राष्ट्रपति का चुनाव प्रक्रिया और मतदाता

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Oct 14, 2024 - 06:16
Oct 14, 2024 - 06:26
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राष्ट्रपति का चुनाव: प्रक्रिया और मतदाता

भारत के राष्ट्रपति का पद सबसे उच्च और सम्मानित संवैधानिक पदों में से एक है। भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रथम नागरिक होता है और वह भारतीय गणराज्य का प्रमुख होता है। राष्ट्रपति का चुनाव एक विशिष्ट प्रक्रिया के तहत होता है, जो संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा मिलकर की जाती है। इस ब्लॉग में हम राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया, मतदाता, और इसकी महत्वपूर्ण शर्तों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 54 और 55 के तहत, राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है। राष्ट्रपति को जनता सीधे वोट नहीं करती, बल्कि उनका चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है। यह मंडल संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्यों और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों से मिलकर बनता है।

1. निर्वाचक मंडल (Electoral College):

राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचन मंडल निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनता है:

  • संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य।
  • सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।
  • केंद्र शासित प्रदेशों जैसे दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विधान परिषदों (Legislative Councils) के सदस्य और संसद तथा विधानसभाओं के नामांकित सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते। केवल निर्वाचित सदस्य ही इस प्रक्रिया में भाग लेते हैं।

2. मतदान की प्रणाली:

राष्ट्रपति का चुनाव प्रति-आकर्षक मत (Proportional Representation) की प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote) के माध्यम से होता है। यह प्रणाली इस बात को सुनिश्चित करती है कि चुनाव निष्पक्ष और संतुलित हो। मतदान के समय, प्रत्येक मतदाता को उम्मीदवारों के नामों की वरीयता क्रम में सूचीबद्ध करने का अधिकार होता है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख बातें ध्यान देने योग्य हैं:

  • प्रति-आकर्षक मत प्रणाली: प्रत्येक मतदाता को अपने वोट का महत्व (value of vote) होता है। सांसदों और विधायकों के वोटों का मूल्य अलग-अलग होता है। सांसदों का वोट पूरे देश में समान होता है, जबकि विधायकों का वोट उनके राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है।
  • एकल संक्रमणीय मत प्रणाली: इसका अर्थ यह है कि मतदाता केवल एक बार वोट डालता है, लेकिन वह अपनी वरीयता के आधार पर उम्मीदवारों को रैंक कर सकता है।

3. मतों का मूल्यांकन (Value of Votes):

राष्ट्रपति चुनाव में सांसद और विधायकों के मतों का मूल्य अलग-अलग होता है। यह मूल्य जनसंख्या के अनुपात में निर्धारित किया जाता है। वोटों के मूल्य का निर्धारण निम्नलिखित तरीके से होता है:

  • विधायकों के मत का मूल्य: किसी राज्य के प्रत्येक विधायक के मत का मूल्य उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय किया जाता है। इसका निर्धारण निम्नलिखित फॉर्मूला से किया जाता है:

विधायकोंकेमतकामूल्य=राज्य की कुल जनसंख्याराज्य के निर्वाचित विधायकों की संख्या÷1000विधायकों के मत का मूल्य = \frac{\text{राज्य की कुल जनसंख्या}}{\text{राज्य के निर्वाचित विधायकों की संख्या}} \div 1000विधायकोंकेमतकामूल्य=राज्य के निर्वाचित विधायकों की संख्याराज्य की कुल जनसंख्या​÷1000

उदाहरण के लिए, यदि किसी राज्य की जनसंख्या 50 लाख है और राज्य में 100 निर्वाचित विधायक हैं, तो हर विधायक का वोट मूल्य 500 होगा।

  • सांसदों के मत का मूल्य: सभी निर्वाचित सांसदों (लोकसभा और राज्यसभा) के मतों का मूल्य समान होता है। इसका मूल्य तय करने के लिए, सभी राज्यों के विधायकों के कुल मतों के मूल्य को संसद के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से विभाजित किया जाता है। यह गणना सुनिश्चित करती है कि सांसदों और विधायकों के वोटों का संतुलन बना रहे।

4. मतदान की प्रक्रिया:

  • मतदान के दिन निर्वाचक मंडल के सदस्य अपनी-अपनी संसद या विधानसभा में जाते हैं, जहाँ मतदान होता है।
  • मतदाताओं को एक मतपत्र (ballot paper) दिया जाता है, जिस पर उम्मीदवारों के नाम अंकित होते हैं।
  • मतदाता अपने मतपत्र पर उम्मीदवारों के नाम वरीयता क्रम में अंकित करते हैं।
  • मतपत्रों को गोपनीयता के तहत भरा जाता है, और इसे 'गोपनीय मतदान' कहा जाता है।

5. गणना की प्रक्रिया:

मतों की गणना विशेष प्रक्रिया के तहत की जाती है। पहले प्रत्येक उम्मीदवार के प्रथम वरीयता के मतों की गिनती की जाती है। यदि कोई उम्मीदवार प्रथम वरीयता के मतों में बहुमत (कुल वैध मतों का 50% से अधिक) प्राप्त करता है, तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है।

यदि कोई उम्मीदवार बहुमत प्राप्त नहीं करता, तो सबसे कम वरीयता प्राप्त उम्मीदवार को हटा दिया जाता है, और उसके मतों को दूसरी वरीयता के अनुसार अन्य उम्मीदवारों में स्थानांतरित किया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि किसी उम्मीदवार को बहुमत प्राप्त नहीं हो जाता।

कौन राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बन सकता है?

राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए कुछ योग्यता और शर्तें होती हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 में निर्दिष्ट की गई हैं:

  1. उम्मीदवार की आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
  2. उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए।
  3. उम्मीदवार राज्यसभा या लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।
  4. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को किसी लाभकारी पद पर नहीं होना चाहिए। हालाँकि, केंद्र सरकार या राज्य सरकार के मंत्री, किसी राज्य के राज्यपाल, या भारत के उपराष्ट्रपति को लाभकारी पद पर नहीं माना जाता है, और वे उम्मीदवार हो सकते हैं।

राष्ट्रपति चुनाव की अहमियत

राष्ट्रपति का चुनाव भारतीय लोकतंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति भारतीय संविधान की सुरक्षा और पालन सुनिश्चित करते हैं, और संसद के कानूनों पर अपनी सहमति प्रदान करके उन्हें लागू करते हैं। आपातकाल की स्थिति में राष्ट्रपति को विशेष शक्तियाँ दी जाती हैं, जो देश की सुरक्षा और शांति बनाए रखने में मददगार होती हैं।

राष्ट्रपति चुनाव एक जटिल लेकिन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो भारत के संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है। इस चुनाव में संसद और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। भारत के संविधान के तहत, यह सुनिश्चित किया गया है कि राष्ट्रपति का चुनाव निष्पक्षता और संतुलन के साथ हो, जिससे सभी राज्यों और केंद्र की संसद को समान रूप से प्रतिनिधित्व मिले।

यह प्रक्रिया भारतीय लोकतंत्र की विशिष्टता को प्रदर्शित करती है, जिसमें राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा की जाती है, न कि सीधे जनता द्वारा।

 

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