अयोध्या जी का श्री राम मंदिर होगा राष्ट्र मंदिर RAM MANDIR

Dec 13, 2023 - 21:58
Dec 13, 2023 - 21:58
 0
अयोध्या जी का श्री राम मंदिर होगा राष्ट्र मंदिर RAM MANDIR

अयोध्या जी का श्री राम मंदिर होगा राष्ट्र मंदिर

मूल विचार समरसता को राम ने अपने पूरे जीवन में प्रदर्शित किया। समाज समरस भाव से चले इस विचार को राम ने सदैव अपने आचरण में रखा। राम वनवासी हो गए, माता सीता को रावण उठा ले जाता हैं, सीता को ज़बरन ले जाना ये स्त्री अस्मिता, सम्मान के साथ जुड़ा है।

डॉ. प्रवेश कुमार

अयोध्या में प्रभु राम के मंदिर

का निर्माण का कार्य बड़ी तेज़ी   भारत के दर्शन के मूल विचार समरसता को राम ने अपने पूरे जीवन में प्रदर्शित किया। समाज समरस भाव से चले इस विचार को राम ने सदैव अपने आचरण में रखा। राम वनवासी हो गए, माता सीता को रावण उठा ले जाता हैं, सीता को ज़बरन ले जाना ये स्त्री अस्मिता, सम्मान के साथ जुड़ा है।

चल रहा है जैसे-जैसे सोशल मीडिया में मंदिर निर्माण की प्रक्रिया के चित्र जारी होते है हिन्दू समाज के भीतर एक ऊर्जा का संचार अनायास ही हो जाता है। हिन्दू समाज के लाखों बलिदानों और वर्षों के संघर्ष के परिणाम स्वरूप अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। प्रभु राम जी के मंदिर का निर्माण क्या केवल साधारण मंदिर का निर्माण है अथवा ऐसा क्या है जिसने वर्षों हिन्दू समाज के भीतर मंदिर निर्माण को लेकर आशा जगाये रखी। तो हिन्दू कहता है यह कोई आम मंदिर नहीं बल्कि हमारे प्रभु राम के जन्म स्थान से जुड़ा मंदिर है। यह केवल एक मंदिर निर्माण का मामला नहीं है, बल्कि ये भारत के उस पुरातन तत्व को पुनः प्राणप्रतिष्ठित करना है। जिस एकात्म भाव, समरस भाव को लेकर प्रभु राम ने समाज में एक आदर्श स्थापित करने का कार्य किया था। वर्षों की गुलामी ने देश के जनमानस के चिति से राष्ट्रतत्व, राष्ट्रभाव को इस प्रकार विस्मरित कर दिया था जैसे भक्त हनुमान को अपनी शक्तियों का विस्मरण हो गया था। अयोध्या में प्रभु राम के मंदिर को भव्य रूप देना भारत की हमारी उस पहचान को दुनिया से परिचय कराना है जिस पहचान में समाज के सभी लोगों, जीव जन्तु, वनस्पति, औषधि, छोटे से छोटा कीट-पतंगा तक सम्मिलित है। ये भारत भूमि का दर्शन, राष्ट्रतत्व है जो सभी के मंगल की कामना करता है, विश्व में कल्याण हो जिसके चितन का अभीष्ट है। आज जी-20 सम्मेलन में देश के यशस्वी प्रधानमन्त्री ने जो वसुद्धेव कुटुंबकम् का अहम संदेश विस्व को दिया वही संदेश तो आज से लाखों वर्ष पहले प्रभु राम ने दिया था।

