नेशनल टीचर्स अवार्ड 2025: छत्तीसगढ़ की टीचर ने बच्चों के लिए बदल दी गणित की परिभाषा

दुर्ग (छत्तीसगढ़): गणित से बच्चों का डर दूर करना आसान काम नहीं था, लेकिन सरकारी स्कूल की शिक्षिका डॉ. प्रज्ञा सिंह ने इसे संभव कर दिखाया। अपनी अनोखी सोच और समर्पण से उन्होंने बच्चों के लिए गणित को खेल-खेल में सिखाने का तरीका अपनाया। इसी नवाचार और मेहनत के लिए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 (National Teachers’ Award 2025) से सम्मानित किया गया है।


📌 बच्चों का गणित का डर कैसे हुआ दूर

  • डॉ. प्रज्ञा सिंह ने देखा कि बच्चे गणित से घबराते हैं।
  • उन्होंने अपने खर्च पर मजदूर बुलाए, स्कूल को पेंट करवाया और एक मैथ पार्क (Math Park) बनवाया।
  • यहाँ बच्चे खेलों के जरिए गणित सीखते हैं – जैसे लूडो, सांप-सीढ़ी, शतरंज, चेयर रेस, डाइस गेम्स आदि।
  • उन्होंने एडवांस मैथ लैब भी बनाई, जिसमें त्रिभुज, घनाभ, वृत्त जैसी आकृतियों को समझाने के लिए नए-नए Teaching Learning Materials (TLMs) विकसित किए।

📚 गणित और भूविज्ञान का अनोखा मेल

  • डॉ. सिंह भूविज्ञान (Geology) में PhD हैं।
  • उन्होंने भूविज्ञान और गणित को जोड़कर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।
  • उदाहरण: स्कूल में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया ताकि बच्चे मिट्टी की मात्रा, वॉल्यूम और घुमावदार सतह (Curved Surface) जैसी अवधारणाएँ समझ सकें।

👩‍🏫 डॉ. प्रज्ञा सिंह की संघर्षभरी यात्रा

  • बचपन से ही उनका सपना टीचर बनने का था।
  • शादी के बाद 10 साल तक पढ़ाई छूट गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
  • 2008 में बी.एड. किया और उसी साल व्यापम प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा पास की।
  • सबसे पहले हनोडा के प्राथमिक स्कूल में पढ़ाना शुरू किया और बाद में मिडिल स्कूल में नियुक्त हुईं।
  • आज भी वे हनोडा के मिडिल स्कूल में बच्चों को पढ़ा रही हैं।

🌟 बच्चों की सफलता = प्रज्ञा सिंह की जीत

  • उनके नवाचारों से बच्चों ने गणित से डरना बंद कर दिया।
  • अब उनकी कक्षाओं में 100% परीक्षा परिणाम आते हैं।
  • बच्चों का कहना है कि अब गणित खेल जैसा लगने लगा है।

✅ डॉ. प्रज्ञा सिंह की कहानी यह साबित करती है कि यदि शिक्षा में जुनून और नवाचार हो तो बच्चे किसी भी विषय से डरना छोड़ देते हैं।

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