चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सतलोक आश्रम के प्रमुख और स्वयंभू संत रामपाल को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उनके खिलाफ चली सुनवाई में दी गई आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा को निलंबित करने का आदेश पारित किया है। यह मामला उनके आश्रम में अनुयायियों की मौत से जुड़ा हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
साल 2018 में हिसार की एक अदालत ने रामपाल और उनके अनुयायियों को हत्या, बंधक बनाना और आपराधिक साजिश जैसे गंभीर आरोपों में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यह केस 19 नवंबर 2014 को दर्ज हुआ था, जब हिसार जिले के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम में पुलिस और रामपाल के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी।
इस झड़प में चार महिलाओं समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना उस समय पूरे देश में चर्चा का विषय बनी थी।
याचिका पर सुनवाई
रामपाल ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर 2018 में सुनाई गई उम्रकैद की सजा को निलंबित करने की मांग की थी।
इस याचिका पर जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस दीपिंदर सिंह नलवा की खंडपीठ ने सुनवाई की और शुक्रवार को आदेश जारी किया।
राहत के बाद आगे क्या?
हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब रामपाल को राहत जरूर मिली है, लेकिन केस अभी भी लंबित है। अंतिम फैसला आने तक सजा निलंबित रहेगी।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सतलोक आश्रम प्रमुख रामपाल की उम्रकैद की सजा निलंबित की। जानें अनुयायियों की मौत वाले केस का पूरा मामला।
रामपाल सजा निलंबित, सतलोक आश्रम रामपाल, रामपाल हाई कोर्ट फैसला, हिसार बरवाला केस
सतलोक आश्रम प्रमुख रामपाल: विवाद, केस और पूरी घटनाक्रम
1. रामपाल कौन हैं?
- पूरा नाम: रामपाल दास
- जन्म: 8 सितम्बर 1951, गांव धनाणा, जिला हिसार (हरियाणा)
- पेशा: पूर्व में हरियाणा सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर
- सन 2000 के आसपास सरकारी नौकरी छोड़कर ‘सतलोक आश्रम’ की स्थापना की।
- खुद को कबीर पंथ का अनुयायी और संत बताते हैं।
2. विवादों की शुरुआत
रामपाल ने अपने प्रवचनों में कई बार पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं और आर्य समाज की विचारधारा पर सवाल उठाए।
- 2006 में करनाल में सत्यार्थ प्रकाश (आर्य समाज की पुस्तक) पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के कारण रामपाल और अनुयायियों पर केस दर्ज हुआ।
- इसके बाद से ही रामपाल विवादों में रहने लगे।
3. बरवाला आश्रम घटना (2014)
पृष्ठभूमि
- नवंबर 2014 में रामपाल के खिलाफ कोर्ट में पेश न होने के कारण गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ।
- पुलिस ने हिसार जिले के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम को घेर लिया।
झड़प
- पुलिस और अनुयायियों के बीच टकराव हुआ।
- आश्रम में भारी संख्या में अनुयायी, महिलाएँ और बच्चे मौजूद थे।
- झड़प में पांच लोगों की मौत हुई (चार महिलाएँ और एक शिशु)।
- कई लोग घायल भी हुए।
- इस घटना के बाद रामपाल को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
4. केस और सजा
- 2014 की बरवाला घटना को लेकर हत्या, बंधक बनाने और आपराधिक साजिश जैसे गंभीर मामले दर्ज हुए।
- अक्टूबर 2018 में हिसार की कोर्ट ने रामपाल और उनके कुछ अनुयायियों को दो अलग-अलग मामलों में दोषी करार दिया।
- उन्हें आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई गई।
5. हाई कोर्ट का ताज़ा फैसला (2025)
- रामपाल ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सजा निलंबित करने की याचिका दायर की।
- 5 सितम्बर 2025 को जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस दीपिंदर सिंह नलवा की खंडपीठ ने उनकी आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी।
- यानी अंतिम फैसला आने तक रामपाल जेल से बाहर रह सकेंगे।
6. वर्तमान स्थिति
- रामपाल के लाखों अनुयायी हैं, जो उन्हें संत मानते हैं।
- सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर उनके प्रवचन आज भी चलते हैं।
- कई सामाजिक और धार्मिक संगठन उन्हें विवादित संत मानते हैं, जबकि समर्थक उन्हें महान संत बताते हैं।
रामपाल का नाम पिछले दो दशकों से धार्मिक विवादों, कानून-व्यवस्था की घटनाओं और हत्या जैसे गंभीर मामलों से जुड़ा रहा है।
बरवाला घटना (2014) उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा विवाद साबित हुई, जिसके चलते उन्हें उम्रकैद हुई।
अब हाई कोर्ट द्वारा सजा निलंबित किए जाने से उन्हें कानूनी राहत तो मिली है, लेकिन मुकदमे अभी भी जारी हैं।