छठी कक्षा से शुरू होगी कौशल विकास की शिक्षा: एनसीईआरटी ने जारी की नई पाठ्य पुस्तक 'कौशल बोध'
एनईपी 2020 के तहत बच्चों को हुनरमंद बनाने की दिशा में बड़ी पहल, स्कूलों को नई पाठ्य पुस्तकें अपनाने की सलाह
छठी कक्षा से शुरू होगी कौशल विकास की शिक्षा: एनसीईआरटी ने जारी की नई पाठ्य पुस्तक 'कौशल बोध'
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत बच्चों को छठी कक्षा से ही कौशल विकास की शिक्षा देने का सपना अब हकीकत बनने जा रहा है। एनसीईआरटी ने इस उद्देश्य से 'कौशल बोध' नामक नई पाठ्य पुस्तक जारी की है, जिसे देशभर के स्कूलों में अनिवार्य रूप से पढ़ाने की सलाह दी गई है। इस पहल का उद्देश्य है कि बच्चों को शुरुआती स्तर से ही विभिन्न कौशलों से परिचित कराना, ताकि वे आगे चलकर किसी एक क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर सकें।
चार साल पहले एनईपी 2020 के तहत बच्चों को छठी कक्षा से ही कौशल विकास की शिक्षा देने का प्रस्ताव रखा गया था। पिछले साल बाल वाटिका, पहली और दूसरी कक्षा के लिए नई पाठ्य पुस्तकें जारी की गई थीं। इस साल तीसरी और छठी कक्षा की किताबें जारी की गई हैं, हालांकि कुछ पाठ्य पुस्तकों में थोड़ी देरी हुई, लेकिन फिर भी समय पर इन्हें स्कूलों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
पाठ्य पुस्तक की विशेषताएं:'कौशल बोध' के माध्यम से बच्चों को छठी कक्षा से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीनों की कार्यप्रणाली, कृषि, और खिलौनों के निर्माण जैसे विषयों की शिक्षा दी जाएगी। इस पुस्तक का उद्देश्य बच्चों को तकनीकी और व्यावहारिक ज्ञान से जोड़ना है, जो आगे चलकर उनके करियर में मददगार साबित होगा।
मूल्यांकन की प्रक्रिया:एनसीईआरटी ने इस विषय के मूल्यांकन में प्रायोगिक कार्यों को अधिक महत्व देने का सुझाव दिया है। कौशल विकास विषय की लिखित परीक्षा में केवल 10% अंक होंगे, जबकि 90% अंक प्रायोगिक कार्यों और अन्य गतिविधियों पर आधारित होंगे। इसका मकसद बच्चों में वास्तविक कौशल विकास को बढ़ावा देना है, न कि केवल सैद्धांतिक ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करना।
स्कूलों के लिए एडवाइजरी: एनसीईआरटी ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों को एनईपी के तहत तैयार की गई इन नई पाठ्य पुस्तकों को अपनाने की एडवाइजरी जारी की है। साथ ही, शिक्षकों के लिए कौशल विकास की पढ़ाई और उसके मूल्यांकन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण टिप्स भी दिए गए हैं।
एनसीईआरटी की यह पहल बच्चों के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल उन्हें शिक्षा के पारंपरिक ढांचे में बांधे रखेगी, बल्कि उनके भीतर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने की क्षमता को भी विकसित करेगी। इससे वे अपने जीवन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक मजबूत आधार प्राप्त कर सकेंगे।
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