ताइवान से लेकर बंगाल की खाड़ी तक… चीन पसार रहा अपने पांव, भारत समेत ये पड़ोसी देश भी तैयारी में जुटे

चीन की ताइवान पर आक्रामकता और बंगाल की खाड़ी में संदिग्ध गतिविधियां चिंता का विषय हैं. ताइवान ने "कांटेदार रक्षा नीति" अपनाई है जबकि चीन अपनी एम्फीबियस गाड़ियों से ताइवान पर हमला करने की तैयारी कर रहा है. चीन के अनुसंधान पोतों की गतिविधियां भारत के लिए सुरक्षा चुनौती हैं. भारत नौसेना निगरानी बढ़ा रहा है और बांग्लादेश के साथ सहयोग कर रहा है ताकि चीन की गतिविधियों पर अंकुश लगा सके.

Jul 11, 2025 - 19:41
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ताइवान से लेकर बंगाल की खाड़ी तक… चीन पसार रहा अपने पांव, भारत समेत ये पड़ोसी देश भी तैयारी में जुटे
ताइवान से लेकर बंगाल की खाड़ी तक… चीन पसार रहा अपने पांव, भारत समेत ये पड़ोसी देश भी तैयारी में जुटे

ताइवान के पास चीन ने फिर अपनी ताकत दिखाकर सबको चिंता में डाल दिया है. चीन की टाइप 5 एम्फिबियस व्हीकल या वाटर लैंड व्हीकल (Type 05 Amphibious Fighting Vehicles) के वीडियो ने दुनिया को बता दिया कि बीजिंग ताइवान को समुद्र के रास्ते घेरने की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ रहा. ये गाड़ियां जमीन और पानी में चलकर सैनिकों को तटीय इलाकों में उतारने के लिए बनी हैं. हाल ही में जॉइंट स्वॉर्ड-2024A जैसे बड़े युद्धाभ्यास भी इसी रणनीति का हिस्सा हैं, जिसमें चीन ने ये ताकत और खुलकर दिखाई है.

लेकिन ताइवान भी डरने वाला नहीं है. उसने अपनी पॉर्क्यूपाइन डिफेंस स्ट्रैटेजी यानी कांटों वाली रक्षा नीति के तहत समुद्र में माइन्स बिछाकर चीन के एम्फिबियस व्हीकल को रोकने की तैयारी कर ली है, जिसमें भारी गाड़ियों को माइन्स से बड़ा खतरा हो सकता है.

अब बंगाल की खाड़ी में चीन की संदिग्ध हरकत

चीन सिर्फ ताइवान तक ही नहीं रुका है.हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में भी उसकी संदिग्ध गतिविधियां फिर से दिखने लगी हैं. हाल ही में एक चीनी रिसर्च शिप ने यहां 16 दिन तक अपना AIS सिस्टम बंद रखा. सूत्रों के मुताबिक ये पोत समुद्र के अंदर की जानकारी जुटाकर भविष्य में पनडुब्बियों के लिए रास्ता बना रहा था.

यूएस नेवल वॉर कॉलेज की 2023 की रिपोर्ट पहले ही चेतावनी दे चुकी है कि चीन अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस को लेकर अपनी क्षमता तेजी से बढ़ा रहा है. फ्रांसीसी समुद्री निगरानी फर्म Unseen labs ने भी 2021 में कहा था कि इस तरह AIS बंद कर जहाज चलाना गुप्त सैन्य और जासूसी गतिविधियों का हिस्सा होता है.

पहले भी कई बार पकड़ी गई चीन की चाल

ये कोई पहली बार नहीं है. चीन के शी यान-1, शी यान-6 और युआन वांग-5 जैसे जहाज पहले भी भारत के आसपास पकड़े जा चुके हैं. खास बात ये है कि चीन बांग्लादेश के बंदरगाहों में भी बड़ा निवेश कर चुका है, जिससे उसे अपनी जासूसी और लॉजिस्टिक बेस मजबूत करने में मदद मिल रही है:

दिसंबर 2019 शी यान-1: चीन का शोध पोत Shi Yan-1 बंगाल की खाड़ी में बिना इजाजत घुस आया था. भारतीय नौसेना ने इसे तुरंत इलाके से बाहर निकलने को मजबूर किया था. यह पोत भी समुद्र तल की भौगोलिक जानकारी जुटा रहा था, जिससे चीन को पनडुब्बियों के संचालन में मदद मिल सके.

सितंबर 2022 युआन वांग-5: चीन का ट्रैकिंग जहाज Yuan Wang-5 श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह पर रुका था. यह जहाज उपग्रह और मिसाइलों की ट्रैकिंग करने में सक्षम है. भारत ने इस पर आपत्ति जताई थी क्योंकि यह जहाज भारतीय मिसाइल परीक्षणों और नौसेना की गतिविधियों की जासूसी कर सकता था.

जनवरी 2024 शी यान-6: चीन का एक और रिसर्च वेसल Shi Yan-6 अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के पास देखे जाने की रिपोर्टें आई थीं. इसे भी भारतीय नौसेना ने ट्रैक किया और नजर रखी थी.

बांग्लादेश एंगल क्यों अहम?

चीन ने बीते कुछ सालों में बांग्लादेश में बंदरगाहों और समुद्री आधारभूत ढांचे में बड़ा निवेश किया है. खासकर चटगांव और मोंगला पोर्ट के विस्तार में चीन की बड़ी भूमिका है. इससे चीन को इस क्षेत्र में लॉजिस्टिक बेस बनाने में मदद मिलती है और वह अपने जहाजों को ईंधन भरने और मरम्मत के बहाने लंबे वक्त तक बंगाल की खाड़ी में मौजूद रख सकता है. सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बांग्लादेश ने चीन को खुली छूट दी तो यह भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है.

भारत की कड़ी नजर

भारत भी इस पूरे खेल को भली-भांति समझ चुका है. भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड लगातार निगरानी बढ़ा रहे हैं. कई बार चीनी जहाजों को वापस भेजा भी गया है. साथ ही भारत अपने पड़ोसी बांग्लादेश से भी बातचीत तेज कर रहा है ताकि चीन को ज्यादा छूट न मिल सके.

क्या संकेत मिल रहे हैं?

ये साफ है कि चीन अब सिर्फ ताइवान ही नहीं, बल्कि भारत समेत पूरे पड़ोस को दबाव में रखने की रणनीति पर काम कर रहा है, पर अच्छी बात ये है कि ताइवान हो या भारत दोनों ही अपने-अपने तरीके से चीन की दादागिरी को जवाब देने की तैयारी में जुटे हैं. अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में ये समुद्री लड़ाई और कितनी गहराई तक जाएगी.

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