17 अक्टूबर की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ

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Oct 14, 2024 - 18:13
Oct 14, 2024 - 18:43
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17 अक्टूबर की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ

1. 1870 - कलकत्ता बंदरगाह संवैधानिक निकाय के तहत: 1870 में, कलकत्ता बंदरगाह (अब कोलकाता पोर्ट) को एक संवैधानिक निकाय के प्रबंधन में लाया गया, जिससे बंदरगाह के संचालन में सुधार हुआ। यह कदम ब्रिटिश शासन के दौरान उठाया गया था, ताकि बंदरगाह की गतिविधियों को संगठित तरीके से संचालित किया जा सके और व्यापारिक जहाजों के आगमन और प्रस्थान की प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके। इस निर्णय ने कोलकाता बंदरगाह को भारत के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में से एक बना दिया और इसके जरिए ब्रिटेन और अन्य देशों के साथ समुद्री व्यापार में वृद्धि हुई।

2. 1888 - थॉमस एडिसन का ऑप्टिकल फोनोग्राफ पेटेंट: 1888 में, महान आविष्कारक थॉमस अल्वा एडिसन ने ऑप्टिकल फोनोग्राफ के लिए पेटेंट आवेदन किया। यह उपकरण ध्वनि रिकॉर्डिंग और पुनरुत्पादन के लिए था। एडिसन का यह आविष्कार ध्वनि रिकॉर्डिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। फोनोग्राफ ने संगीत, भाषण, और अन्य ध्वनियों को स्थायी रूप से रिकॉर्ड करने और सुनने की क्षमता प्रदान की, जिससे संगीत उद्योग, शिक्षा, और मीडिया में क्रांति आई। एडिसन के इस आविष्कार ने आधुनिक ध्वनि प्रौद्योगिकी के लिए आधार तैयार किया।

3. 1912 - बुल्गारिया, यूनान और सर्बिया का ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ युद्ध: 1912 में, बुल्गारिया, यूनान और सर्बिया ने ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। यह बाल्कन युद्ध का हिस्सा था, जिसमें इन देशों ने ओटोमन साम्राज्य के अधीन क्षेत्रों को स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष किया। इस युद्ध के परिणामस्वरूप ओटोमन साम्राज्य ने अपने यूरोपीय क्षेत्र के बड़े हिस्से को खो दिया, और बाल्कन प्रायद्वीप में शक्ति संतुलन बदल गया। यह युद्ध बाल्कन राज्यों की राष्ट्रीयता की भावना और उनकी स्वतंत्रता की आकांक्षा का प्रतीक था।

4. 1917 - ब्रिटेन का जर्मनी पर प्रथम हवाई हमला: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, 17 अक्टूबर 1917 को ब्रिटेन ने जर्मनी पर अपना पहला हवाई हमला किया। यह हमला ब्रिटिश रॉयल फ्लाइंग कोर द्वारा किया गया था और इसका उद्देश्य जर्मन सैन्य और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुँचाना था। यह हमला विमानन तकनीक के बढ़ते महत्व को दर्शाता है और यह विश्व युद्धों के दौरान हवाई युद्ध की बढ़ती भूमिका का प्रतीक बना।

5. 1933 - अल्बर्ट आइंस्टीन का नाजी जर्मनी से अमेरिका जाना: 1933 में, प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने नाजी जर्मनी की बढ़ती यहूदी-विरोधी नीतियों के कारण अमेरिका का रुख किया। जर्मनी में यहूदी वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों पर अत्याचार हो रहे थे, और आइंस्टीन ने इस दमन से बचने के लिए जर्मनी छोड़ दिया। अमेरिका में, आइंस्टीन ने प्रिंसटन विश्वविद्यालय में काम किया और वहीं से अपने विज्ञान और मानवाधिकारों के कार्यों को जारी रखा।

6. 1941 - जर्मनी की पनडुब्बी द्वारा अमेरिकी पोत पर हमला: 17 अक्टूबर 1941 को, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जर्मन पनडुब्बी यू-बोट ने पहली बार एक अमेरिकी जहाज पर हमला किया। यह घटना अमेरिका के लिए एक निर्णायक क्षण थी, क्योंकि इसने संयुक्त राज्य अमेरिका को युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया। इस हमले ने अटलांटिक महासागर में जर्मन यू-बोट्स की बढ़ती ताकत और खतरों को उजागर किया।

7. 1979 - मदर टेरेसा को शांति का नोबेल पुरस्कार: 1979 में, मदर टेरेसा को गरीबों और असहायों की सेवा के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी मानवीय सेवाओं के लिए यह विश्वव्यापी मान्यता थी, जो उन्होंने कोलकाता में 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' के माध्यम से की। मदर टेरेसा ने जीवन भर गरीबों, बीमारों और अनाथों की निःस्वार्थ सेवा की, और उनके कार्यों ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया। उनका नोबेल पुरस्कार विश्व शांति और मानवता की सेवा के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का सम्मान था।

