ऑस्ट्रेलिया में दिखी सनातन धर्म की झलक, मेलबर्न, कैनबरा, ब्रिसबेन समेत कई अन्य शहरों में श्रद्धालुओं ने की छठ पूजा

भारत ही नहीं दुनियाभर में रहने वाले भारतीय लोग सनातन धर्म की अलख जगा रहे हैं। एक भारतीय कही भी रहे, लेकिन वो जल्दी अपनी भारतीयता और अपनी पहचान नहीं खोता है। इसी क्रम में ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय के लोगों ने छठ पूजा मनाई। मेलबर्न में भारतीय समुदाय के लोग इतिहास रचते हुए छठ […]

Nov 10, 2024 - 06:01
Nov 10, 2024 - 10:47
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ऑस्ट्रेलिया में दिखी सनातन धर्म की झलक, मेलबर्न, कैनबरा, ब्रिसबेन समेत कई अन्य शहरों में श्रद्धालुओं ने की छठ पूजा

भारत ही नहीं दुनियाभर में रहने वाले भारतीय लोग सनातन धर्म की अलख जगा रहे हैं। एक भारतीय कही भी रहे, लेकिन वो जल्दी अपनी भारतीयता और अपनी पहचान नहीं खोता है। इसी क्रम में ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय के लोगों ने छठ पूजा मनाई। मेलबर्न में भारतीय समुदाय के लोग इतिहास रचते हुए छठ पूजा उत्सव में भारी तादात में सम्मिलित हुए।

ऑस्ट्रेलिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष केवल मेलबर्न के छठ पूजा उत्सव की बात करें तो वहां संध्या अर्घ्य के लिए 1400 से अधिक लोग शामिल हुए। जबकि, सुबह भगवान सूर्य की पूजा के लिए 500 से अधिक लोग इकट्ठे हुए। वैसे तो देखने ये नंबर मामूली लग सकते हैं, लेकिन एक दूसरे देश में यह नंबर अब तक का सबसे बड़ा नंबर है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बिहार-झारखंड सभा के सदस्यों के द्वारा इस वर्ष मेलबर्न, ब्रिसबेन और पर्थ समेत देश के विभिन्न शहरों में छठ पूजा आयोजित की गई।

बिहार झारखंड सभा की मेलबर्न सचिव गरिमा श्रीवास्तव कहती हैं कि इस वर्ष छठ पूजा को धूमधाम से आयोजित कराने में स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस बार युवाओं ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जो कि सीमाओं से परे उनकी भक्ति और सांस्कृतिक गौरव की भावना को दिखाता है। उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की बिहार झारखंड सभा की शुरुआत मेलबर्न से हुई थी, जो कि अब दोनों ही देशों के विभिन्न शहरों में फैल गई है। ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में यह कैनबरा, ब्रिसबेन, सिडनी, एडिलेड, डार्विन, पर्थ, ऑकलैंड और वेलिंगटन जैसे शहरों में फैल गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इन शहरों में भारतीय समुदाय के लोग भारी संख्या में रहते हैं।

गौरतलब है कि छठ पूजा हिन्दुओं का सनातन धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है, जो कि मुख्यतया बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों के साथ-साथ नेपाल में भी मनाया जाता है। साल में दो बार चैत्र और कार्तिक के महीने में भक्त भगवान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना करते हैं।

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