13 अप्रैल का इतिहास: जानिए आज के दिन घटी प्रमुख घटनाएं | 13 April History in Hindi

13 अप्रैल का इतिहास: जानिए देश और दुनिया में आज के दिन घटित प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं, प्रसिद्ध व्यक्तित्वों के जन्म और पुण्यतिथि, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी। 13 अप्रैल का इतिहास: जानिए आज के दिन घटी प्रमुख घटनाएं | 13 April History in Hindi History of 13 April History of India and abroad important information of today

Apr 12, 2025 - 20:50
Apr 12, 2025 - 20:59
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13 अप्रैल का इतिहास: जानिए आज के दिन घटी प्रमुख घटनाएं | 13 April History in Hindi

13 अप्रैल का इतिहास: जानिए आज के दिन घटी प्रमुख घटनाएं | 13 April History in Hindi

 13 अप्रैल जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड (1919):
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ में हजारों लोग शांतिपूर्ण सभा में एकत्र हुए थे, जब जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश और गोरखा सैनिकों ने निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। यह नरसंहार बैसाखी के दिन हुआ था, जिसमें लगभग 400 से अधिक लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई, जिसने देशभर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आक्रोश को भड़का दिया और महात्मा गांधी को असहयोग आंदोलन शुरू करने की प्रेरणा दी।


13 अप्रैल  पेरिस में शांति सम्मेलन का उद्घाटन (1919):
13 अप्रैल 1919 को प्रथम विश्व युद्ध के बाद शांति स्थापित करने के उद्देश्य से पेरिस में शांति सम्मेलन का उद्घाटन हुआ। इसमें विजयी देशों – विशेषकर फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका और इटली – ने पराजित देशों के साथ संधियाँ तय कीं। सबसे प्रमुख संधि वर्साय संधि थी, जिसे जर्मनी के साथ किया गया। इस सम्मेलन में वैश्विक राजनीति के नए समीकरण बने और लीग ऑफ नेशंस की स्थापना की आधारशिला पड़ी। हालांकि, कठोर शर्तों ने जर्मनी में असंतोष पैदा किया, जो आगे चलकर द्वितीय विश्व युद्ध का कारण बना।


13 अप्रैल  बेनिटो मुसोलिनी द्वारा इटैलियन फासिस्ट पार्टी की स्थापना (1919):
13 अप्रैल 1919 को इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी ने "इटालियन फासिस्ट पार्टी" की स्थापना की। यह एक राष्ट्रवादी और अधिनायकवादी विचारधारा पर आधारित पार्टी थी, जो प्रथम विश्व युद्ध के बाद उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट के बीच उभरी। मुसोलिनी ने शक्ति के बल पर सरकार पर कब्जा किया और एकदलीय तानाशाही शासन की स्थापना की। फासिस्ट पार्टी का मुख्य उद्देश्य इटली को पुनः महान बनाना था, परंतु इसकी नीतियाँ और विस्तारवादी सोच द्वितीय विश्व युद्ध की भूमिका तैयार करने में प्रमुख रहीं।


13 अप्रैल एस्केप का स्वर्ण जयंती सत्र और ‘चाइल्ड राइट वर्ल्डसाइट’ का गठन (1994):
13 अप्रैल 1994 को नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र एशिया-प्रशांत आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) का स्वर्ण जयंती सत्र सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर दुनियाभर के 112 नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने बच्चों के शोषण के विरुद्ध एकजुट होकर ‘चाइल्ड राइट वर्ल्डसाइट’ संगठन की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य था – वैश्विक स्तर पर बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना, बाल मजदूरी और बाल उत्पीड़न को समाप्त करना तथा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना। यह पहल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम थी। 

13 अप्रैल 2001 - अमेरिका का चीन के प्रति रुख सख्त:
2001 में अमेरिका का एक जासूसी विमान चीन के हाइनान द्वीप के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें अमेरिकी पायलटों को चीन ने हिरासत में ले लिया। 13 अप्रैल 2001 को पायलटों की सुरक्षित वापसी के बाद अमेरिका ने चीन के प्रति सख्त रुख अपनाया। इस घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया और कूटनीतिक संवाद की आवश्यकता को रेखांकित किया। यह प्रकरण अमेरिका-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने आपसी विश्वास और सैन्य गतिविधियों के नियंत्रण पर सवाल खड़े किए।


