पुरुषों को भी मासिक धर्म होता, तो पता चलता : सुप्रीम कोर्ट

महिला सिविल जजों की बर्खास्तगी पर सुप्रीम कोर्ट का गुस्सा फूटा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से बर्खास्तगी के आधार पर मांगा स्पष्टीकरण

Dec 5, 2024 - 19:10
Dec 5, 2024 - 19:11
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पुरुषों को भी मासिक धर्म होता, तो पता चलता सुप्रीम कोर्ट Supreme Court would have known if men also had menstruation
महिला सिविल जजों की बर्खास्तगी पर सुप्रीम कोर्ट का गुस्सा फूटा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से बर्खास्तगी के आधार पर मांगा स्पष्टीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने 'नारी की गति नारी जानें' के अंदाज में छह महिला सिविल जजों को बर्खास्त करने पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को फटकार लगाई है। इस फैसले के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, 'काश पुरुषों को भी मासिक धर्म होता। तब उन्हें पता चलता कि यह क्या बला है।' सर्वोच्च अदालत ने इस बात पर भी फटकारा कि महिला जज को बर्खास्त करने के लिए केवल उनके प्रदर्शन को आधार बनाया गया, जबकि गर्भपात के चलते उनकी दुर्दशा पर ध्यान ही नहीं दिया गया। कोर्ट ने जजों की बर्खास्तगी के आधार पर हाई कोर्ट से स्पष्टीकरण मांगा है।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने सवाल उठाया कि महिला न्यायिक अफसरों का मूल्यांकन करते हुए गर्भपात के कारण हुई उनकी शारीरिक और मानसिक पीड़ा को क्यों नजरअंदाज किया गया। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने सख्त लहजे में कहा, 'मैं उम्मीद करती हूं कि पुरुष जजों पर भी यही नियम लागू किए जाते होंगे। एक महिला जज का गर्भपात हो गया था। इन हालात में एक महिला कितनी शारीरिक और मानसिक परेशानियों से जूझती है, इसका अंदाजा है? काश पुरुषों को भी मासिक धर्म होता। तब उन्हें इसका पता चलता।' अदालत ने कहा कि जजों को बर्खास्त किया जबकि कामकाज का मात्रात्मक मूल्यांकन कोविड काल के दौरान उचित नहीं है। बता दें कि असंतोषजनक प्रदर्शन के चलते मध्य प्रदेश सरकार द्वारा छह महिला न्यायिक अफसरों को बर्खास्त करने का 11 नवंबर, 2023 को सर्वोच्च अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया था। हालांकि एमपी हाई कोर्ट की फुल बेंच ने इससे पहले एक अगस्त को ही छह में से चार न्यायिक अफसरों को कुछ शर्तों के साथ बहाल कर दिया था। लेकिन अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को बहाल नहीं किया। याची जज की वकील चारु माथुर ने दलील दी कि बिना तय प्रक्रिया अपनाए बर्खास्त किया गया। उनकी कामकाज की अवधि में गर्भधारण और बच्चे की देखभाल के अवकाश को भी शामिल किया।
हाई कोर्ट को नोटिस भेजे
हाई कोर्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि अदिति कुमार शर्मा का प्रदर्शन बहुत अच्छे से अच्छा, फिर 2019-20 में औसत और उसके बाद खराब होता चला गया। वर्ष 2022 में 1500 केस लंबित थे और निस्तारण 200 से कम था। जज ने हाई कोर्ट को बताया था कि भाई को कैंसर की खबर मिलने के बाद 2021 में उनका गर्भपात हो गया था। सर्वोच्च अदालत ने बर्खास्तगी का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को नोटिस जारी किए हैं। उन न्यायिक अफसरों को भी नोटिस भेजा है जिन्होंने बर्खास्तगी के खिलाफ अदालत का रुख नहीं किया।

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