क्या हमे विद्धित है की श्रीराम

मंदिर जन्मभूमि अभियान आज तक सबसे अधिक समय तक चलने वाला जन अभियान है। जिस मुस्लिम अहांताओं ने प्रभु राम के मंदिर को तोड़ा बस उसी दिन से उसके निर्माण का अभियान भी चल पड़ा था। एक और चीज हमे समझने की आवश्यकता है की श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कोई आन्दोलन नहीं था बल्कि यह एक अभियान था। आन्दोलन कहने से समाज में यह भाव निर्मित होता है कि आन्दोलन किसके विरूद्ध तो हिन्दू समाज मानता है हमारा कोई विरोधी नहीं कोई हमे माने यह अलग विषय है। श्रीराम मंदिर जन्मभूमि अभियान जन जागरण से खड़ा हुआ स्व जागृति का विषय है। हम हिन्दू समाज के लोग इस बात को बिलकुल नहीं मानते इसी लिए जब इस देश के शासक मुस्लिम, अांता थे तब हमने आंदोलन किया लेकिन आज भारत में संत समाज द्वारा और विशेषकर विश्व हिंदू परिषद ने इसे जन अभियान का रूप दे, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि स्थित मंदिर को भव्यता मिले, इस विचार को जन-जन तक पहुंचाने का काम 2 किया, भव्य मंदिर निर्माण हेतू लाख 75 हज़ार गाँवो ने शिला पूजन करके अयोध्या भेजी गई। इसी लिए मैंने कहा की अयोध्या का राम मंदिर निर्माण मात्र मंदिर उस सत्य, निर्माण नहीं अपितु भारत के विस्मृत ज्ञान परम्परा, त्याग, करुणा, समता, सामाजिक समरसता से इन सभी तत्वों को समाज परिचित करना है। वर्षों की विदेशी हमारी से दूर लेकिन थे, ये शक्तियों की अधीनता ने सांस्कृतिक विरासत को हम करने का खूब प्रयास किया ये राम ही थे, ये कृष्ण ही हमारी अध्यात्म शक्ति ही थी जो हमें आपस में एक दूसरे से जोड़ कर अब तक रखे है। राम मनोहर

लोहिया कहते है त्रेता के राम हिंदुस्तान की उत्तर-दक्षिण एकता के देव है, वही द्वापर के कृष्ण देश के पूर्व-पश्चिम एकता के अध्यात्म एकत्व भाव के आधार पर अम्बेडकर ने भारत को आध्यात्मिक रूप से एक राष्ट्र माना। कोई भी राष्ट्र अपने पुरातन इतिहास से जुड़ कर प्रेरणा लेता है और इसी इतिहास में संस्कृति के तत्व भी निहित होते है। ये सांस्कृतिक तत्व ही राष्ट्र की पहचान भी बनते है। विदेशी अांताओ ने जहाँ इस देश की धन सम्पदा को लूटा वही हमारी आस्था के केंद्रो को भी नष्ट करने का प्रयास किया। ये आस्था के केंद्र ये मंदिर, ये राम, कृष्ण, ये शिव की मूर्तियाँ किसी के लिए मात्र माटी, पत्थर की बनी कुछ आकृतियाँ हो सकती हैं, वही कुछ लोगों के लिए पत्थर की होकर भी जीवंत, सजीव देवी, ईश्वर भी है। इसी हेतु दुनिया का ये इतिहास है की जहाँ भी अहांता गये वहा पर उन्होंने प्रशासनिक अधीनता ही नहीं की बल्कि उन राष्ट्रों की संस्कृति पर उनका आमण सबसे पहले था, इसी कम में अयोध्या में प्रभु राम के जन्म स्थान पर बने मंदिर को नष्ट कर वहाँ एक मस्जिद को बना देना। लेकिन क्या हिंदू समाज ने इस ज़बरन संस्कृतिक अपहरण को स्वीकार कर लिया तो ऐसा नहीं, बल्कि इस सांस्कृतिक अतितमण के विरुद्ध वर्षों तक संघर्ष और बलिदान भी किया। जिस हिंदू समाज ने केरल में खुद इस्लामिक व्यापारियों के लिए मस्जिद का निर्माण करवा दिया तो ऐसा क्या था की बाबरी मस्जिद नामक एक ढाँचे को इसी हिंदू समाज गिरा देता है। तो ये बात मात्र मंदिर की नहीं बल्कि श्री राम जन्म भूमि का प्रश्न था राम का जन्म हुआ वही और काशी का सम्बंध आता है। ये सभी केवल मात्र नहीं है बल्कि ये