8. 2000 - पश्चिम एशिया शांति वार्ता: 2000 में, पश्चिम एशिया में शांति वार्ता सम्पन्न हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के तीन सूत्रों पर सहमति व्यक्त की। यह वार्ता इसराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। हालांकि इस शांति वार्ता से तत्काल समाधान नहीं निकला, लेकिन इसने क्षेत्रीय शांति के लिए एक आधार तैयार किया और आगे की बातचीत के लिए रास्ता खोला।

9. 2003 - चीन का अंतरिक्ष में मानव भेजने की सफलता: 17 अक्टूबर 2003 को, चीन ने सफलतापूर्वक अपना पहला मानव अंतरिक्ष मिशन पूरा किया, जिससे वह एशिया का पहला और दुनिया का तीसरा देश बन गया जिसने अंतरिक्ष में मानव भेजा। यह ऐतिहासिक उपलब्धि यांग लिवेई के नेतृत्व में हुई, जो चीन के पहले अंतरिक्ष यात्री बने। इस मिशन ने चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया और इसे प्रमुख अंतरिक्ष शक्तियों में शामिल किया।

10. 2004 - गुआंतानामो बे बंदीगृह यातना का खुलासा: 2004 में, गुआंतानामो बे में अमेरिकी सैनिकों द्वारा बंदियों को अमानवीय यातनाएँ दिए जाने का खुलासा हुआ। इस रहस्योद्घाटन ने दुनिया भर में आक्रोश फैलाया और अमेरिकी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए। मानवाधिकार संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और अमेरिका पर बंदियों के साथ उचित न्यायिक प्रक्रिया का पालन करने का दबाव बनाया।

सर सैयद अहमद ख़ाँ (1817 जन्म): सर सैयद अहमद ख़ाँ भारतीय शिक्षा और समाज सुधारक थे, जिन्होंने 1817 में जन्म लिया। वे अलीगढ़ ओरिएंटल कॉलेज (अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) के संस्थापक थे। उनका मुख्य उद्देश्य भारतीय मुसलमानों में आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देना था, जिससे उन्हें समाज और राजनीति में प्रगति मिल सके। उन्होंने भारतीय मुसलमानों को विज्ञान और अंग्रेजी शिक्षा के महत्व को समझाने के लिए कड़ी मेहनत की। उनके सुधारवादी विचारों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक नया अध्याय लिखा और मुसलमानों के बीच आधुनिक सोच को बढ़ावा दिया।

2. सिस्टर यूप्रासिआ (1877 जन्म): सिस्टर यूप्रासिआ भारतीय ईसाई महिला संत थीं, जिनका जन्म 17 अक्टूबर 1877 को हुआ। उन्होंने अपने जीवन को भगवान के प्रति समर्पित कर दिया और कर्नाटक की कैथोलिक चर्च में सेवा की। सिस्टर यूप्रासिआ ने अपने धर्म के प्रति अद्वितीय निष्ठा और गरीबों की सेवा के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। उनकी सेवाओं और धर्म के प्रति उनकी भक्ति के कारण उन्हें कैथोलिक चर्च द्वारा संत की उपाधि दी गई, और वे भारतीय ईसाई समाज में अत्यधिक आदरणीय हैं।

3. आर. के. शनमुखम चेट्टी (1892 जन्म): आर. के. शनमुखम चेट्टी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे, जो स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री बने। उनका जन्म 17 अक्टूबर 1892 को हुआ था। वे भारतीय संसद में पहले बजट पेश करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने स्वतंत्र भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और वित्तीय ढांचे को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी आर्थिक नीतियों ने देश को शुरुआती वित्तीय स्थिरता प्रदान की और उन्हें भारत के महान वित्तीय व्यक्तियों में से एक माना जाता है।

4. शिवानी (1923 जन्म): शिवानी भारतीय साहित्य की प्रमुख उपन्यासकार थीं, जिनका जन्म 17 अक्टूबर 1923 को हुआ। वे हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित लेखिकाओं में गिनी जाती हैं। उनके उपन्यासों और कहानियों में ग्रामीण और शहरी जीवन का अद्वितीय वर्णन मिलता है। उनकी रचनाओं में स्त्री-जीवन, समाज, और पारिवारिक मुद्दों की गहरी समझ देखने को मिलती है। शिवानी ने हिंदी साहित्य में एक नया मोड़ दिया और उनकी रचनाएँ आज भी व्यापक रूप से पढ़ी और सराही जाती हैं।

5. चंद्रशेखर रथ (1929 जन्म): चंद्रशेखर रथ ओडिशा के प्रसिद्ध कथाकार और साहित्यकार थे, जिनका जन्म 17 अक्टूबर 1929 को हुआ। वे ओडिया साहित्य में अपनी अनूठी कहानियों और उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं। रथ की लेखनी में सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों की गहरी समझ और विश्लेषण मिलता है। उन्होंने ओडिशा के समाज, परंपराओं और मानव संवेदनाओं को अपनी रचनाओं के माध्यम से जीवंत किया, जिससे उन्हें ओडिया साहित्य के प्रमुख स्तंभों में शामिल किया गया।

