Bharat Bandh: मुगलों के दौर में मजदूर कैसे करते थे हड़ताल, औरंगजेब और अकबर इसे कैसे रोकते थे? भारत बंद से उठा सवाल

Bharat band Strike in Mughal Era: देशभर में ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. 25 करोड़ कर्मचारी हड़ताल के लिए सड़कों पर हैं. अब सवाल है कि क्या हड़ताल का यही तरीका मुगलों के दौर में भी अपनाया जाता था? कैसा था विरोध जताने का तरीका और मुगल बादशाह उसे कैसे कंट्रोल करते थे?

Jul 10, 2025 - 04:45
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Bharat Bandh: मुगलों के दौर में मजदूर कैसे करते थे हड़ताल, औरंगजेब और अकबर इसे कैसे रोकते थे? भारत बंद से उठा सवाल
Bharat Bandh: मुगलों के दौर में मजदूर कैसे करते थे हड़ताल, औरंगजेब और अकबर इसे कैसे रोकते थे? भारत बंद से उठा सवाल

देश में ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने आज (नौ जुलाई 2025) को देश भर में हड़ताल का ऐलान किया है. श्रम कानूनों और निजीकरण के विरोध में 25 करोड़ से अधिक लोग देश भर में हड़ताल पर रहेंगे. इसका असर बैंकिंग, डाक सेवाओं और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर पड़ने की आशंका है. श्रमिक संगठन न्यूनतम मासिक वेतन 26 हजार रुपए करने और पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग कर रहे हैं.

वास्तव में हड़ताल अपनी मांगों को लेकर शासन-सत्ता पर दबाव बनाने का एक माध्यम है, जो आज से नहीं सदियों से चली आ रही है. पर क्या मुगलों के दौर में भी हड़ताल होती थी? अगर नहीं तो कारीगर और मजदूर विरोध कैसे जताते थे? बादशाह का रवैया कैसा रहता था और किस बादशाह के दौर में असंतोष पनपा? आइए जानने की कोशिश करते हैं.

मुगलों के समय में कैसा था हड़ताल का तरीका?

साल 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के अगले ही साल अंग्रेजों ने मुगलों से सत्ता छीन ली थी. और भारत में पहली ज्ञात हड़ताल 1862 में हुई थी. ऐसे में जाहिर है कि मुगलों के शासनकाल में विरोध जताने के लिए हड़ताल का प्रचलन नहीं था. दरअसल, अंग्रेजों के आने से पहले तक देश में ट्रेड यूनियन या मजदूरों के संगठन की कोई व्यवस्था ही नहीं थी. ऐसे में संगठित हड़ताल तो नहीं होती थी. लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं है कि सत्ता का विरोध नहीं होता था. मुगल शासन काल में भी मजदूर, किसान, कारीगर और व्यापारिक वर्ग असंतोष की स्थिति में अपना विरोध दर्ज कराते थे. खासकर मजदूर और किसानों पर जमींदार अत्याचार करते थे, तो उनका विरोध भी होता था.

मुगलों के समय में विरोध जताने के लिए कई बार मजदूर और कारीगर काम रोक देते थे. असहज स्थितियां उत्पन्न होने पर कश्मीर के शिल्पकाल, बनारसी बुनकर और राजस्थानी मूर्तिकारों ने कई बार मुगल काल में सामूहिक रूप से काम रोका था. जब ऐसा लगता था कि उनसे अनुचित शर्तों पर काम कराया जा रहा है तो कई बार मजदूर और कारीगर पलायन भी कर जाते थे. किसी जमींदार या गवर्नर की मनमानी बर्दाश्त के बाहर हो जाती थी, तब पलायन ज्यादा होता था. उस दौर में धार्मिक संप्रदाय शरण और विरोध का बेहतर माध्यम थे. इसलिए लोग उनकी शरण में भी चले जाते थे.

औरंगजेब हो या अकबर, कैसे रोकते थे हड़ताल?

अकबर हमेशा से एक उदार बादशाह माना जाता रहा है. इसलिए किसानों, मजदूरों और कारीगरों के लिए भी उसका रवैया उदार ही रहता था. जमींदारों की मनमानी रोकने के लिए उसने कई बार उपाय किए और जमीन बंदोबस्ती आदि की व्यवस्था भी शुरू की. जहांगीर ने भी अपने शासनकाल में न्यायिक सुधार किए थे और नूरजहां खुद लोगों की समस्याएं सुनती थी.

औरंगजेब अपनी छवि के अनुरूप ही कट्टर था. अपने जीवन का लंबा समय लड़ाइयों में बिताने के कारण शाही खजाने के नुकसान की भरपाई करने के लिए वह अधिक कर की मांग करता था. इसका नतीजा था कि जमींदार किसानों और मजदूरों पर अत्याचार करते थे.

औरंगजेब के शासनकाल में दूसरे धर्म के प्रति असहिष्णुता की नीति के कारण कई बार असंतोष पनपा था. दूसरे धर्म के लोगों पर कराधान की व्यवस्था भी असंतोष का कारण बनी थी. चूंकि औरंगजेब ने गैर मुस्लिमों पर जजिया कर फिर बहाल कर दिया था. शराब, संगीत और चित्रकला से जुड़े उद्योगों पर बैन लगा दिया था. इसलिए सबसे ज्यादा असंतोष भी औरंगजेब के ही शासनकाल में पनपा था.

भारत में पहली बार हड़ताल कहां हुई थी?

सबसे पहले यह जान लेते हैं कि आखिर हड़ताल होती क्यों है? वास्तव में इसके कई कारण होते हैं. पहला कारण तो आर्थिक लाभ होता है. कई बार बेहतर वेतन या मेहनताना की मांग को लेकर हड़ताल की जाती है. इसके अलावा अन्य कारणों में काम करने का माहौल, काम के घंटों की अधिकता और काम के दौरान सुरक्षा आदि की मांग, नौकरी में सुरक्षा और भेदभाव आदि भी कई बार हड़ताल की वजह बन सकते हैं.

भारत में हड़ताल का इतिहास काफी पुराना है. यह साल 1862 की बात है. अंग्रेजों के शासनकाल में साल 1862 में पश्चिम बंगाल में कलकत्ता (अब कोलकाता) के पास हुगली नदी के दूसरे किनारे पर स्थित हावड़ा स्टेशन पर हड़ताल की गई थी. यह भारत की पहली ज्ञात हड़ताल है. इस हड़ताल का कारण था काम का समय. स्टेशन पर तैनात रेलवे के 1200 कर्मचारियों ने तब आठ घंटे काम की मांग को लेकर अपनी हड़ताल की थी.

इसके बाद की बड़ी हड़तालों में आजादी के बाद साल 1974 की रेलवे के ही कर्मचारियों की हड़ताल का जिक्र होता है. तब रेलवे के 17 लाख कर्मचारियों ने 20 दिन तक हड़ताल की थी और यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल मानी जाती है. साल 1984-85 में कोयला खनिकों ने भी देश में काफी लंबी हड़ताल की थी, जिसका देश की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर काफी प्रभाव पड़ा था.

यह भी पढ़ें: भारत बंद बुलाने का अधिकार किसके पास, हिंसा के लिए कौन जिम्मेदार?

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