भारत की कल्पना भी हो सकती है,

देव है। इसी तो नहीं। राम मनोहर लोहिया कहते है हेभारत माता हमें शिव का मस्तिष्क दो, कृष्ण का हृदय दो तथा राम का कर्म और वचन दो इसका अर्थ प्रेम, करुणा, रोद्र, सत्य इन सभी तत्वों का मर्म हमें केवल अपनी हिंदू संस्कृति एवं प्रभू राम के जीवन को देखने से मिलता है। दुनिया में भारत की पहचान को परिचित करने हेतु अगर कोई ऐतिहासिक पहचान ढूँढीं जाए, वो इतनी सरल हो जिसके नाम मात्र के स्मरण से व्यक्ति को हिन्दुस्तान समझ आ जाये वो पहचान ही है प्रभु राम की है। राम का स्मरण होते ही उनके उस काल का स्मरण हो जाता है, जहाँ पर राजा और प्रजा में कोई भेद नहीं है, निर्माण दोनो ही एक साथ गुरुकुल में शिक्षा सरकार लेते है। निषाद और राम साथ-साथ समाज गुरुकुल में पढ़ रहे है, वही है सामाजिक अस्पृश्यता का कही नाम समाज भी नहीं था, राजा को धर्म का पालन करना, उसका अपना सुख जन सुख में ही निहित है इस भाव से अपना राजधर्म का पालन करना। भारत के दर्शन के मूल विचार समरसता को राम ने अपने पूरे जीवन में प्रदर्शित किया। समाज समरस भाव से चले इस विचार को राम ने सदेव अपने आचरण में रखा। राम वनवासी हो गए, माता सीता को रावण उठा ले जाता हैं, सीता को जबरन ले जाना ये स्त्री अस्मिता, सम्मान के साथ जुड़ा हैं। राम ने समाज में ये आदर्श स्थापित किया की स्त्री का सम्मान समाज में सर्वोच्च स्थान रखता है, राम किस प्रकार सीता जी के सम्मान के लिए इतना बड़ा युद्ध करते हैं। अपने वन गमन में केवट के साथ उनका संवाद और शबरी के झूठे बेर खाना ये सब राम को जन प्रिया बनाते हैं वही लंका विजय के लिए वे कोई राजाओं की सेना को नहीं अयोध्या में कृष्ण मथुरा शिव से मंदिर, मूर्ति भारत की जीती जागती संस्कृति है।

ये भारत की अस्मिता है इनके बाहर क्या

समाज में गिरिजन जो जंगलो में रहते है उनको संगठित करते हैं, उनको संदेश देते हैं, उनको साथ लेकर लंका विजय करते हैं। जिन गिरिजनो, दमितो को आज निम्न माना जाता है, राम ने उन्ही को संगठित किया, उनको साथ लिए और रावण जैसे परातमी को हराया। राम ने इसमें भी संदेश दिया की संपूर्ण समाज के साथ चलने से ही किसी ध्येय को प्राप्त किया जा सकता है। ये ही कारण था की राम मंदिर के निर्माण की पहली शिला का पूजन उसी समाज के व्यक्ति कामेश्वर चौपाल ने की जिसे आज हम अस्पृश्य मानते हैं। यही कारण है राम मंदिर में समाज लगा है ना की मंदिर समाज का है, ही उसका संचालन करता इसलिए मंदिर निर्माण में सम्पूर्ण अपने आर्थिक योगदान दे इस हेतु संत समाज के साथ विश्व हिंदू परिषद ने लगभग पाँच लाख गाँव में सम्पर्क कर 10 रुपए के मंदिर निर्माण सहयोग राशि से लेकर करोड़ों तक की राशि देने वालो से सम्पर्क बनाने का लक्ष्य लिया है जिसमें उसे सफलता भी मिली। ये थोड़ा-थोड़ा सहयोग जहाँ एक और राम मंदिर निर्माण में मददगार हो रहा वहीं समाज के अंतिम छोर पर बैठे हुए व्यक्ति को भी भारत के भाव, राष्ट्रतत्व के साथ जोड़ा रहा है। श्रीराम मंदिर जन्मभूमि निर्माण के बाद जब अपना पूर्ण स्वरूप लेगा उस समय भारत और दुनिया में फैले मानव समाज एक आदर्श समाज के निर्माण की दिशा निश्चित ही अग्रसर होगा।

लेखक सहायक प्रोफेसर,

तुलनात्मक राजनीति और राजनीतिक सिद्धांत का केन्द्र, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल बुलाते बल्कि समाज के भीतर से स्टडीज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली।)

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,