मुस्लिम आबादी बढ़ने के बाद खंडहर बना मुजफ्फरनगर का 54 साल पुराना शिव मंदिर

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के मोहनलाल लद्दावाला मोहल्ले में एक शिव मंदिर खंडहर अवस्था में पाया गया है, जिसे 54 साल पहले स्थापित किया गया था। यह मंदिर उस समय हिंदू बाहुल्य क्षेत्र में था लेकिन धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी के बढ़ने और साम्प्रदायिक तनाव के कारण हिंदू समाज के लोग यहां से पलायन कर […]

Dec 18, 2024 - 17:33
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मुस्लिम आबादी बढ़ने के बाद खंडहर बना मुजफ्फरनगर का 54 साल पुराना शिव मंदिर

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के मोहनलाल लद्दावाला मोहल्ले में एक शिव मंदिर खंडहर अवस्था में पाया गया है, जिसे 54 साल पहले स्थापित किया गया था। यह मंदिर उस समय हिंदू बाहुल्य क्षेत्र में था लेकिन धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी के बढ़ने और साम्प्रदायिक तनाव के कारण हिंदू समाज के लोग यहां से पलायन कर गए। आज यह मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुका है और अब यहाँ कोई हिंदू पूजा-अर्चना करने के लिए नहीं आता है।

1970 में हुआ था मंदिर का निर्माण

इस मंदिर की स्थापना 1970 में की गई थी, जब इस क्षेत्र में हिंदू आबादी की बहुलता थी। उस समय यह एक शिवालय था, जहाँ नियमित रूप से पूजा अर्चना होती थी। हालांकि, समय के साथ इस इलाके में मुस्लिम आबादी बढ़ी खासकर 1990 के दशक में, जब अयोध्या में राम मंदिर को लेकर विवाद गहरा गया, तो यहां साम्प्रदायिक तनाव बढ़ गया। इससे हिंदू समुदाय के लोग भय के कारण इस मोहल्ले से पलायन करने लगे।

राम मंदिर विवाद के बाद हुए दंगों का असर इस इलाके पर भी पड़ा। स्थानीय हिंदू परिवारों ने इस मोहल्ले को छोड़ने का निर्णय लिया और अपने साथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग और अन्य मूर्तियों को भी ले गए। इसके बाद, मंदिर की स्थिति और भी खस्ता हो गई, क्योंकि मुस्लिम समुदाय की बढ़ती संख्या के कारण यहाँ पूजा-पाठ का माहौल समाप्त हो गया। आज इस मंदिर में ना तो कोई मूर्ति है और ना ही कोई हिंदू श्रद्धालु पूजा के लिए आता है।

इस मंदिर के बारे में अधिक जानकारी देने वाले सुधीर खटीक, जो बीजेपी नेता भी हैं, बताते हैं कि मंदिर की स्थापना के बाद यह एक धार्मिक स्थल के रूप में सक्रिय रहा। लेकिन जब से इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी बढ़ी और स्थानीय सामाजिक परिवेश बदला, तब हिंदू परिवारों को यहाँ रहना मुश्किल हो गया। उनके अनुसार, 1990-91 में ही हिंदू परिवारों ने मंदिर से मूर्तियाँ उठाकर अन्य स्थानों पर स्थापित कर दीं।

मंदिर का खंडहर में तब्दील होना

अब यह मंदिर खंडहर में बदल चुका है। दीवारें टूटी हुई हैं, और मंदिर के आसपास का क्षेत्र वीरान पड़ा है। मंदिर के चारों ओर घास-फूस उगी हुई हैं और यह पूरी तरह से उपेक्षित स्थिति में है। यह स्थल आज स्थानीय लोगों के लिए एक याद के रूप में मौजूद है, लेकिन अब यहां कोई धार्मिक गतिविधियाँ नहीं होतीं।

जब काफी समय तक मंदिर में पूजा-अर्चना नहीं हुई, तो आसपास के लोगों ने इस पर अतिक्रमण करना शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने मंदिर की दीवारों पर अपने घरों के छज्जे निकाल लिए, तो कुछ ने इसे पार्किंग बना लिया। इस वजह से मंदिर खंडहर में बदल गया और उसका आकार सिकुड़ गया।

सुधीर खटीक ने कहा कि वह सरकार से आग्रह करते हैं कि इस मंदिर की पुनर्स्थापना कराई जाए और उसे पहले जैसा बनवाया जाए ताकि यहाँ फिर से पूजा-पाठ शुरू हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हिंदू अपनी संस्कृति और धर्म को भूल जाते हैं, तो राष्ट्र सुरक्षित नहीं रह सकता। राष्ट्र तभी सुरक्षित रहेगा, जब हमारा धर्म सुरक्षित रहेगा।

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