केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को पत्र लिखने के साथ सीपीसीबी

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को पत्र लिखने के साथ सीपीसीबी देगा सुझाव, सीपीसीबी की बोर्ड बैठक में हुआ विचार, अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के लिए जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की तकनीक पर भी होगा काम

May 28, 2024 - 20:30
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केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को पत्र लिखने के साथ सीपीसीबी

सिंगापुर की तर्ज पर अपशिष्ट जल को पीने योग्य बनाने पर होगा काम

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को पत्र लिखने के साथ सीपीसीबी देगा सुझाव, सीपीसीबी की बोर्ड बैठक में हुआ विचार, अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के लिए जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की तकनीक पर भी होगा काम

सिंगापुर की तर्ज पर अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित देश के अन्य हिस्सों में भी अपशिष्ट जल को पीने योग्य बनाने पर काम होगा। सीवरेज और औद्योगिक इकाइयों के अपशिष्ट जल को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) यह पहल करेगा। इस पहल के साथ-साथ दूषित जल के पुनः उपयोग को लेकर भी राज्यों को सख्त दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। इस संदर्भ में हाल ही में हुई सीपीसीबी की बोर्ड बैठक में विचार विमर्श भी किया जा चुका है।


दरअसल, औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट जल का शोधन करने के लिए सभी राज्यों में कामन इफ्यूलेट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) लगे हैं तो सीवरेज के जल को शोधित करने के लिए एसटीपी यानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित हैं। अपशिष्ट जल को पुनःउपयोग लायक बनाने के लिए इनमें मानक भी तय हैं, लेकिन या तो ये सीईटीपी और एसटीपी खराब ही पड़े रहते हैं अथवा फिर मानकों के अनुरूप काम नहीं करते। नतीजा, अपशिष्ट जल का पुनःउपयोग तो सुनिश्चित हो ही नहीं पाता, नदियों में जाकर उनका जल भी प्रदूषित करता है। दूसरी और, जल संकट से जूझ रहे देश के विभिन्न हिस्सों की समस्या के समाधान की दिशा में कोई मदद भी नहीं मिल पाती। 

इसी के मद्देनजर सीपीसीबी की बोर्ड बैठक में भी इस मुद्दे पर विचार किया गया। तय हुआ कि अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग करने के लिए सीपीसीबी जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) पर काम करेगा। सभी राज्यों को निर्देश दिए जाएंगे कि अपने एसटीपी तथा सीईटीपी पर जेडएलडी के फार्मूले का प्रयोग करें, ताकि पानी बिल्कुल  भी बर्बाद नहीं हो। साथ ही पुनःउपयोग के लिए भी तैयार किया जा सके। इसके अलावा सीपीसीबी केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को पत्र लिखने के साथ- साथ सुझाव भी देगा कि किस तरह सिंगापुर माडल को अपनाते हुए अपशिष्ट जल को भी पीने योग्य बनाकर पेयजल संकट की समस्या का निदान किया जा सकता है। प्रयास किया जाएगा कि जल संचयन की अवधारणा के साथ अपशिष्ट जल की भी बर्बादी नहीं हो।

जीरो लिक्विड डिस्चार्ज आज समय की मांग बन गया है। अगर पानी की बर्बादी नहीं रोकी गई और अपशिष्ट जल का पुन उपयोग आरंभ नहीं किया तो भविष्य मे अभूतपूर्व जल संकट उत्पन्न होने की प्रबल संभावना है। इसीलिए हम लोग सीपीसीबी के स्तर पर कुछ पहल शुरू कर रहे हैं। अब यह समय ही बताएगा कि किस हद तक इस पहल का सकारात्मक परिणाम आता है। -
डा. अनिल गुप्ता, बोर्ड सदस्य, सीपीसीबी

क्या है जीरो लिक्विड डिस्चार्ज
जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) जल उपचार प्रक्रियाओं का एक वर्गीकरण है, जिसका उद्देश्य अपशिष्ट जल को कम करना व स्वच्छ पानी का उत्पादन करना है। ऐसा पानी जो पुनः उपयोग (उदाहरण के लिए सिंचाई) के लिए उपयुक्त है

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