19 अक्टूबर का इतिहास

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Oct 14, 2024 - 18:30
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19 अक्टूबर  का इतिहास

1. 1689 - संभाजी का आत्मसमर्पण

19 अक्टूबर 1689 को, रायगढ़ किले में संभाजी की विधवा और उनके बच्चे ने मुग़ल सम्राट औरंगजेब के समक्ष आत्मसमर्पण किया। यह घटना भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, क्योंकि इससे मराठों की शक्ति में कमी आई और औरंगजेब ने अपने साम्राज्य का विस्तार जारी रखा। संभाजी, छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र, को उनके प्रतिरोध और साहस के लिए जाना जाता था, लेकिन उनकी हार ने मुग़ल साम्राज्य के खिलाफ मराठा संघर्ष को प्रभावित किया।

2. 1889 - नेपोलियन बोनापार्ट की सेना की वापसी

19 अक्टूबर 1889 को, फ्रांसीसी नेता नेपोलियन बोनापार्ट ने रूस की राजधानी से अपनी सेना को हटा लिया। यह कदम महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह नेपोलियन के रूस पर आक्रमण की असफलता को दर्शाता है, जिसने फ्रांसीसी साम्राज्य की शक्ति को कमजोर किया। इस घटनाक्रम ने यूरोप में सैन्य रणनीतियों को बदल दिया और अंततः नेपोलियन की हार की दिशा में अग्रसर किया।

3. 1933 - जर्मनी का मित्र राष्ट्रों की संधि से बाहर आना

19 अक्टूबर 1933 को, जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों की संधि से बाहर निकलने की घोषणा की। यह कदम अडॉल्फ हिटलर की सरकार द्वारा उठाया गया था और इसका उद्देश्य जर्मनी की सैन्य सीमाओं को पुनर्स्थापित करना और राष्ट्रीय गर्व को पुनर्जीवित करना था। इस निर्णय ने द्वितीय विश्व युद्ध की परिस्थितियों को जन्म दिया और जर्मनी को अधिक आक्रामक नीतियों की ओर अग्रसर किया।

4. 1924 - अब्दुल अज़ीज़ का पवित्र स्थानों का रक्षक घोषित होना

19 अक्टूबर 1924 को, अब्दुल अज़ीज़ ने स्वयं को मक्का में पवित्र स्थानों का रक्षक घोषित किया। यह घोषणा इस्लामी दुनिया में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम थी, जिससे अब्दुल अज़ीज़ की स्थिति मजबूत हुई। उनके इस कदम ने इस्लामी धार्मिकता और राष्ट्रवाद को एक नया मोड़ दिया, साथ ही उन्होंने पवित्र स्थलों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

5. 1950 - मदर टेरेसा की मिशनरी ऑफ़ चैरिटिज की स्थापना

19 अक्टूबर 1950 को, मदर टेरेसा ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में मिशनरी ऑफ़ चैरिटिज की स्थापना की। यह संगठन गरीबों, बीमारों, और जरूरतमंदों की सेवा के लिए समर्पित है। मदर टेरेसा का कार्य और उनका जीवन समाज में सेवा और करुणा का प्रतीक बन गए। उनकी यह पहल आज भी लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद कर रही है।

6. 1952 - श्रीरामुलू पोट्टी का आमरण अनशन

19 अक्टूबर 1952 को, श्रीरामुलू पोट्टी ने पृथक आंध्र राज्य के लिए आमरण अनशन शुरू किया। उनका यह कदम आंध्र प्रदेश के गठन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बना। उन्होंने इस आंदोलन के जरिए स्थानीय लोगों के अधिकारों और उनकी भाषाई पहचान के लिए संघर्ष किया। उनका अनशन समाज में जागरूकता पैदा करने में सहायक सिद्ध हुआ और अंततः आंध्र प्रदेश का गठन हुआ।

7. 1970 - मिग-21 का भारतीय वायु सेना में शामिल होना

19 अक्टूबर 1970 को, भारत में निर्मित पहला मिग-21 विमान भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया। यह विमान भारत की वायु शक्ति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा और इसे एक प्रमुख लड़ाकू विमान के रूप में देखा गया। मिग-21 ने भारतीय वायु सेना को आधुनिक युद्ध में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई युद्धों में इसका सफल उपयोग हुआ।

