रचना में सुरों या देवताओं को अग्रणी मानव जाति माना है, जिन्हें प्रकृति के बारे में बेहतर ज्ञान था। लेखकद्वय के अनुसार, असुर भी सुरों की तरह ही एक श्रेष्ठ मानव जाति थे, लेकिन सुरों के साथ उनके वैचारिक मतभेदों के कारण वे हमेशा उनके साथ युद्धरत रहते थे। यह अच्छी तरह से जानते हुए कि सभ्यता तभी समृद्ध हो सकती है, जब सुर और असुरों की दो श्रेष्ठ शक्तियां एक साथ आएं। 'वसुधैव कुटुंबकम' यानी 'विश्व एक परिवार हैं' भगवान विष्णु का आदर्श वाक्य था। इसी कारण वे सुर और असुरों को संयुक्त रूपदेवा का उदय

से 'समुद्र मंथन' अभियान चलाने के लिए एक साथ लाए। यद्यपि, अभियान की खोजों को लेकर, विशेष रूप से सोम या अमृत को लेकर दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए। इस काल के लिखित इतिहास का अभाव है। यही कारण है कि लेखकद्वय ने अपनी इस रचना में कल्पना और वेदों- पुराणों के तत्वों को एकसाथ जोड़कर एक सुगंधित पुष्प माला को पिरोया है जिनकी पंखुड़ियां पाठकों को एक अद्भुत अनुभव देती हैं। यह उपन्यास न केवल पाठकों को रोचक और मनोरंजक लगेगा, बल्कि यह उनमें प्राचीन अज्ञात विश्व के प्रति जिज्ञासा भी उत्पन्न करेगा।

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