अफगानिस्तान में आए भीषण भूकंप के बाद भारत ने मानवीय आधार पर राहत सामग्री भेजी है। इसमें कंबल, तंबू, दवाइयां, पानी के टैंक, जनरेटर और स्लीपिंग बैग जैसी जरूरी चीजें शामिल हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खुद इस मदद की जानकारी दी। लेकिन जब उन्होंने बताया कि यह राहत सामग्री काबुल से अफगानिस्तान के विभिन्न इलाकों में भेजी जा रही है, तो सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे कि आखिर राहत सामग्री दिल्ली से सीधे क्यों नहीं भेजी गई।

❓ दिल्ली से क्यों नहीं भेजी गई मदद?
इस पर बड़ा कारण सामने आया है –
- पाकिस्तान ने भारत से सीधे सड़क और जमीनी मार्ग से व्यापार और सहायता पर रोक लगा रखी है।
- इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस भी बंद कर दिया है।
- इसका मतलब यह है कि भारत का कोई भी विमान सीधे पाकिस्तान के ऊपर से होकर अफगानिस्तान नहीं जा सकता।
यानी भारत चाहे तो भी न तो सड़क मार्ग से और न ही हवाई मार्ग से सीधे राहत सामग्री भेज सकता है। यही वजह है कि सामग्री को पहले काबुल एयरलिफ्ट किया गया और वहीं से विभिन्न प्रभावित इलाकों तक पहुँचाया गया।

📦 कब-कब भेजी गई राहत सामग्री?
- 1 सितंबर 2025: भारत ने काबुल में 1000 परिवारों के लिए तंबू और 15 टन खाद्य सामग्री भेजी।
- 2 सितंबर 2025: दूसरी खेप में 21 टन राहत सामग्री पहुंचाई गई। इसमें कंबल, तंबू, हाइजीन किट, दवाइयां, जनरेटर, पोर्टेबल वॉटर प्यूरीफायर, स्लीपिंग बैग और अन्य आवश्यक सामान शामिल था।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत हालात पर नजर बनाए हुए है और आने वाले दिनों में और मदद भेजी जाएगी।

🌍 तुर्की और सीरिया से तुलना
सोशल मीडिया यूजर्स सवाल उठा रहे हैं कि जब भारत ने तुर्की और सीरिया में फरवरी 2023 के भूकंप के बाद ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत सीधे दिल्ली से मदद भेजी थी, तो अफगानिस्तान में ऐसा क्यों नहीं किया गया?
इसका जवाब साफ है —
- तुर्की और सीरिया के लिए इंडियन एयरफोर्स के C-17 ग्लोबमास्टर विमान सीधे दिल्ली से उड़ान भरकर अदाना एयरपोर्ट पहुंचे थे।
- लेकिन अफगानिस्तान जाने के लिए पाकिस्तान की बाधाओं के कारण ऐसा संभव नहीं था।

📢 सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
भारत के इस कदम की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है।
- एक यूजर ने लिखा, “भारत हमेशा जरूरतमंदों की मदद करता है, चाहे रास्ते कितने भी मुश्किल क्यों न हों।”
- दूसरे ने कहा, “यह भारत की रणनीतिक सूझबूझ और मानवीय संवेदना का बेहतरीन उदाहरण है।”
- कुछ ने इसे भारत की “मानवता पहले” की सोच बताया।

🔹 नतीजा
इस पूरी घटना से साफ है कि भारत ने पाकिस्तान की रुकावटों के बावजूद अफगानिस्तान तक राहत पहुंचाने का रास्ता निकाला। मुश्किल हालात में भी भारत ने दिखा दिया कि वह अपने पड़ोसियों और जरूरतमंद देशों की मदद करने में कभी पीछे नहीं हटता।