6. एस. सी. जमीर (1931 जन्म): एस. सी. जमीर नागालैंड के छठे मुख्यमंत्री थे, जिनका जन्म 17 अक्टूबर 1931 को हुआ। वे नागालैंड की राजनीति में प्रमुख हस्ती थे और उन्होंने राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जमीर ने नागालैंड की राजनीति में शांति और स्थिरता लाने के प्रयास किए और लंबे समय तक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की। वे नागालैंड के अलावा गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात के राज्यपाल भी रहे।

7. राजीव तारानाथ (1932 जन्म): राजीव तारानाथ एक प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीतकार हैं, जिनका जन्म 17 अक्टूबर 1932 को हुआ। वे सरोद के महारथी माने जाते हैं और भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनका योगदान अभूतपूर्व है। उन्होंने संगीत को एक आध्यात्मिक साधना के रूप में देखा और उनकी प्रस्तुतियाँ संगीत प्रेमियों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय रहीं। तारानाथ को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं और वे भारतीय संगीत की धरोहर को सहेजने में लगे रहे।

8. दूधनाथ सिंह (1936 जन्म): दूधनाथ सिंह हिंदी साहित्य के प्रमुख साहित्यकार थे, जिनका जन्म 17 अक्टूबर 1936 को हुआ। वे अपने उपन्यास, कहानियों, निबंधों और नाटकों के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी लेखनी में सामाजिक, राजनीतिक और मानवीय मुद्दों पर गहन विचार मिलता है। दूधनाथ सिंह की रचनाओं ने हिंदी साहित्य में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, और वे अपने यथार्थवादी और तर्कशील लेखन के लिए माने जाते हैं।

9. स्मिता पाटिल (1955 जन्म): स्मिता पाटिल भारतीय सिनेमा की एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री थीं, जिनका जन्म 17 अक्टूबर 1955 को हुआ। वे अपने संवेदनशील और सशक्त अभिनय के लिए जानी जाती थीं। स्मिता पाटिल ने हिंदी सिनेमा में महिला केंद्रित भूमिकाओं के माध्यम से समाज में महिलाओं के संघर्षों और चुनौतियों को दर्शाया। उन्होंने समानांतर सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारतीय सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए।

10. अनिल कुंबले (1970 जन्म): अनिल कुंबले भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में से एक हैं, जिनका जन्म 17 अक्टूबर 1970 को हुआ। वे भारतीय क्रिकेट टीम के सफल लेग स्पिनर और कप्तान रहे हैं। कुंबले ने अपने क्रिकेट करियर में कई रिकॉर्ड बनाए, जिनमें एक टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने का दुर्लभ कारनामा भी शामिल है। उन्होंने अपनी समर्पण भावना और खेल के प्रति अनुशासन से भारतीय क्रिकेट में अद्वितीय स्थान प्राप्त किया।

11. भगवंत मान (1973 जन्म): भगवंत मान भारतीय राज्य पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं, जिनका जन्म 17 अक्टूबर 1973 को हुआ। वे एक लोकप्रिय हास्य कलाकार और राजनीतिज्ञ हैं। मान ने अपने करियर की शुरुआत हास्य प्रस्तुतियों से की और बाद में राजनीति में कदम रखा। उन्होंने आम आदमी पार्टी के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ा और 2022 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। उनके नेतृत्व में पंजाब में कई विकासात्मक और सामाजिक योजनाओं पर कार्य हो रहा है।


17 अक्टूबर के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव:

1. अंतरराष्ट्रीय निर्धनता उन्मूलन दिवस: 17 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय निर्धनता उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व स्तर पर निर्धनता के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना और गरीबी उन्मूलन के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रेरित करना है। इस दिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1992 में मान्यता दी गई थी और इसे सभी देशों में गरीबी के खिलाफ संघर्ष के रूप में मनाया जाता है।

2. राष्ट्रीय विधिक सहायता दिवस (सप्ताह): राष्ट्रीय विधिक सहायता दिवस या सप्ताह भारत में 17 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य न्याय को सभी नागरिकों के लिए सुलभ बनाना है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और न्यायिक प्रक्रिया का खर्च वहन नहीं कर सकते। यह दिन न्याय और समानता को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी सहायता सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है।

3. विश्व आघात दिवस: 17 अक्टूबर को विश्व आघात दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को आघात से बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक करना है। इस दिन स्वास्थ्य सेवाओं और संगठनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि दुर्घटनाओं, चोटों और आघात से बचाव के उपायों को व्यापक रूप से समझाया जा सके।

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