संचार की प्रक्रिया क्या होती है 

संचार की प्रक्रिया क्या होती है, what is the process of communication,  

Jan 24, 2025 - 05:53
Jan 24, 2025 - 05:59
 0
संचार की प्रक्रिया क्या होती है 

संचार की प्रक्रिया क्या होती है 

पत्र का पढ़ना और टेलीफोन पर बातचीत करना संचार है। टेलीफोन तथा रेडियो दोनों से संचार होता है। भाषण भी अपने आप में संचार है। इस प्रकार हम देखते हैं कि संदेश पहुँचाना और सूचना प्राप्त करना ही संचार है। संचार की अवधारणा के विषय में यही कहा जा सकता है कि प्राणी की उत्पत्ति के समय से ही संचार प्रारम्भ हुआ।

संचार पशु-पक्षी भी करते हैं परन्तु मनुष्य से उनका संचार अलग है। पक्षियों की चहक, मधुमक्खियों का गुंजार तथा गाय-भैसों का रंभाना भी संचार है। चूँकि मनुष्य जीवों में श्रेष्ठ है इसलिए उसमें संचार की विशिष्ट योग्यता है।

 यह योग्यता प्राप्त करने के लिए मनुष्य को लाखों वर्ष व्यतीत करने पड़े हैं। यह कल्पना ही की जा सकती है कि अपने आदिम अवस्था में वह अपने विचारों को एक दूसरे तक किस तरह से पहुँचाता रहा होगा। भाषा वैज्ञानिकों की कल्पना के अनुसार सर्वप्रथम मनुष्य ने अपने विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम चित्रों को फिर संकेतों को बनाया।

 पश्चात् ध्वनि के अनुसार स्वर व व्यंजनों की रचना की। इस प्रकार स्वर-व्यंजनों के योग से एक मानक भाषा की खोज हुई।

 इससे यह स्पष्ट है कि सर्वप्रथम मनुष्य ने बोलना सीखा। उसके बाद लिखना सीखा। निश्चय ही इस भाषिक विकास में बहुत समय लगा होगा, तब कहीं जाकर मनुष्य संचार की विशिष्ट श्रेणी में आया। वैचारिक अभिव्यक्ति और जिज्ञासाओं का आपसी आदान-प्रदान ही संचार का मुख्य उद्देश्य है। अमेरिकी विद्वान् पर्सिंग के अनुसार मानव संचार के निम्नांकित छः घटक हैं

-1. सर्पिल या कुंडलीदार प्रक्रिया

2. कार्य-व्यापार

3. अर्थ

. प्रतीकात्मक क्रिया या व्यवहार

5. प्रेषण तथा ग्रहण करने से जुड़े सभी तत्त्व

6. लिखित,

मौखिक एवं शब्द सहित संदेश संदेश भेजने वाला प्रेषक और प्राप्त करने वाला प्राप्तकर्त्ता कहलाता है। दोनों के बीच एक माध्यम होता है, जिसके द्वारा प्रेषक का संदेश प्राप्तकर्ता के पास पहुँचता है और उसके दिलदिमाग को प्रभावित करता है। अतः संचार प्रक्रिया का प्रथम सोपान प्रेषक है इसको 'एनकोडिंग' भी कहते हैं। एनकोडिंग के पश्चात् विचार शब्दों, प्रतीकों, चिह्नों और संकेतों में परिवर्तित हो जाते हैं। अनन्तर इस प्रक्रिया का विचार सार्थक संदेश का रूप ग्रहण कर लेता है। प्राप्तकर्ता के मस्तिष्क में जब उक्त संदेश पूरी तरह ढल जाता है तो उसे 'डिकोडिंग' कहते हैं। प्राप्तकर्त्ता उक्त संदेश का अर्थ समझकर जब अपनी प्रतिक्रिया प्रेषक को प्रेषित करता है तो यह प्रक्रिया 'फीडबैक' कहलाती है। इस प्रकार संदेश के लिए निम्न पाँच प्रश्नों का उत्तर जानना अति आवश्यक है

 -1. कौन कहता है?

2. क्या कहता है?

3. किस माध्यम से कहता है?

 4. किससे कहता है?

5. किस प्रभाव के साथ कहता है? स्रोत प्रेषक एनकोडर संदेश संचार-प्रक्रिया डीकोडर प्राप्तकर्त्ता संदेश देने का कार्य पहले ढोल-नगाड़े बजाकर, हाथी घोड़े पर बैठकर अथवा पैदल चलकर किया जाता था, किंतु आदमी के सोच परिवर्तन के साथ ही साथ संदेश देने के साधनों में भी परिवर्तन आया। पुराने साधन धीरे-धीरे समाप्त हो गए और उनकी जगह रेल एवं मोटरगाड़ियों ने

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,