बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि रेड कॉर्नर नोटिस गिरफ्तारी का वारंट नहीं होता,

अगस्त में हसीना सरकार विरोधी ‘छात्र आंदोलन’ में बड़ी संख्या में आम जन मारे गए थे। सैकड़ों पुलिस ओर सेना की कार्रवाई में घायल हुए थे। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की सरकार द्वारा उस प्रकरण में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना तथा उनकी पार्टी अवामी लीग के अनेक वरिष्ठ नेताओं के विरुद्ध अपराध, नरसंहार आदि से […]

Nov 14, 2024 - 09:50
Nov 14, 2024 - 21:46
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बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि रेड कॉर्नर नोटिस गिरफ्तारी का वारंट नहीं होता,

अगस्त में हसीना सरकार विरोधी ‘छात्र आंदोलन’ में बड़ी संख्या में आम जन मारे गए थे। सैकड़ों पुलिस ओर सेना की कार्रवाई में घायल हुए थे। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की सरकार द्वारा उस प्रकरण में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना तथा उनकी पार्टी अवामी लीग के अनेक वरिष्ठ नेताओं के विरुद्ध अपराध, नरसंहार आदि से जुड़ी लगभग 60 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।


बांग्लादेश में कट्टर मजहबियों के इशारों पर नाच रही मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर इस वक्त जबरदस्त दबाव है कि वे कैसे भी हसीना की गिरफ्तारी का माहौल बनाएं। इसके लिए अब इंटरपोल के माध्यम से रेडकॉर्नर नोटिस जारी करनवाने की कवायद तेज हो चुकी है। आंदोलनकारी छात्रों की आड़ में पाकिस्तान की आईएसआई से कथित तौर पर संचालित हो रही कट्टर मौलानाओं की पार्टी बीएनपी कैसे भी हसीना को गिरफ्तार करवाने पर तुली है।

अगस्त में हसीना सरकार विरोधी ‘छात्र आंदोलन’ में बड़ी संख्या में आम जन मारे गए थे। सैकड़ों पुलिस ओर सेना की कार्रवाई में घायल हुए थे। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की सरकार द्वारा उस प्रकरण में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना तथा उनकी पार्टी अवामी लीग के अनेक वरिष्ठ नेताओं के विरुद्ध अपराध, नरसंहार आदि से जुड़ी लगभग 60 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

इन ‘अपराधों’ की सुनवाई के लिए राजनीतिक शरण में रह रहीं हसीना को बांग्लादेश वापस लाने की मांग वहां जोर पकड़ती जा रही है। इस परिस्थिति में शेख हसीना के लिए परेशानियां बढ़ सकती हैं। यूनुस सरकार की ओर से अब इंटरपोल का सहारा लेने की तैयारी हो चुकी है। संभव है बांग्लादेश की वर्तमान अंतरिम सरकार कट्टरपंथी तत्वों के दबाव में इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जल्दी से जल्दी जारी करने की अपील करे।

उस पड़ोसी इस्लामी देश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने इस बाबत पुलिस महानिरीक्षक मोहम्मद मोइनुल इस्लाम को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में लिखा है कि पुलिस महानिरीक्षक पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी पार्टी सहयोगियों को पकडने के लिए इंटरपोल से बात करके उससे रेडकार्नर नोटिस जारी करावाए।

कट्टर इस्लामी तत्वों के हाथों बर्बाद हो रहे बांग्लादेश की यूनुस सरकार में कानून मामलों के सलाहकार आसिफ नजरुल तो विश्वास में भरकर बोल रहे हैं कि बहुत जल्दी शेख हसीना और उनके सहयोगियों के विरुद्ध इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस जारी होने वाला है। ये दुनिया में कहीं भी हों, इन्हें वापस लौटने को मजबूर किया जाएगा। इनके खिलाफ अदालती कार्रवाई चलेगी।

बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि रेड कॉर्नर नोटिस गिरफ्तारी का वारंट नहीं होता, यह तो कानून लागू करने वाली एजेंसियों से अपील की तरह होता है जिससे वे कानूनी कार्रवाई से बच रहे व्यक्ति को ढूंढकर कुछ वक्त के लिए गिरफ्तार करें।

दिलचस्प बात है कि उस इस्लामी देश में हसीना सरकार ने ही साल 2010 में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण गठित किया था। तब इसका उद्देश्य था 1971 के मुक्ति संग्राम में धोखा देने वाले अपराधियों पर कानूनी कार्रवाई करना। इस प्रक्रिया से जमाते इस्लामी के छह और शेख हसीना की विरोधी खालिदा जिया की बीएनपी पार्टी के नेताओं को फांसी दी गई थी।

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