चुनावी चक्र: इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे के किले से कुर्सी का किस्सा..!

कमलनाथ और बीजेपी के बीच मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में 'साख' को लेकर सियासी संकट है। बीजेपी मध्यप्रदेश में मिशन-29 फतह करने की कोशिश में है, जबकि कमलनाथ अपने किले को बचाने की कोशिश में हैं। चुनावी चक्र का फैसला 4 जून को होगा।

Apr 13, 2024 - 00:24
Apr 13, 2024 - 05:36
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चुनावी चक्र:  इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे के किले से कुर्सी का किस्सा..!

शुभम द्विवेदी, स्तंभकार

कमल और इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे कमलनाथ पर चुनावी बात कर रहे हैं। कैसे दिल्ली दरबार में राजनीति का ककहरा सीखने वाला एक शख्स मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा मॉडल का मसीहा बन जाता है। फिर सूबे में बीजेपी की हैट्रिक जीत वाली सरकार के विजय रथ को 15 महीने के लिए रोक देता है। अब दिल्ली से ही आकर बीजेपी के दिग्गज ही कमलनाथ के किले को फतह करना चाहते हैं। मध्यप्रदेश में बीजेपी मिशन-29 फतह करना चाहती है। साल 2019 के चुनाव में मध्यप्रदेश में बीजेपी को 29 में से 28 सीटें मिली थी। जबकि कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में ही केवल कांग्रेस जीतने में सफल रही। अबकी बार बीजेपी ने कमलनाथ के किले पर बीजेपी का पताका लहराने का संकल्प लिया है।

वहीं, पॉलिटिकल पंडितों का कहना है कि एक बार फिर से लोकसभा चुनाव में बीजेपी का नाथ परिवार से सीधा मुकाबला है। क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने बीजेपी प्रत्याशी विवेक बंटी साहू को 34 हज़ार वोट से हराया था। लेकिन इस बार बीजेपी हाई कमान ने विवेक बंटी साहू को दिल्ली दरबार में जीतकर आने का मौक़ा दिया है। जबकि कांग्रेस का नाथ परिवार पर विश्वास के साथ ही नकुलनाथ को दूसरी बार बतौर लोकसभा प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारा है। 

12 अप्रैल को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा छिंदवाड़ा के दौरे पर रहे। उन्होंने परिवारवाद के बहाने नाथ और कांग्रेस पर परिवारवाद के गंभीर आरोप लगाए। इस दौरान सीएम मोहन समेत बीजेपी प्रदेश के तमाम दिग्गज मौजूद रहे। कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को भी महाकौशल क्लस्टर का प्रभारी बनाया गया। बीजेपी के कई दिग्गज खुद को मोदी का परिवार बताते हैं, और यही वजह है कि कमलनाथ का हाथ छोड़कर उनके कईं करीबी, मोदी का परिवार का हिस्सा बन रहे हैं। कमलनाथ ने जिस विक्रम अहाके को मेयर बनाया। वो आज बीजेपी में हैं। अमरवाड़ा विधायक राजा कमलेश शाह भी कमलनाथ को छोड़कर कमल चिंह वाली पार्टी का दामन थाम चुके हैं। चौरई के पूर्व विधायक गंभीर सिंह चौधरी भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और इन सब में सबसे बड़ा जो कांग्रेस को झटका मिला। वो पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना ने दिया। वो तो बीजेपी में गए, साथ ही दीपक सक्सेना के बेटे अजय सक्सेना भी बीजेपी की टोली में शामिल हो गए। ये कुछ बड़े नाम थे।

लेकिन कांग्रेस का कुनबा दिनों दिन कम हो रहा है। छिंदवाड़ा के मेयर विक्रम अहाके के साथ 10 पार्षद भी बीजेपी की टीम का हिस्सा बन चुके हैं। कई गांव के सरपंच और हज़ारों लोग भी बीजेपी का पट्टा पहन चुके हैं। आज जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित सक्सेना भी अपने नाथ को छोड़कर कमल के साथ को पसंद कर लिया है। यानी अमित सक्सेना भी आज से बीजेपी नेता हैं। हालांकि बीजेपी की ओर से महाकौशल के मन में मोदी मैजिक को जारी रखने की कोशिश की जा रही है। यही वजह है कि जबलपुर में पीएम नरेंद्र मोदी ने रोड शो किया। और महाकौशल की चार सीटें जबलपुर,छिंदवाड़ा, बालाघाट और मंडला में मोदी की गारंटी का संदेश दिया। अब स्वयं बीजेपी के चाणक्य और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी 16 अप्रैल को छिंदवाड़ा के दौरे पर रहेंगे। सबसे बड़ा सवाल यही है कि कमलनाथ अकेले कैसे अपने किले को बचा पाएंगे। क्या कमलनाथ का हाथ सिर्फ सियासत के सफर में आगे बढ़ने के लिए लोगों ने थाम रखा था। बीजेपी के लिए क्या केवल मोदी की गारंटी ही मिशन-29 फतह करने के लिए काफी है। अबकी बार नकुलनाथ और विवेक बंटी साहू के बीच कांटे की टक्कर है। 24 का चुनावी चक्र कौन जीतेगा... ये 4 जून को ही पता चलेगा।

(नोट: इस लेख का मकसद किसी पार्टी और व्यक्ति को आहत करना नहीं है)

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।