8. 1983 - भौतिकी के नोबेल पुरस्कार

19 अक्टूबर 1983 को, भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक डॉ. एस. चन्द्रशेखर को भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार अन्य अमेरिकी वैज्ञानिक प्रो. विलियम्स फ़ाउलर के साथ साझा किया गया। डॉ. चन्द्रशेखर का कार्य खगोल भौतिकी में अत्यधिक महत्वपूर्ण था, खासकर उनका अध्ययन तारे के विकास और उनकी संरचना पर आधारित था।

9. 1994 - कोरिया के लिए ऐतिहासिक समझौता

19 अक्टूबर 1994 को, जेनेवा में उत्तरी कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका ने कोरिया प्रायद्वीप को परमाणु हथियारों के प्रसार से मुक्त रखने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बनाए रखना था। यह एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि थी, जो कोरिया में तनाव को कम करने की दिशा में एक कदम थी।

10. 2003 - मदर टेरेसा का धन्य घोषित होना

19 अक्टूबर 2003 को, पोप जॉन पॉल द्वितीय ने मदर टेरेसा को धन्य घोषित किया। यह संत की उपाधि दिये जाने की दिशा में पहला कदम था। मदर टेरेसा को उनके मानवता के प्रति समर्पण और गरीबों की सेवा के लिए जाना जाता है। उनका जीवन और कार्य आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करता है और उन्हें एक सच्चे संत के रूप में देखा जाता है।

11. 2004 - अमेरिका के विदेश मंत्री का रहस्योद्घाटन

19 अक्टूबर 2004 को, अमेरिका के विदेश मंत्री कोलिन पावेल ने यह रहस्योद्घाटन किया कि अमेरिका की कोशिशों से भारत-पाकिस्तान युद्ध टला। इस दिन चीन ने अपना पहला व्यावसायिक मौसम उपग्रह छोड़ा और सू विन म्यांमार के नए प्रधानमंत्री बने। ये घटनाएँ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत थीं।

12. 2005 - सद्दाम हुसैन के खिलाफ सुनवाई

19 अक्टूबर 2005 को, ईराक के अपदस्थ राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के खिलाफ बगदाद में सुनवाई शुरू हुई। यह सुनवाई ईराक में नई सरकार और न्याय व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण थी। सद्दाम की न्यायिक प्रक्रिया ने वैश्विक स्तर पर राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया और ईराक के भविष्य की दिशा निर्धारित की।

13. 2007 - बेनजीर भुट्टो पर हमला

19 अक्टूबर 2007 को, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो पर हमले के बाद भारतीय उच्चायुक्त ने उनसे मुलाकात की। यह घटना पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता का संकेत थी और भुट्टो की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई। उनकी वापसी के समय सुरक्षा की कमी ने उनके जीवन को खतरे में डाल दिया।

14. 2008 - टाटा मोटर्स का कर्मियों को हटाना

19 अक्टूबर 2008 को, ऑटोमोबाइल बाजार में मंदी के कारण टाटा मोटर्स ने 300 अस्थायी कर्मियों को हटाया। यह कदम आर्थिक मंदी के प्रभाव को दर्शाता है और उद्योग में चल रही चुनौतियों का संकेत देता है। टाटा मोटर्स की यह कार्रवाई उद्योग में नौकरी की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा करती है।

15. 2012 - बेरुत में बम विस्फोट

19 अक्टूबर 2012 को, लेबनान की राजधानी बेरुत में एक बम विस्फोट हुआ, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई और 110 अन्य घायल हुए। यह हमला लेबनान में बढ़ती हुई हिंसा और राजनीतिक तनाव का संकेत था। यह घटना स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाती है और देश के भविष्य को प्रभावित करती है।

19 अक्टूबर को जन्मे व्यक्ति

दिव्यांश सिंह पंवार (2002)
दिव्यांश सिंह पंवार एक भारतीय निशानेबाज़ हैं जिन्होंने युवा आयु में ही निशानेबाजी में अपनी प्रतिभा साबित की है। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है, जिसमें वे कई पदक जीत चुके हैं। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस क्षेत्र में एक नई पहचान दी है। युवा खिलाड़ियों के लिए वह प्रेरणा का स्रोत बनते जा रहे हैं।