13 अप्रैल  2002 - एलटीटीई प्रमुख की शांति प्रतिबद्धता पर अमेरिका की प्रतिक्रिया:
13 अप्रैल 2002 को अमेरिका ने तमिल उग्रवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के प्रमुख वी. प्रभाकरण की शांति के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता का स्वागत किया। प्रभाकरण ने उस समय श्रीलंका सरकार के साथ शांति वार्ता में रुचि दिखाई थी। अमेरिका ने इसे सकारात्मक कदम बताया, लेकिन साथ ही एलटीटीई से हिंसा त्यागने और राजनीतिक समाधान अपनाने की उम्मीद जताई। यह बयान उस समय आया जब श्रीलंका में लंबे समय से चल रहे गृहयुद्ध को खत्म करने के प्रयास हो रहे थे।


13 अप्रैल 2003 - एलटीटीई ने टोकियो सम्मेलन का बहिष्कार किया:
13 अप्रैल 2003 को एलटीटीई ने जापान के टोकियो में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सहायता सम्मेलन का बहिष्कार किया। यह सम्मेलन श्रीलंका के पुनर्निर्माण और शांति प्रक्रिया को सहयोग देने के लिए आयोजित किया गया था। एलटीटीई ने सरकार के साथ समझौतों पर असहमति जताते हुए इस सम्मेलन में भाग नहीं लिया। इससे शांति प्रक्रिया को झटका लगा और यह स्पष्ट हुआ कि दोनों पक्षों के बीच भरोसे की भारी कमी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस निर्णय को निराशाजनक बताया।


13 अप्रैल2004 - ब्रायन लारा की 400 रनों की ऐतिहासिक पारी:
13 अप्रैल 2004 को वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज़ ब्रायन लारा ने इंग्लैंड के खिलाफ एंटीगुआ टेस्ट मैच में नाबाद 400 रन बनाए। यह पारी टेस्ट क्रिकेट इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी है। लारा ने यह रिकॉर्ड दूसरी बार अपने नाम किया, उन्होंने इससे पहले 375 रन भी बनाए थे। इस पारी में उन्होंने 582 गेंदों का सामना किया और 43 चौके तथा 4 छक्के लगाए। लारा की यह उपलब्धि उन्हें क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाजों की सूची में और मजबूत स्थान दिलाती है।


13 अप्रैल 2005 - विश्वनाथन आनंद चौथी बार विश्व शतरंज चैम्पियन बने:
13 अप्रैल 2005 को भारत के ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने चौथी बार विश्व शतरंज चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया। आनंद ने फिडे (FIDE) द्वारा आयोजित विश्व शतरंज चैम्पियनशिप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए खिताब जीता। उनकी यह जीत न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि थी, बल्कि भारत के लिए भी गर्व का विषय बनी। आनंद की तेज़ सोच, रणनीतिक क्षमता और स्थिरता ने उन्हें विश्व स्तर पर एक अत्यंत सम्मानित खिलाड़ी बनाया। उनका यह खिताब भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक बना।


 13 अप्रैल 2007 - भारत-रूस कूटनीतिक संबंधों के 60 वर्ष पूर्ण:
13 अप्रैल 2007 को भारत और रूस के बीच कूटनीतिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे हुए। इस अवसर पर दोनों देशों ने अपनी दीर्घकालिक मित्रता और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत और रूस के बीच रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, व्यापार और सांस्कृतिक क्षेत्रों में मजबूत सहयोग रहा है। इस दिन को दोनों देशों ने विशेष समारोहों और उच्च स्तरीय बैठकों के माध्यम से मनाया, जिससे यह संदेश गया कि दोनों राष्ट्र भविष्य में भी पारस्परिक सहयोग को प्राथमिकता देंगे।

