बांग्लादेश के संघर्ष में आम जनता और बौद्धिक वर्ग पर अत्याचार

पाकिस्तानी सेना के आदेश पर बांग्लादेश के बौद्धिक समुदाय के एक बड़े वर्ग की हत्या कर दी गई थी। इतना ही नहीं आत्मसमर्पण के ठीक दो दिन पहले 14 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने 100 चिकित्सकों, प्रोफेसरों, लेखकों और इंजीनियरों को उठा लिया और उनकी हत्या कर शवों को एक सामूहिक कब्र में छोड़ […]

Dec 14, 2024 - 18:16
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बांग्लादेश के संघर्ष में आम जनता और बौद्धिक वर्ग पर अत्याचार

पाकिस्तानी सेना के आदेश पर बांग्लादेश के बौद्धिक समुदाय के एक बड़े वर्ग की हत्या कर दी गई थी। इतना ही नहीं आत्मसमर्पण के ठीक दो दिन पहले 14 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने 100 चिकित्सकों, प्रोफेसरों, लेखकों और इंजीनियरों को उठा लिया और उनकी हत्या कर शवों को एक सामूहिक कब्र में छोड़ दिया। बांग्लादेश में मुक्ति बाहिनी अपने तरीके से लड़ाई लड़ रही थी। कॉलेज के युवक-युवतियां, आम लोग सभी आज़ादी के लिए लड़ रहे थे और संघर्ष कर रहे थे। आर्चर के. ब्लड, पूर्वी पाकिस्तान में अमरीकी काउंसल जनरल के तौर पर कार्यरत थे और बांग्लादेश की स्वतंत्रता के दौरान ढाका में मौजूद थे। वहां उन्होंने जो अपनी आँखों से देखा, उसे अपनी बहु-चर्चित पुस्तक ‘द क्रूअल बर्थ ऑफ़ बांग्लादेश’ में लिखा है, “28 मार्च को मैंने एक टेलीग्राम लिखा, जिसका शीर्षक ‘सेलेक्टिव नरसंहार’ था। जहाँ तक मुझे पता है, मैंने इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल किया, लेकिन यह आखिरी बार भी नहीं था।यहाँ ढाका में हम पाकिस्तानी सेना द्वारा आतंक के मूक और भयभीत साक्षी बने हुए थे। ढाका की सड़कें हिन्दुओं से पट चुकी हैं।“

इस घटनाक्रम के दौरान ही आखिरकार पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान से स्वतंत्रता मिल गयी और एक नए देश- बांग्लादेश का उदय हुआ।

 

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