कड़क अधिकारी, समरसता के पुजारी

गत 29 दिसंबर को पटना में आचार्य किशोर कुणाल का निधन हो गया। वे एक ‘वरिष्ठ पुलिस अधिकारी होने के साथ अनेक धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संगठनों के प्रणेता थे। वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद् के अध्यक्ष, महाराजा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति, महावीर मंदिर न्यास पटना के अध्यक्ष, भारतीय वाग्मय, इतिहास […]

Jan 3, 2025 - 13:53
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कड़क अधिकारी, समरसता के पुजारी

गत 29 दिसंबर को पटना में आचार्य किशोर कुणाल का निधन हो गया। वे एक ‘वरिष्ठ पुलिस अधिकारी होने के साथ अनेक धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संगठनों के प्रणेता थे। वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद् के अध्यक्ष, महाराजा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति, महावीर मंदिर न्यास पटना के अध्यक्ष, भारतीय वाग्मय, इतिहास और संस्कृति के मूर्धन्य विद्वान थे।

उनका जीवन बहुआयामी और प्रेरणादायी रहा। उन्होंने एक दबंग और ईमानदार पुलिस अधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल में पटना को अपराधमुक्त करने में जो भूमिका निभाई, वह आज भी लोगों के मानस-पटल पर अंकित है।

पटना के महावीर मंदिर के जीर्णाेद्धार और उसे एक विश्वविख्यात धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करने का श्रेय आचार्य कुणाल को ही जाता है। पटना जंक्शन के समीप स्थित इस साधारण मंदिर को उन्होंने न केवल देश के शीर्ष आय वाले मंदिरों की श्रेणी में ला खड़ा किया, बल्कि उसकी आय का उपयोग समाज-कल्याण और धर्मार्थ कार्यों के लिए कर एक अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत किया।

उन्होंने मंदिर से प्राप्त आय का उपयोग बड़े-बड़े धर्मार्थ अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में किया, जिससे समाज के गरीब और वंचित वर्ग को लाभ मिला। समाज के पिछड़े और दबे-कुचले वर्गों के प्रति उनकी संवेदनाएं असाधारण थीं। महावीर मंदिर में एक पिछड़ी जाति के योग्य व्यक्ति को मुख्य पुजारी बनाकर उन्होंने सामाजिक समरसता का जो संदेश दिया, उसे युगों तक याद रखा जाएगा।

उन्होंने बिहार के विख्यात साहित्यकार आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव के सहयोग से ‘दलित देवोभव’ शीर्षक से दो खंडों में पुस्तक लिखी, जो भारत सरकार के प्रकाशन विभाग से प्रकाशित होकर बहुचर्चित हुई।

उन्होंने संस्कृत-साहित्य तथा प्राचीन पांडुलिपियों के संकलन तथा उद्धार के लिए बहुत प्रयत्न किए। उन्होंने महावीर मंदिर, पटना से ‘धर्मायण’ नामक से एक त्रैमासिक शोध-पत्रिका का प्रारंभ करवाया, जो आज भी प्रकाशित हो रही है। आचार्य कुणाल ने भारतीय इतिहास का गहन अध्ययन किया।

कुशल प्रशासक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने दिवंगत आचार्य किशोर कुणाल को इन शब्दों में दी श्रद्धांजलि-

पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एवं महावीर मंदिर न्यास, पटना के सुयोग्य सचिव आचार्य किशोर कुणाल जी के निधन की सूचना अत्यंत दु:खद और मर्मांतक है। हमारी संवेदनायुक्त भावनाएं उनके परिवार एवं प्रियजनों के साथ हैं। कुणाल जी एक कुशल प्रशासक और सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र के दिग्गज थे। वे भारतीय ज्ञान-परंपरा के विद्वान और अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन एवं मंदिर निर्माण के कार्य में सक्रिय सहभागी रहे। ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देकर परम शांति प्रदान करें।
ॐ शांति:॥

अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में न्यायालय के निर्णय में आचार्य कुणाल की पुस्तक ‘अयोध्या रीविजिटेड’ की निर्णायक भूमिका थी। इससे पहले प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और वी.पी. सिंह के समय उन्हें अयोध्या के दोनों पक्षों से बातचीत करने का दायित्व सौंपा गया था। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण प्रारंभ होने पर उन्होंने महावीर मंदिर न्यास की ओर से मंदिर-निर्माण के लिए 10 करोड़ का चंदा दिया। उन्होंने अयोध्या में निरंतर भंडारा चलाने की प्रथा प्रारंभ की।

2006 में बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद् का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने बिहार के प्राचीन मंदिरों के उद्धार तथा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कैमूर के मुंडेश्वरी मंदिर को देश का प्राचीनतम मन्दिर सिद्ध करने के लिए उन्होंने कई संगोष्ठियां आयोजित करवाईं। उन्होंने कंबोडिया के विश्व प्रसिद्ध अंगकोरवाट मंदिर की तर्ज पर बिहार में विश्व का सबसे बड़ा ‘विराट् रामायण मंदिर’ बनवाने का कार्य प्रारंभ करवाया, लेकिन उसके पूर्ण होने से पहले ही वे इस धरा से चल बसे। आचार्य किशोर कुणाल ‘पाञ्चजन्य’ के लेखक रहे। स्व. किशोर कुणाल को भावभीनी श्रद्धांजलि।

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