13 अप्रैल 2008 - उत्तर प्रदेश में महंगाई भत्ता वेतन में शामिल:
13 अप्रैल 2008 को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के नगर निगमों के लगभग 18 हज़ार कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए उनके 50% महंगाई भत्ते को मूल वेतन में शामिल करने का फैसला लिया। यह निर्णय कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। इससे न केवल कर्मचारियों के पेंशन और भविष्य निधि में वृद्धि हुई, बल्कि उनकी मासिक आय में भी स्थायी सुधार हुआ। यह फैसला राज्य सरकार की कर्मचारी हितैषी नीतियों का प्रतीक माना गया।


13 अप्रैल  2008 - बिहार मंत्रिमंडल का विस्तार:
13 अप्रैल 2008 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। इस विस्तार में विभिन्न जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नए चेहरों को शामिल किया गया, जिससे उनकी सरकार को राजनीतिक स्थिरता और संतुलन मिला। नीतीश कुमार का यह कदम सुशासन और विकास की दिशा में उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह विस्तार उनके गठबंधन सहयोगियों को संतुष्ट करने और प्रशासनिक कार्यक्षमता बढ़ाने की दिशा में अहम माना गया।


13 अप्रैल  2008 - चीन में कोयला खदान विस्फोट:
13 अप्रैल 2008 को चीन के लियाओनिंग प्रांत के हुलुदाओ शहर की एक कोयला खदान में जोरदार विस्फोट हुआ, जिसमें 14 खनिकों की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा चीन की खनन सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। चीन में कोयला खनन उद्योग में दुर्घटनाएं आम रही हैं, और इस घटना ने फिर से यह मुद्दा उजागर किया कि श्रमिकों की सुरक्षा के उपायों में सुधार की सख्त आवश्यकता है। हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चलाए गए।


13 अप्रैल  2010 - परमाणु सामग्री की सुरक्षा पर वैश्विक संकल्प:
13 अप्रैल 2010 को वॉशिंगटन डी.सी. में आयोजित परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में दुनिया के लगभग 50 देशों ने अगले चार वर्षों में संवेदनशील परमाणु सामग्री को पूरी तरह सुरक्षित बनाने का संकल्प लिया। इस सम्मेलन का उद्देश्य परमाणु आतंकवाद को रोकना और वैश्विक स्तर पर परमाणु सुरक्षा को मजबूत करना था। सम्मेलन में अमेरिका और रूस ने 68 टन प्लूटोनियम को नष्ट करने के समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जिससे दोनों देशों ने परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने की दिशा में गंभीरता दिखाई। 

13 अप्रैल  राजभाषा विभाग द्वारा 'हिन्दी शब्द संसाधन' का लोकार्पण:
13 अप्रैल को गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग ने हिन्दी को कंप्यूटर पर अधिक सुगमता से प्रयोग में लाने के उद्देश्य से 'हिन्दी शब्द संसाधन' का इंटरनेट और पुस्तक संस्करण जारी किया। इसका लोकार्पण केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय माकन ने किया। यह शब्द संसाधन कंप्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग, शब्दावली और तकनीकी शब्दों के उपयोग को आसान बनाने में मदद करता है। इसे केंद्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान ने तैयार किया है। इसका उद्देश्य कार्यालयीन कामकाज में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देना और तकनीकी बाधाओं को दूर करना है।


13 अप्रैल  2018 - 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा:
13 अप्रैल 2018 को 65वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों की घोषणा की गई। दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी को फ़िल्म "मॉम" के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान किया गया। यह उनकी पहली राष्ट्रीय पुरस्कार जीत थी और इसे उनके सशक्त अभिनय के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में देखा गया। अभिनेता विनोद खन्ना को भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से मरणोपरांत सम्मानित किया गया। इन पुरस्कारों ने भारतीय सिनेमा में योगदान देने वाले दिवंगत कलाकारों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। 

13 अप्रैल ऋतु करीधल (जन्म हुआ था 13 अप्रैल 1975)
ऋतु करीधल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की प्रख्यात महिला वैज्ञानिक हैं। उन्हें भारत के चंद्रयान-2 मिशन की 'मिशन डायरेक्टर' के रूप में विशेष पहचान मिली। 'रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया' के नाम से प्रसिद्ध ऋतु लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक और आईआईटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर हैं। उन्होंने भारतीय महिलाओं को विज्ञान के क्षेत्र में प्रेरणा दी है। उन्होंने कई अंतरिक्ष अभियानों में योगदान दिया है और भारत की वैज्ञानिक क्षमता को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है।


