भारत ने कनाडा की संसद में निज्जर को 'एक मिनट का मौन' का विरोध किया

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा, "हम हिंसा की वकालत करने वाले और चरमपंथ को राजनीतिक जमीन मुहैया कराने वाले किसी भी कदम का स्वाभाविक रूप से विरोध करते हैं।

Jun 22, 2024 - 06:09
Jun 22, 2024 - 06:11
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भारत ने कनाडा की संसद में  निज्जर को 'एक मिनट का मौन' का विरोध किया

भारत ने कनाडा की संसद में  निज्जर को 'एक मिनट का मौन' का विरोध किया

भारत ने शुक्रवार को कनाडा की संसद द्वारा खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की याद में 'एक मिनट का मौन' रखे जाने की कड़ी आलोचना की है। निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा, "हम हिंसा की वकालत करने वाले और चरमपंथ को राजनीतिक जमीन मुहैया कराने वाले किसी भी कदम का स्वाभाविक रूप से विरोध करते हैं।" उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह के कार्य आतंकवाद को बढ़ावा देने के समान हैं और उन्हें किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जा सकता।

कनाडा की संसद ने दो दिन पहले असामान्य कदम उठाते हुए निज्जर की याद में 'एक मिनट का मौन' रखा था, जिससे दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंधों में और खटास आ गई।

पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की 'संभावित' संलिप्तता का आरोप लगाया था। इस आरोप के बाद दोनों देशों के संबंधों में गंभीर तनाव उत्पन्न हो गया था। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को 'बेतुका' बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि कनाडा वहाँ से संचालित खालिस्तान समर्थक तत्वों को बिना रोक-टोक के स्थान दे रहा है।

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने पिछले हफ्ते कहा था कि कनाडा के साथ भारत का मुख्य मुद्दा ओटावा द्वारा भारत-विरोधी तत्वों को राजनीतिक जगह मुहैया कराना है, जो उग्रवाद और हिंसा की वकालत करते हैं। उन्होंने कहा, "यह बहुत चिंता का विषय है कि कनाडा आतंकवादियों को पनाह दे रहा है।"

भारत द्वारा आतंकवादी घोषित किये गये हरदीप सिंह निज्जर को पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मार दी गई थी। इस घटना के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।

भारत का कहना है कि कनाडा को आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए और चरमपंथियों को किसी भी प्रकार का समर्थन नहीं देना चाहिए। इस तरह के कदमों से दोनों देशों के बीच रिश्तों में और अधिक तनाव उत्पन्न हो सकता है और वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है।

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