नीतू घंघास (2000)
नीतू घंघास एक उभरती हुई भारतीय मुक्केबाज़ हैं। उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में भाग लिया है और अपनी जीत से सभी को प्रभावित किया है। नीतू ने युवा मुक्केबाज़ों के बीच खुद को स्थापित किया है और भविष्य में उनके द्वारा और भी बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद की जाती है। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण उन्हें एक सफल खिलाड़ी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मातंगिनी हज़ारा (1870)
मातंगिनी हज़ारा एक प्रसिद्ध महिला क्रांतिकारी थीं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने समाज में समानता और स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा लिया। मातंगिनी का साहस और संघर्ष ने उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के बीच एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बना दिया। उनकी विरासत आज भी महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

सारंगधर दास (1887)
सारंगधर दास एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। उनकी गतिविधियाँ स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनीं। उन्होंने अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया। उनका समर्पण और बलिदान हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए संघर्ष कितना आवश्यक है।

वेंकटरामा रामलिंगम पिल्लई (1888)
वेंकटरामा रामलिंगम पिल्लई एक प्रमुख भारतीय साहित्यकार थे, जो तमिलनाडु से थे। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके काम ने समाज को जागरूक करने और सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालने का कार्य किया। पिल्लई की रचनाएँ आज भी पाठकों के बीच लोकप्रिय हैं और उनकी साहित्यिक धरोहर को संजोकर रखा गया है।

गोविन्दराम सेकसरिया (1888)
गोविन्दराम सेकसरिया स्वतंत्रता-पूर्व भारत के सबसे सफल व्यवसायियों में से एक थे। उन्होंने अपने व्यवसायिक कौशल और दूरदर्शिता के माध्यम से अपने क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित किया। सेकसरिया ने अपने जीवन में समाज सेवा और उद्यमिता के मूल्यों को प्राथमिकता दी, जिससे उन्होंने न केवल अपने व्यवसाय को विकसित किया बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य किया।

आर. सी. बोराल (1903)
आर. सी. बोराल हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार थे। उन्होंने भारतीय फिल्म संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई यादगार गीतों की रचना की। उनकी संगीत रचनाओं में गहराई और मधुरता होती थी, जो लोगों के दिलों को छू लेती थीं। बोराल का योगदान भारतीय सिनेमा की धरोहर में सदैव जीवित रहेगा।

सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (1910)
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर एक प्रसिद्ध खगोल भौतिक शास्त्री थे। उन्हें उनके अनुसंधानों के लिए व्यापक पहचान मिली, विशेषकर उनके कार्यों के लिए जिनमें उन्होंने तारों के जीवन चक्र का अध्ययन किया। चंद्रशेखर को 1983 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका योगदान विज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय है और उनकी खोजों ने खगोल भौतिकी के नए आयाम खोले।

मजाज़ (1911)
मजाज़ एक प्रसिद्ध शायर थे, जिन्होंने उर्दू साहित्य में अद्वितीय योगदान दिया। उनकी कविताओं में गहराई और भावनाओं का समावेश होता था, जो पाठकों के दिलों को छू लेता था। उनका लेखन न केवल प्रेम और दर्द को व्यक्त करता है, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डालता है। मजाज़ की शायरी आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय है।

भोलाशंकर व्यास (1923)
भोलाशंकर व्यास 'काशी' (वर्तमान बनारस) के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। व्यास की रचनाएँ समाज के विभिन्न पहलुओं को छूती हैं और वे साहित्यिक दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध हैं। उनकी रचनाएँ आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं और उनका लेखन सदैव सराहा जाता है।

सनी देओल (1961)
सनी देओल, जिनका असली नाम अजय सिंह है, हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता हैं। उन्होंने कई सफल फ़िल्मों में अभिनय किया है और भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उनके अद्वितीय अभिनय कौशल और करिश्माई व्यक्तित्व ने उन्हें दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया है। सनी देओल की फ़िल्में आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं।

निर्मला देशपांडे (1929)
निर्मला देशपांडे एक प्रसिद्ध महिला सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जो गांधीवादी विचारधारा से जुड़ी थीं। उन्होंने समाज में सुधार और महिलाओं के अधिकारों के लिए कार्य किया। उनका जीवन समाज सेवा के प्रति समर्पित रहा, और उन्होंने अपनी सक्रियता के माध्यम से कई सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का कार्य किया। उनकी कार्यशैली आज भी प्रेरणा देती है।