13 अप्रैल  सुनील अरोड़ा (जन्म हुआ था 13 अप्रैल 1956)
सुनील अरोड़ा भारत के 23वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे हैं। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के राजस्थान कैडर से कार्यभार संभाला था और अनेक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। निर्वाचन आयोग में उनका कार्यकाल पारदर्शिता और निष्पक्ष चुनावों के लिए जाना गया। उन्होंने डिजिटल तकनीकों और मतदाता जागरूकता अभियानों को भी बढ़ावा दिया। उनके नेतृत्व में भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए, जिससे लोकतांत्रिक प्रणाली की मजबूती में योगदान मिला।


13 अप्रैल  सतीश कौशिक (जन्म हुआ था 13 अप्रैल 1956)
सतीश कौशिक हिंदी सिनेमा के बहुप्रतिभाशाली अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक थे। उनका जन्म 13 अप्रैल 1956 को हुआ था। उन्होंने 'कैलेंडर' (मिस्टर इंडिया), 'पप्पू पेजर' (दीवाना मस्ताना) जैसे हास्य किरदारों से दर्शकों के दिल में जगह बनाई। निर्देशक के रूप में उन्होंने 'हम आपके दिल में रहते हैं' और 'तेरे नाम' जैसी फिल्में बनाई। उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) से अभिनय की शिक्षा ली थी। सिनेमा में उनके योगदान को आज भी सराहा जाता है।


13 अप्रैल  वी. आर. खानोलकर (जन्म हुआ था 13 अप्रैल 1895)
वी. आर. खानोलकर एक प्रसिद्ध भारतीय रोग विज्ञानी (पैथोलॉजिस्ट) थे, जिन्होंने भारत में कैंसर रिसर्च और ट्यूमर पैथोलॉजी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। उन्होंने भारत में मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान को नई दिशा दी और टाटा मेमोरियल अस्पताल के स्थापना काल में विशेष भूमिका निभाई। उन्होंने भारत में कैंसर के प्रकारों पर गहन अध्ययन किया और भारतीय संदर्भ में चिकित्सकीय दृष्टिकोण विकसित करने में योगदान दिया। उन्हें भारतीय चिकित्सा विज्ञान में अग्रणी विशेषज्ञों में गिना जाता है।


13 अप्रैल  स्वाति तिरुनल (जन्महुआ था 13 अप्रैल  1813)
स्वाति तिरुनल राम वर्मा त्रावणकोर राज्य (वर्तमान केरल) के महाराजा और एक महान संगीतज्ञ थे। वे कर्नाटक संगीत परंपरा के महानतम संगीतज्ञों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने संस्कृत, मलयालम, तेलुगु और तमिल में सैकड़ों रचनाएँ कीं, जिनमें भक्ति, शृंगार और दार्शनिक तत्व प्रमुख हैं। वे पश्चिमी संगीत से भी प्रभावित थे और भारतीय संगीत में नवाचार लाने का कार्य किया। शासन के साथ-साथ संगीत और कला को संरक्षण देना उनकी विशेषता थी। 

13 अप्रैल हैरी ग्राहम हैग (जन्म हुआ था 13 अप्रैल 1881)
हैरी ग्राहम हैग ब्रिटिश शासन काल में एक वरिष्ठ प्रशासक रहे, जो उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रांत) में राज्यपाल के पद पर कार्यरत रहे। वे भारतीय सिविल सेवा (ICS) के अधिकारी थे और ब्रिटिश नीतियों के अनुसार प्रशासन चलाते थे। उनकी नियुक्ति उस दौर में हुई जब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन जोर पकड़ रहा था। हैग जैसे अधिकारी भारत में ब्रिटिश शासन की रीति-नीति का संचालन करते थे, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उन्हें एक औपनिवेशिक प्रशासक के रूप में ही देखा जाता है।


