स्वामी दयानंद सरस्वती के 200 जन्मवर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित गोष्ठी की रिपोर्ट
गौतम बुद्ध नगर जिले, राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ, ने आज जी एन आईटी, ग्रेटर नोएडा में स्थित होने वाले एक गोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें श्री वेदपाल जी मुख्य वक्ता रहे।
गोष्ठी में श्री वेदपाल जी ने स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन, कार्य, और उनके दृढ़संकल्प पर व्याख्यान दिया। उन्होंने महर्षि दयानंद जी के बचपन से ही उनके धर्म और पूजा पाठ के प्रति जिज्ञासा को बताया और उनकी जीवन यात्रा में घटित घटनाओं का विवरण किया।
श्री वेदपाल जी ने बताया कि स्वामी दयानंद जी ने ब्रह्मचर्य की दीक्षा लेने के बाद भी परिवार द्वारा उनके इस निर्णय का विरोध किया और उन्होंने अपने जीवन में अनेक धार्मिक स्थानों का भ्रमण किया।
ग्रंथों का सार बनाने के लिए गुरु बिरजानंद जी से शिक्षा लेने के बारे में बताते हुए, वेदपाल जी ने इस दिन को स्मरणीय बनाया कि स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ और सभी वेदों का भाष्य लिखा।
गोष्ठी में स्वामी जी के प्रयास से शुद्धि आन्दोलन का स्थापना हुआ जिससे धर्मांतरित हिंदू अपने समाज में वापस आ सकते थे। उन्होंने हिंदू समाज को एक पहचान आर्य के रूप में बताने की बात की और अंग्रेजों के शासन के खिलाफ उनके दृढ़संकल्प का उल्लेख किया।
गोष्ठी में विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों से आए सज्जन शक्तियों ने भी भाग लिया, जिनमें मातृ शक्ति की भी अच्छी संख्या में उपस्थिति थी। जी एन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के चेयरमैन, श्री विशन लाल गुप्ता जी ने मूर्ति पूजा के संदर्भ में विचार रखते हुए ब्रह्मयज्ञ की चर्चा की।
गोष्ठी के समापन में वेदपाल जी ने समाज को सत्य, न्याय, और धर्म की ओर प्रेरित करने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती के आदर्शों को अपनाने की बात कही और सभी को उनके चरित्र बल को सर्वोपरि मानने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में श्रीमान महेंद्र जी, सुशील जी, नौरंग जी और सभी संघ के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ने इस घड़ी को गरिमामयी बनाया और गोष्ठी को एक विशेष और सार्थक रूप में समाप्त किया गया।