42 साल से बंद पीपलेश्वर शिव मंदिर: आरती करने पर पुजारी की हत्या, पीपल के पेड़ को जलाने की कोशिश, मंदिर खंडहर में तब्दील

उत्तर प्रदेश के संभल जिले का एक मंदिर, जो 42 साल से बंद पड़ा है, अब सुर्खियों में है। मेरठ के शाहगासा मोहल्ले में स्थित पीपलेश्वर शिव मंदिर 1982 से बंद है। मंदिर के बंद होने की वजह एक दुखद घटना से जुड़ी हुई है, यहां पर एक पुजारी रामभोले की आरती बजाने को लेकर […]

Dec 18, 2024 - 11:39
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42 साल से बंद पीपलेश्वर शिव मंदिर: आरती करने पर पुजारी की हत्या, पीपल के पेड़ को जलाने की कोशिश, मंदिर खंडहर में तब्दील

उत्तर प्रदेश के संभल जिले का एक मंदिर, जो 42 साल से बंद पड़ा है, अब सुर्खियों में है। मेरठ के शाहगासा मोहल्ले में स्थित पीपलेश्वर शिव मंदिर 1982 से बंद है। मंदिर के बंद होने की वजह एक दुखद घटना से जुड़ी हुई है, यहां पर एक पुजारी रामभोले की आरती बजाने को लेकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले ने न केवल धार्मिक तनाव को बढ़ाया बल्कि दोनों समुदायों के बीच एक गहरे विवाद को जन्म दिया, जो अब तक सुलझा नहीं पाया है।

जब मंदिर के पुजारी रामभोले आरती बजाते थे तो कुछ मुस्लिम लोग विरोध करते थे। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया और आखिरकार, पुजारी की हत्या कर दी गई। हत्या के बाद तनाव और दंगे भड़क उठे, और शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। इस घटना के बाद मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि यहाँ कोई मंदिर नहीं है, जबकि हिंदू पक्ष का कहना था कि यह एक प्राचीन शिव मंदिर है।

इस विवाद ने दोनों समुदायों के बीच गहरी खाई पैदा कर दी। मामला कोर्ट में चला गया, और लगभग सात साल पहले सिविल कोर्ट मेरठ का फैसला आया कि यह मंदिर ही है। हालांकि, कोर्ट का फैसला आने तक दोनों पक्षों के प्रमुख लोग, जिन्होंने इस मामले में संघर्ष किया था, अब इस दुनिया में नहीं रहे। परिणामस्वरूप, मंदिर अब खंडहर में तब्दील हो चुका है और पूरी तरह से बंद पड़ा है।

शाहगासा का क्षेत्र अब पूरी तरह से मुस्लिम बहुल है, और यहां केवल हिंदुओं की कुछ दुकानें बची हैं। इन दुकानों का काम शांम के समय बंद हो जाता है और सुबह के समय खुलता है। हालाँकि, इस इलाके में अब कोई बड़ी धार्मिक गतिविधि नहीं होती। मंदिर में एक पीपल का पेड़ है, जिसे जलाने का प्रयास किया गया है।

पीपल के पेड़ को जलाने की कोशिश

मंदिर के पुजारी की हत्या के बाद जब इलाके में दंगे भड़क गए, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इस मामले का जायजा लेने शाहगासा आईं थीं। उन्होंने हालात को समझा और लोगों का दर्द सुना, लेकिन इस विवाद का कोई ठोस हल नहीं निकला। इसके बाद से स्थिति जस की तस बनी रही और मंदिर अब तक बंद है।

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