13 अप्रैल  चन्दूलाल शाह (जन्म हुआ था 13 अप्रैल 1898)
चन्दूलाल शाह हिन्दी सिनेमा के शुरुआती दौर के मशहूर निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक थे। उन्होंने सन् 1920 और 30 के दशक में कई हिट फिल्में बनाई और रणजीत स्टूडियो की स्थापना की, जो उस समय का प्रमुख फिल्म निर्माण केंद्र बन गया। उनकी फिल्में सामाजिक मुद्दों को दर्शाने के साथ-साथ मनोरंजन का भी स्रोत रहीं। उन्होंने सिनेमा को व्यावसायिक पहचान दिलाने में योगदान दिया और कई उभरते सितारों को मंच प्रदान किया। भारतीय सिनेमा के विकास में उनका स्थान ऐतिहासिक है।


13 अप्रैल  के. पी. सक्सेना (जन्म हुआ था 13 अप्रैल 1932)
के. पी. सक्सेना एक प्रसिद्ध भारतीय व्यंग्यकार और लेखक थे। वे हिन्दी साहित्य में अपने तीखे और मार्मिक व्यंग्य लेखन के लिए प्रसिद्ध थे। 'नukkad', 'देख भाई देख', और 'लगान' जैसी फिल्मों और धारावाहिकों में उनके संवाद लेखन की भी सराहना हुई। उन्होंने सामाजिक विसंगतियों, राजनीति और आमजन की समस्याओं पर पैनी नजर डालते हुए हास्य के माध्यम से गंभीर विषयों को प्रस्तुत किया। उनकी लेखनी सरल, सहज और आम आदमी से जुड़ी होती थी, जो पाठकों के दिल को छूती थी।


13 अप्रैल नजमा हेपतुल्ला (जन्म हुआ था 13 अप्रैल1940)
नजमा हेपतुल्ला एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ, लेखक और पूर्व राज्यपाल हैं। वे राज्यसभा की उपसभापति रह चुकी हैं और अंतर-संसदीय संघ की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला हैं। वे कांग्रेस और बाद में भाजपा से जुड़ी रहीं। अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री के रूप में भी उन्होंने कार्य किया। उनका राजनीतिक जीवन महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए समर्पित रहा। वे साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय रही हैं और अनेक लेखों और पुस्तकों की रचयिता हैं।


13 अप्रैल  वर्मा मलिक (जन्म हुआ था 13 अप्रैल 1925)
वर्मा मलिक हिन्दी सिनेमा के जाने-माने गीतकार थे। उन्होंने 1950 के दशक से लेकर 1980 तक कई सुपरहिट गानों के बोल लिखे। उनके प्रसिद्ध गीतों में "चुनरी संभाल गोरी", "एक तारा बोले", "चल संन्यासी मंदिर में" आदि शामिल हैं। उनके गीतों में भारतीय संस्कृति, भक्ति, प्रेम और सामाजिक सरोकारों की झलक मिलती है। उन्होंने पंजाबी और हरियाणवी फिल्मों में भी गीत लिखे। उनकी लेखनी सरल, प्रभावशाली और मधुर भावनाओं से परिपूर्ण होती थी, जो श्रोताओं के दिल को छू जाती थी। 

13 अप्रैल  बलबीर सिंह जूनियर (निधन हुआ था 13 अप्रैल 2021)
बलबीर सिंह जूनियर भारतीय हॉकी टीम के पूर्व खिलाड़ी थे। वे 1950 के दशक में भारतीय हॉकी के स्वर्ण युग का हिस्सा रहे। उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया और देश को कई जीत दिलाने में योगदान दिया। वे भारतीय सेना में भी सेवाएं दे चुके थे। उनकी खेल भावना, अनुशासन और समर्पण के कारण वे युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने। उनके निधन से हॉकी जगत ने एक अनुभवी और समर्पित खिलाड़ी को खो दिया, जिनकी सेवाओं को हमेशा याद किया जाएगा।


