राम से पहले, अनोखी रावण बारात
धर्म और आस्था की नगरी प्रयाग अपने अन्दर आस्था के कई स्वरूपों को समेटे हुई है,यहाँ आस्था का एक ऐसा स्वरुप देखेने को मिलता है जो शायद पूरे विश्व मे कही देखेने को नही मिलेगा.
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प्रयागराज: धर्म और आस्था की नगरी प्रयाग अपने अन्दर आस्था के कई स्वरूपों को समेटे हुई है,यहाँ आस्था का एक ऐसा स्वरुप देखेने को मिलता है जो शायद पूरे विश्व मे कही देखेने को नही मिलेगा. प्रयागराज मे लंका पति रावण की पूजा होती है, साथ ही यही पर रावण की बारात और शोभा यात्रा भी निकाली जाती है।
यह बारात प्रयागराज के भारद्वाज आश्रम से निकलता है, तथा पूरे प्रयागराज मे यह बारात घूमती है, कहते है की रावण एक बहुत बड़ा ज्ञानी पंडित था, और भगवान् राम से एक ब्राहमण की हत्या हुए थी। भारद्वाज मुनि के आदेश पर राम जी ने ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए प्रयागराज के शिवकुटी घाट मे 1 लाख शिवलिंगों की स्थापना की थी, तथा रावण की पूजा भी की थी। और रावण को यह आशीर्वाद दिया था..की कलयुग मे इसी प्रयागराज में उन की पूजा होगी । तब से यह रावण की बारात हर साल निकाली जाती है।
यह बारात कोई आम बारात नही है, बल्कि यह बारात है है परम ज्ञानी और विद्वान् रावण की बारात ...जी हाँ ... रावण की यह बारात अपने आप मे विश्व की एक अनोखी बारात है...जिस मे रावण बडे से हाथी पर बैठ के अपनी बारात मे शामिल होता है....इस बारात मे ढोल नगाडे के साथ रक्षसो का वेष धारण कर के उन के रावण के भक्त और उस के परिवार के लोग बाराती बनते है, साथ ही इस बारात मे, बैंड बाजा, हाथी घोडे,और हजारो की संख्या मे रावण के भक्त भी शामिल होते है, रावण की इस बारात मे रावण के गुरु भगवन शंकर माता पार्वती के साथ शामिल होते है, यह बारात प्रयागराज के भारद्वाज मुनि के आश्रम से होते हुए पूरे शहर मे घूमती है।
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