कवयित्री भारत कोकिला सरोजिनी नायडू और वीरांगना तलाश कुंवरी जीवनी

सरोजिनी नायडू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद में पूरी की और फिर लंदन की किंग्स कॉलेज से भी शिक्षा प्राप्त की।

Mar 2, 2024 - 10:29
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कवयित्री भारत कोकिला सरोजिनी नायडू और वीरांगना तलाश कुंवरी जीवनी
02 मार्च 1949 स्वतन्त्रता सेनानी एवं कवयित्री भारत कोकिला सरोजिनी नायडू पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन
कवयित्री भारत कोकिला सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम समय की महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में से एक थीं। यहां उनकी मुख्य जानकारी है:
 
जन्म और परिवार: सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था। उनका जन्म स्थान हैदराबाद, आंध्र प्रदेश (वर्तमान तेलंगाना) था। उनके पिता का नाम आगोरनाथ चटर्जी था, जो बंगाल से थे, और माता का नाम बारडी नायडू था।
 
शिक्षा: सरोजिनी नायडू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद में पूरी की और फिर लंदन की किंग्स कॉलेज से भी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने वहां भूगोल और राजनीति में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की।
 
कविता के क्षेत्र में प्रवृत्ति: सरोजिनी नायडू को "भारतीय कवित्री" के रूप में पहचाना जाता है। उनकी कविताएं उदार भाषा, साहित्यिक शृंगार, और राष्ट्रीय भावना के साथ भरी होती हैं।
 
योगदान: सरोजिनी नायडू ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय नेतृत्व में अपनी भूमिका के लिए बड़ा योगदान दिया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की और महात्मा गांधी के साथ समर्थन किया।
 
प्रशासनिक पदों पर: सरोजिनी नायडू ने स्वतंत्रता के बाद भारतीय स्वतंत्रता से जुड़े कई प्रमुख पदों पर कार्य किया। उन्होंने पहली महिला गवर्नर ऑफ बीयार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष और भारतीय संगीत अकादमी की स्थापित अध्यक्ष भी रहीं।
 
पुण्यतिथि- सरोजिनी नायडू का आकस्मिक निधन 2 मार्च 1949 को हुआ था। उनकी मौत राजभवन, नई दिल्ली में हुई थी।
 
सरोजिनी नायडू को उनकी कविताओं, उनके सामाजिक कार्यों, और उनके राष्ट्रीय योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है, और वे भारतीय इतिहास में महिलाओं के सशक्तिकरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए याद की जाती हैं।
 
02 मार्च 1858 स्वातन्त्र्य समर की योद्धा वीरांगना रानी तलाश कुँवरी बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन
पूर्वांचल की रानी लक्ष्मीबाई - वीरांगना तलाश कुंवरी (दिखित)

रानी तलाश कुंवरी का जन्म दुर्गवंशी दिखित राजपूत परिवार में हुआ था उनका विवाह अमोड़ा के राजा जंग बहादुर सिंह कलहंस (प्रतिहार) के साथ हुआ। बस्ती-फैजाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर छावनी के निकट स्थित अमोढ़ा में पति राजा जंगबहादुर सिंह के निधन पर राजगद्दी की कमान 1853 में संभाल लीं। रानी अमोढ़ा भी झांसी की रानी की तरह निसंतान थीं अंग्रेजों ने राज्य हड़पने की साजिश शुरू की, जिसका रानी ने हर मोर्चे पर मुबाकला किया। रानी तलाश कुंवरि ने 1857 के क्रांति की खबर मिलने के बाद अपने भरोसेमंद लोगों के साथ बैठक कीं। रानी तलाश कुंवरि के प्रोत्साहन पर क्षेत्रीय नागरिकों ने अंग्रेजों की छावनी पर हमला बोल दिया था। जनवरी 1858 अंग्रेजी सेनाओं ने रोक्राफ्ट के नेतृत्व में अमोढ़ा की ओर कूच की। जनवरी 1858 में हुई लड़ाई में अंग्रेजों को हार का मुंह देखना पड़ा था। हार से बौखलाए अंग्रेजों ने अपनी फौज बुलाया भारी संख्या में यहां के लिए तोपों का लाया गया ।रानी ने अपना किला छोड़ कर दूसरे स्थान से युद्ध का संचालन किया। नदी के किनारे अंग्रेजों को लगातार मात मिल रही थी। कर्नल रोक्राफ्ट ने नौसेना को भी बुला लिया। नौसेना का स्टीमर घाघरा नदी पर हथियारों के साथ तैनात हो गए। नेपाली सैनिकों की पर्याप्त संख्या अमोढ़ा व आसपास पहुंच गई। कर्नल रोक्राफ्ट पूर्व नियोजित रणनीति के तहत दो तरफ से रानी की सेना पर हमला कर दिया। रानी ने अपने समर्थकों से कहा कि यह मेरा आखिरी दिन है, जीते जी मैं उनके गिरफ्त में नहीं आऊंगी और 2 मार्च 1858 को उन्होंने अपनी कटार से जीवन लीला समापत कर ली।

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