पिछले तीन चुनाव का चुनावी अंतर कितना, MP की 29 सीटों का विश्लेषण
मालवा के महासंग्राम में साल 2014 के मुकाबले 4.5 फ़ीसदी ज़्यादा वोटिंग रही...जानिए साल 2019 का कितना अंतर
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शुभम द्विवेदी, स्तंभकार
देश में सात चरणों में चुनाव होने हैं। चौथे चरण में मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना समेत 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 96 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई । इस फेज में 1717 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है। जिनके लिए 17.48 करोड़ वोटर्स ने मतदान किया। 96 लोकसभा सीट में से 40 से अधिक पर वर्तमान में सांसद हैं। लोकसभा चुनाव के पहले तीन चरणों की अगर बात की जाए तो...पहले फेज में 66.14 प्रतिशत...दूसरे फेज में 66.71 प्रतिशत और तीसरे 65.68 प्रतिशत मतदान हुआ था। जिसके बाद कम वोटिंग प्रतिशत को लेकर प्रधानमंत्री कई बार चिंता जता चुके हैं।
देश के बाद अब देश के दिल मध्यप्रदेश में हुए मतदान की बात कर लेते हैं। प्रदेश की 8 सीटों इंदौर, उज्जैन, देवास, रतलाम, मंदसौर, धार, खरगोन और खंडवा सीट पर मतदान हुआ...इस बार क़रीब 71.72 फीसदी वोटिंग हुई। सबसे ज़्यादा खरगोन में 75.79 फ़ीसदी वोटिंग हुई..और सबसे कम इंदौर में 60.53 फ़ीसदी मतदान हुआ। हालांकि इस परिणाम को कांग्रेस अपने नोटा अभियान को वोट करने वाले अभियान की कामयाबी के तौर पर पेश कर रही है। जबकि आठों सीटों पर मौजूदा वक्त में बीजेपी के ही सांसद है।
उधर, मध्यप्रदेश में अब 29 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। लेकिन बीते दो चुनाव के आंकड़ों की बात की जाए...तो सभी चरणों में मतदान का प्रतिशत कम ही रहा। साल 2019 में पहला चरण की सभी 6 सीटों पर क़रीब 7.78 फ़ीसदी कम वोटिंग हुई। दूसरा चरण की सभी 6 सीटों पर क़रीब 9.05 फ़ीसदी कम मतदान हुआ। तीसरा चरण की सभी 9 सीटों पर 2019 के मुकाबले 0.67 फ़ीसदी कम वोटिंग हुई...तो वहीं...चौथा चरण की सभी 8 सीटों पर 2019 के मुकाबले 4.25 फ़ीसदी कम वोटर पोलिंग बूथ तक पहुंचे। एक चुनाव और पीछे का परिणाम आपको बता देते हैं...इस बार के पहला चरण की सभी 6 सीटों पर 2014 के मुकाबले 2.19 % कम वोटिंग हुई। दूसरे चरण की सभी 6 सीटों पर 2014 के मुकाबले 2.09 फ़ीसदी मतदान हुआ। इस साल के तीसरा चरण की सभी 9 सीटों पर 2014 के मुकाबले 8.34 फ़ीसदी कम मतदान हुआ। तो चौथे चरण में सभी 8 सीटों पर 2014 के मुकाबले 4.5 फ़ीसदी ज़्यादा वोटिंग रही।
मालवा-निमाड़ का चुनावी मीटर :
चौथे चरण के चुनाव में इंदौर सीट सबसे ज़्यादा चर्चा में रही...क्योंकि कांग्रेस के प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया । जिसके बाद कांग्रेस ने नोटा यानी नॉन ऑफ द अबव के पक्ष में वोट करने के लिए अभियान चलाया था। इंदौर में बीजेपी ने शंकर लालवानी को चुनावी मैदान में उतारा। उज्जैन सीट अनुसूचित जाति वर्ग यानी SC के लिए आरक्षित है । मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव का गृह क्षेत्र है । बीजेपी ने अनिज फिरोजिया और कांग्रेस ने महेश परमार पर दांव खेला। इस सीट को दलित बहुल क्षेत्र माना जाता है। बीजेपी का कैडर काफी मजबूत है । कांग्रेस ने आरक्षण, संविधान का मुद्दा उठाया था। रलताम सीट पर कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया पर दांव खेला है। 70 साल के कांतिलाल भूरिया के सामने बीजेपी ने 40 साल की अनीता सिंह चौहान को उतारा। अनीता के लिए बीजेपी ने तीनों मंत्री चेतन कश्यप, नागर सिंह चौहान, निर्मला भूरिया को चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस सीट पर भील-भिलाला की फाइट है।