पाण्डुरंग शास्त्री अठावले (1920)
पाण्डुरंग शास्त्री अठावले एक प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उन्होंने भारतीय समाज में सुधार लाने के लिए कई विचार प्रस्तुत किए। उनका योगदान समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान में महत्वपूर्ण रहा। अठावले का दर्शन और सामाजिक चिंतन आज भी लोगों को प्रभावित करता है और उनकी सोच से समाज को दिशा मिलती है।

19 अक्टूबर को हुए निधन

कक्कानादन (2011)
कक्कानादन एक भारतीय लेखक, उपन्यासकार और कथाकार थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी कृतियाँ आज भी पाठकों के बीच लोकप्रिय हैं। कक्कानादन का निधन साहित्य जगत के लिए एक बड़ी क्षति है।

जॉन बोस्को जसोकी (2005)
जॉन बोस्को जसोकी भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। उनका योगदान समाज और राजनीति में महत्वपूर्ण रहा। जसोकी का निधन उनके समर्थकों और राजनीतिक सहयोगियों के लिए एक दुःखद समाचार था।

कुमारी नाज़ (1995)
कुमारी नाज़ एक प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्म अभिनेत्री थीं, जिन्होंने कई फ़िल्मों में अपने अभिनय के लिए पहचान बनाई। उन्होंने अपने करियर में विभिन्न प्रकार की भूमिकाएँ निभाईं। उनका निधन फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा नुकसान था और उनके फैंस के लिए यह एक गहरा दुखद क्षण था।

रामअवध द्विवेदी (1971)
रामअवध द्विवेदी एक प्रसिद्ध साहित्यकार थे, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से समाज को जागरूक किया। उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। द्विवेदी का निधन साहित्यिक दुनिया में एक खालीपन छोड़ गया, जो उनकी कृतियों के माध्यम से हमेशा जीवित रहेगा।

19 अक्टूबर के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव

दुनिया के स्टेट्समैन दिवस
19 अक्टूबर को दुनिया भर में स्टेट्समैन दिवस मनाया जाता है, जो नेताओं और उन व्यक्तियों की उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए समर्पित है जिन्होंने अपने देश और समाज के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। यह दिन न केवल नेताओं को सम्मानित करता है, बल्कि नागरिकों को उनके कार्यों के प्रति जागरूक भी करता है। इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें विचार-विमर्श, सम्मान समारोह और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस
19 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस भी मनाया जाता है, जो बालिकाओं के अधिकारों और उनके विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। यह दिन समाज में लिंग समानता को बढ़ावा देने और बालिकाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। विभिन्न संस्थाएँ और संगठन इस दिन कार्यक्रम आयोजित करते हैं, ताकि समाज में बालिकाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।

राष्ट्रीय कुक्कुट दिवस
19 अक्टूबर को राष्ट्रीय कुक्कुट दिवस मनाया जाता है, जो कुक्कुट पालन और इसके महत्व को उजागर करने के लिए समर्पित है। इस दिन कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में कुक्कुट पालन के फायदों के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठन इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिसमें कुक्कुट पालन के लाभों, स्वास्थ्य देखभाल और प्रबंधन के तरीकों पर चर्चा होती है।

विश्व श्वसन दिवस
19 अक्टूबर को विश्व श्वसन दिवस भी मनाया जाता है, जो श्वसन स्वास्थ्य के महत्व को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। इस दिन, स्वास्थ्य संस्थाएँ और संगठन श्वसन संबंधित बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाते हैं। विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें चिकित्सा जांच, श्वसन स्वास्थ्य पर चर्चा, और लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।

पुनर्वास दिवस
19 अक्टूबर को पुनर्वास दिवस मनाने का उद्देश्य उन लोगों के लिए समर्थन और जागरूकता बढ़ाना है जो पुनर्वास प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। यह दिन उन व्यक्तियों की कठिनाइयों और उनकी यात्रा को समझने के लिए समर्पित है, जो कठिनाईयों का सामना कर चुके हैं। विभिन्न कार्यक्रमों में पुनर्वास सेवाओं के बारे में जानकारी दी जाती है, और समाज में उन लोगों के प्रति सहानुभूति और समझ बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।

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