Canada: क्या अब नहीं चलेगी खालिस्तानी मनमानी! ब्रेम्पटन में लागू हुए नए कानून के मायने क्या?

कुछ दिन पहले हिंसक खालिस्तानी तत्वों ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कथित इशारे पर भारत और हिन्दू विरोधी प्रदर्शन का स्वांग रचते हुए एक​ मंदिर के गेट के सामने नारेबाजी की थी और मंदिर में आने—जाने वाले हिन्दुओं पर डंडों से हमला किया किया। बिना किसी उकसावे के किया गया वह हमला संभवत: त्रूदो […]

Nov 23, 2024 - 10:02
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कुछ दिन पहले हिंसक खालिस्तानी तत्वों ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कथित इशारे पर भारत और हिन्दू विरोधी प्रदर्शन का स्वांग रचते हुए एक​ मंदिर के गेट के सामने नारेबाजी की थी और मंदिर में आने—जाने वाले हिन्दुओं पर डंडों से हमला किया किया। बिना किसी उकसावे के किया गया वह हमला संभवत: त्रूदो की पुलिस की मिलीभगत से किया गया था। कारण यह कि न सिर्फ उस प्रदर्शन में पुलिस का एक सिख सिपाही खुद शामिल था, बल्कि हिंसक खालिस्तानियों को रोकने के बजाए पुलिस हिन्दुओं के साथ ही धक्कामुक्की कर रही थी और उन पर लाठियां भांज रही थी।


कनाडा में खालिस्तानियों का सरकार की शह पर तेजी से फैलते जहर का एक चिंताजनक नजारा गत दिनों वहां ब्रेम्पटन शहर में दिखा था। वहां एक मंदिर के बाहर जमा होकर पाकिस्तान के पिट्ठू हिंसक खालिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा मचाई थी और अनेक हिन्दू श्रद्धालुओं को घायल किया था। कनाडा की पुलिस उनकी हिंसा को मूक दर्शक बनकर देखती रही थी और उलटे हिन्दुओं को ही खदेड़ रही थी, उन पर डंडे बरसा रही थी।

लेकिन अब स्थानीय प्रशासन ने ब्रेम्पटन शहर के अंदर सभी धार्मिक स्थलों को लेकर एक कानून पारित किया है। इस कानून में व्यवस्था है कि कोई भी जलूस, विरोध प्रदर्शन आदि किसी उपासना स्थल के 100 मीटर के दायरे में अंदर करना गैरकानूनी माना जाएगा।

हिंसक प्रदर्शन में शामिल था कनाडा पुलिस का सिपाही हरिन्दर सोही

इस नए कानून से खालिस्तानियों के आएदिन के हिंसक पैंतरों से आहत हिन्दू समुदाय में राहत की उम्मीद तो जगी है लेकिन उनके अंदर एक संशय भी है। संशय यह है कि देश के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो ने जिस प्रकार से, अपनी कुर्सी बचाने की खातिर खालिस्तानियों के सामने हथियार डाले हुए हैं, उसे देखते हुए अभी कहा नहीं जा सकता कि इस कानून को किस हद तक असरदार बनाया जा सकेगा। कारण यह कि ब्रेम्पटन शहर में खालिस्तानी तत्वों की अच्छी—खासी उपस्थिति है, जो प्रशासन को अपनी कठपुतली मानते हैं।

लेकिन वहां के नागरिकों का एक बड़ा वर्ग है जो इस कानून को सख्ती से लागू करने की मांग कर रहा है। सिर्फ हिन्दू ही नहीं, इलाके के अन्य सभ्य जन भी चाहते हैं कि खालिस्तानी तत्वों की आएदिन की हिंसा पर प्रभावी लगाम लगाई जानी चाहिए।

अभी कुछ दिन पहले हिंसक खालिस्तानी तत्वों ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कथित इशारे पर भारत और हिन्दू विरोधी प्रदर्शन का स्वांग रचते हुए एक​ मंदिर के गेट के सामने नारेबाजी की थी और मंदिर में आने—जाने वाले हिन्दुओं पर डंडों से हमला किया किया। बिना किसी उकसावे के किया गया वह हमला संभवत: त्रूदो की पुलिस की मिलीभगत से किया गया था। कारण यह कि न सिर्फ उस प्रदर्शन में पुलिस का एक सिख सिपाही खुद शामिल था, बल्कि हिंसक खालिस्तानियों को रोकने के बजाए पुलिस हिन्दुओं के साथ ही धक्कामुक्की कर रही थी और उन पर लाठियां भांज रही थी।

प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो ने खालिस्तानियों के सामने हथियार डाले हुए हैं

कनाडा पुलिस की उस हरकत का दुनियाभर में तीखा विरोध हुआ था और प्रधानमंत्री त्रूदो की अपरिपक्वता की भर्त्सना की गई थी। लेकिन अगर स्थानीय प्रशासन का नया कानून उस स्थिति में कुछ सुधार लाने में सफल रहा तभी पुलिस की साख बरकरार रह पाएगी।

नए कानून में जो पांथिक स्थल से 100 मीटर दायरे के बाहर से प्रदर्शन की अनुमति दी गई है उसका निर्धारण फिर उन्हीं पुलिसकर्मियों के हाथ में होगा, जो खुद खालिस्तान के मोहजाल में फंसी है। ऐसे में निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए जाएंगे।

अब बना कानून यह भी कहता है कि अगर कोई किसी उपासना स्थल के 100 मीटर के अंदर धरना प्रदर्शन करता पाया गया तो उसे दंड भोगना पड़ेगा। दंड के तौर पर इस कानून में लगभग 42 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह जुर्माना अपराध के अनुसार बढ़कर लगभग 84 लाख रुपए तक का हो सकता है।

पुलिस कह तो रही है कि नया कानून सख्ती से लागू किया जाएगा और इसका उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन बात फिर प्रधानमंत्री त्रूदो तक आती है कि वे कब भारत विरोध के खालिस्तानी एजेंडे पर चलते रहेंगे और कनाडा का नुकसान करते रहेंगे?

यहां यह जानना भी जरूरी है कि खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या के बाद से ही प्रधानमंत्री त्रूदो खालिस्तानी तत्वों के कथित इशारे पर भारत और भारत की मोदी सरकार को हत्याकांड में शामिल बताकर बदनाम करते आ रहे हैं। भारत ने राजनयिक स्तर पर इसका कड़ा विरोध किया है। अब जाकर कनाडा सरकार के तेवर भी ढीले पड़ते दिख रहे हैं। कनाडा के विपक्षी नेता भी त्रूदो से आरोप साबित करने अथवा कुर्सी छोड़ने का दबाव बनाते आ रहे हैं।

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