खाली जेब से मुंबई आए पंकज त्रिपाठी बने OTT के बेताज बादशाह

मुंबई: कहते हैं कि असली कलाकार वही है जो संघर्ष से निकलकर अपनी पहचान बनाए। इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण हैं पंकज त्रिपाठी। खेतों में काम करने से लेकर होटल में रूम सर्विस देने तक का सफर तय करने वाले पंकज आज भारतीय सिनेमा और ओटीटी के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं।


बचपन और शिक्षा

पंकज त्रिपाठी का जन्म 5 सितंबर 1976 को बिहार के गोपालगंज जिले के बेलसंड गांव में हुआ। उनके पिता पंडित बनारस तिवारी किसान और पुजारी थे, जबकि मां कुमुद देवी गृहिणी थीं।
गांव के मेलों और नाटकों में लड़की की भूमिका निभाकर उन्होंने बचपन से ही अभिनय की ओर रुझान दिखाया।
पढ़ाई पूरी करने के बाद पंकज पटना गए, जहां उन्होंने होटल मैनेजमेंट कोर्स किया और कुछ समय होटल में काम भी किया। मगर दिल तो अभिनय में ही लगा रहा और इसी जुनून ने उन्हें दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) तक पहुंचाया।


मुंबई का संघर्ष

साल 2004 में एनएसडी से निकलने के बाद, पंकज त्रिपाठी खाली जेब और ढेर सारे सपनों के साथ मुंबई पहुंचे। यहां उन्हें शुरुआती दौर में छोटे-मोटे किरदार ही मिले – कभी वॉचमैन, कभी गुंडा, कभी पुलिसकर्मी।
उन्होंने रन, ओमकारा, अपहरण और धर्म जैसी फिल्मों में छोटे लेकिन असरदार रोल किए।
टीवी सीरियल्स और विज्ञापनों से घर का खर्च चला, मगर पहचान अभी दूर थी।


पहला बड़ा ब्रेक

पंकज को असली पहचान साल 2012 में आई फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर से मिली। ‘सुल्तान’ का उनका किरदार दर्शकों के दिल में बस गया और इसके बाद उनका करियर रफ्तार पकड़ने लगा।


फिल्मी सफर

पंकज त्रिपाठी ने कई चर्चित फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया:

  • फुकरे
  • मसान
  • नील बटे सन्नाटा
  • न्यूटन (राष्ट्रीय पुरस्कार)
  • स्त्री
  • लुका छुपी
  • गुंजन सक्सेना
  • मिमी (राष्ट्रीय पुरस्कार)

ओटीटी के सुपरस्टार

फिल्मों के साथ-साथ पंकज का करियर असली उड़ान ओटीटी पर मिली।

  • मिर्जापुर में “कालीन भैया” का किरदार
  • क्रिमिनल जस्टिस
  • सेक्रेड गेम्स
    इन वेब सीरीज ने उन्हें घर-घर तक पहुंचा दिया और आज उन्हें लोग ओटीटी का बेताज बादशाह मानते हैं।

पंकज त्रिपाठी की खासियत

पंकज त्रिपाठी की सबसे बड़ी ताकत है उनकी सादगी और यथार्थवादी अभिनय। वे स्टारडम से दूर रहकर भी लोगों के दिलों में जगह बना चुके हैं।
उनका मानना है कि कलाकार की असली ताकत उसकी जड़ों से जुड़ाव और किरदार की सच्चाई है।


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