13 अप्रैल  बाबू गुलाबराय (निधन हुआ था 13 अप्रैल 1963)
बाबू गुलाबराय हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार, निबंधकार और व्यंग्यकार थे। उन्होंने हिन्दी साहित्य को दर्शन, समाज और संस्कृति से जोड़ते हुए सरल, व्यावहारिक और प्रभावशाली भाषा में लेखन किया। उनके निबंधों में गंभीर विचारों को भी व्यंग्य और हास्य के माध्यम से प्रस्तुत करने की विशेष शैली थी। ‘हिन्दी निबंध’ को एक सशक्त विधा बनाने में उनका योगदान अतुलनीय रहा। वे ‘मनोविज्ञान’ और ‘दर्शन’ विषयों के जानकार थे और उनके साहित्य में इन विषयों की झलक स्पष्ट दिखाई देती है।


13 अप्रैल बलराज साहनी (निधन हुआ था 13 अप्रैल 1973)
बलराज साहनी हिन्दी सिनेमा के एक महान और गंभीर अभिनेता थे, जिनकी अभिनय शैली यथार्थवादी और सशक्त मानी जाती है। उन्होंने 'दो बीघा ज़मीन', 'गर्म कोट', 'काबुलीवाला' जैसी क्लासिक फिल्मों में अभिनय कर सिनेप्रेमियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। वे भारतीय जन नाट्य संघ (IPTA) से जुड़े थे और समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे। फिल्मों में उनके अभिनय की सबसे बड़ी खासियत थी – सहजता और संवेदनशीलता। उनके निधन से भारतीय सिनेमा ने एक सच्चे कलाकार और सामाजिक विचारक को खो दिया।


 बी. पी. मंडल (निधन हुआ था 13 अप्रैल1982 को 


बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल, जिन्हें बी. पी. मंडल के नाम से जाना जाता है, बिहार के मुख्यमंत्री और प्रसिद्ध राजनेता थे। वे 'मंडल आयोग' के अध्यक्ष के रूप में अधिक चर्चित हुए, जिसकी रिपोर्ट ने भारत में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की दिशा तय की। उनका राजनीतिक जीवन सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित रहा। मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव आया और यह सामाजिक संरचना में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ। उनका योगदान आज भी प्रासंगिक बना हुआ है। 

13 अप्रैल को रेल सप्ताह भी मनाया जाता है 
हर वर्ष 13 अप्रैल से 'रेल सप्ताह' की शुरुआत होती है, जो भारतीय रेल की उपलब्धियों और सेवाओं का उत्सव होता है। यह सप्ताह रेलवे कर्मचारियों की मेहनत और समर्पण को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है। इस दौरान देशभर में विशेष कार्यक्रम, प्रदर्शनियाँ, सेमिनार और पुरस्कार वितरण आयोजित किए जाते हैं। रेलवे भारत की जीवनरेखा है, और 'रेल सप्ताह' इसके योगदान को रेखांकित करता है। इस अवसर पर नई योजनाओं की घोषणा और यात्रियों के लिए सुविधाओं में सुधार की दिशा में भी कदम उठाए जाते हैं।


13 अप्रैल 1919 जलियांवाला बाग़ हत्याकांड स्मृति दिवस
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में ब्रिटिश जनरल डायर के आदेश पर निहत्थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई थी, जिसमें सैकड़ों भारतीय मारे गए। इस क्रूर घटना की याद में हर वर्ष 13 अप्रैल को 'जलियांवाला बाग़ हत्याकांड स्मृति दिवस' मनाया जाता है। यह दिन ब्रिटिश अत्याचारों की भयावहता और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनता के बलिदान को स्मरण करने का दिन है। इस अवसर पर देशभर में श्रद्धांजलि सभाएँ आयोजित होती हैं और युवाओं को देशभक्ति व स्वतंत्रता के मूल्य सिखाए जाते हैं।


13 अप्रैल  खालसा पंथ स्थापना दिवस (बैसाखी)
13 अप्रैल 1699 को सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसी दिन को बैसाखी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है, जो पंजाब और सिख धर्म के लिए अत्यंत पावन दिन है। गुरु जी ने पांच प्यारों को दीक्षा दी और 'सवा लाख से एक लड़ाऊँ' का सिद्धांत दिया। खालसा पंथ सिख धर्म के अनुशासन, वीरता और सेवा की भावना का प्रतीक है। इस दिन गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन, नगर कीर्तन और लंगर का आयोजन होता है, और श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा से इस दिन को मनाते हैं। 

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