वहीं, खंडवा के मतदाताओं ने कांग्रेस के नरेंद्र पटेल और बीजेपी के ज्ञानेश्वर पाटिल की किस्मत को ईवीएम में कैद कर दिया है। इस सीट पर 2019, 2014 में नंदकुमार सिंह चौहान और साल 2009 में अरुण यादव भी सांसद रह चुके हैं। खरगोन सीट पर मौजूदा सांसद और बीजेपी प्रत्याशी गजेंद्र पटेल के सामने कांग्रेस ने पोरलाल खरते को टिकट दिया...कांग्रेस ने बड़वानी-सेंधवा के आदिवासी वोटर्स में सेंध लगाई। तो पीएम मोदी और राहुल गांधी ने भी इस सीट पर चुनावी सभा की। देवास सीट की अगर बात की जाए तो बीजेपी के महेंद्र सिंह सोलंकी और कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय के बीच कांटे की टक्कर है। देवास सीट पर बीजेपी की ओर से हिन्दुत्व का एजेंडा खेला गया। कांग्रेस ने बीजेपी से आए दीपक जोशी को चुनावी प्रचार की कमान सौंपी थी। मंदसौर लोकसभा सीट पर बीजेपी के सुधीर गुप्ता और कांग्रेस के दिलीप सिंह गुर्जर के बीच मुकाबला रहा। सुधीर गुप्ता जीत की हैट्रिक लगाने के लिए उतरे हैं। उनके पहले साल 2009 में कांग्रेस की मीनाक्षी नटराजन सांसद रहीं। अब देश में सबसे ज़्यादा चर्चित धार के बारे में बता देते हैं...धार सीट पर बीजेपी ने 46 साल की सावित्री ठाकुर और कांग्रेस ने 45 साल के राधेश्याल मुवेल पर विश्वास जताया। भोजशाला का सर्वे के बहाने भाजपा ने वोटबैंक को साधने की कोशिश की। तो कांग्रेस ने आदिवासी क्षेत्र में जातिगत जनगणना को अपना वोटकार्ड बनाकर खेला है।
MP में साल 2019 का रिजल्ट क्या रहा...
पहला चरण: सभी 6 सीटों पर 2019 के मुकाबले 7.78% कम वोटिंग
दूसरा चरण: सभी 6 सीटों पर 2019 के मुकाबले 9.05% कम वोटिंग
तीसरा चरण: सभी 9 सीटों पर 2019 के मुकाबले 0.67% कम वोटिंग
चौथा चरण: सभी 8 सीटों पर 2019 के मुकाबले 4.25 % कम वोटिंग
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MP में साल 2014 का रिजल्ट क्या रहा...
पहला चरण: सभी 6 सीटों पर 2014 के मुकाबले 2.19 % कम वोटिंग
दूसरा चरण: सभी 6 सीटों पर 2014 के मुकाबले 2.09% कम वोटिंग
तीसरा चरण: सभी 9 सीटों पर 2014 के मुकाबले 8.34% कम वोटिंग
चौथा चरण: सभी 8 सीटों पर 2014 के मुकाबले 4.5 फ़ीसदी ज़्यादा वोटिंग
29 सीटों का जानिए, क्या है मतदान का प्रतिशत
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MP: पहला फेज, 19 अप्रैल को 66.44 % वोटिंग
लोकसभा क्षेत्र – 2014 2019 2024
सीधी 56.86 69.5 55.19
शहडोल 62.2 74.73 63.73
जबलपुर 58.53 69.43 60.52
मंडला 66.71 77.76 72.92
बालाघाट 68.21 77.61 73.18
छिंदवाड़ा 79.05 82.39 78.67
कुल 65.26 75.23 67.45
(मतदान % प्रतिशत में है)
(सभी 6 सीटों पर 2019 के मुकाबले 7.78% कम वोटिंग)
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MP: दूसरा फेज, 26 अप्रैल को 58% से ज्यादा वोटिंग
लोकसभा क्षेत्र 2014 2019 2024
रीवा 53.74 60.33 49.44
सतना 62.63 70.71 61.87
खजुराहो 51.36 68.30 56.91
दमोह 55.33 65.82 56.40
टीकमगढ़ 50.16 66.57 59.79
होशंगाबाद 65.80 74.19 67.16
कुल 56.50 67.65 58.59
(सभी 6 सीटों पर 2019 के मुकाबले 9.05% कम वोटिंग)
(मतदान % प्रतिशत में है)
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MP: तीसरे फेज, 7 मई को 66.20 % वोटिंग
लोकसभा क्षेत्र 2014 2019 2024
मुरैना 50.18 61.89 58.22
भिंड 45.58 54.42 54.87
ग्वालियर 52.8 59.78 61.68
गुना 60.89 70.32 71.53
सागर 58.67 65.51 65.19
राजगढ़ 65.71 74.39 75.39
विदिशा 57.75 71.79 74.05
भोपाल 64.03 65.7 62.29
बैतूल 65.17 78.15 72.65
कुल 57.86 66.88 66.20
(मतदान % प्रतिशत में है)
(सभी 9 सीटों पर 2019 के मुकाबले 0.67% कम वोटिंग)
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MP: चौथा फेज, 13 मई को 8 सीटों पर 71.72 फीसदी मतदान हुआ
लोकसभा क्षेत्र 2014 2019 2024
देवास 70.08 79.5 74.08
उज्जैन 66.6 75.4 73.03
मंदसौर 71.4 77.9 74.50
रतलाम 63.6 75.7 72.86
धार 64.6 75.3 71.50
इंदौर 62.3 69.3 60.53
खरगोन 67.7 77.8 75.79
खंडवा 71.5 76.9 70.72
कुल 67.22 75.97 71.72
(मतदान % प्रतिशत में है)
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