शहबाज की मौजूदगी में पीएम मोदी की दो टूक, आतंकवाद पर दोहरा मापदंड स्वीकार नहीं मोदी ने कहा- हमें मिलकर आतंकवाद का हर रंग-रूप में विरोध करना होगा, यह मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य संयुक्त घोषणापत्र में आतंकवाद से लड़ने का दृढ संकल्प लिया गया, अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाया जाएगा चीन की बीआरआइ योजना का भारत ने फिर नहीं किया समर्थन, कहा-संप्रभुता का हनन नहीं होना चाहिए
नई दिल्ली आतंकवाद के खिलाफ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ने अभी तक का सबसे कड़ा बयान देते हुए सोमवार को कहा कि आतंकवाद पर दोहरा मापदंड स्वीकार नहीं है। चीन के तियानजिन में शिखर सम्मेलन के दौरान मंच से पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की गईं। साथ ही जारी संयुक्त घोषणापत्र में आतंकवाद से लड़ने का दृढ़ संकल्प लेते हुए कहा गया कि आतंकी घटनाओं के दोषियों पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित हो। इस दौरान पाक पीएम शहबाज शरीफ की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत कोई भी दोहरा रवैया कतई सहन नहीं करने जा रहा। पाकिस्तान समर्थक आतंकी संगठनों की तरह से पहलगाम में निर्दोष भारतीय नागिरकों की हत्या किए जाने की घटना का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यह हमला भारत पर ही नहीं, बल्कि मानवता में विश्वास करने वाले हर देश, हर व्यक्ति को खुली चुनौती था।
मोदी ने सवाल किया ‘क्या कुछ देशों द्वारा आर्तकवाद का खुलेआम समर्थन हमें स्वीकार्य हो सकता है?’ मोदी ने इसके जरिये एससीओ मंच से चीन को भी आईना दिखाया। बैठक के दौरान मोदी
ने शरीफ से दूरी बनाकर रखी। दोनों के बीच किसी तरह के संवाद की कोई सूचना नहीं है।
बाद में एससीओ की तरफ से जब साझा घोषणा पत्र जारी किया गया तो उसमें भी आतंकवाद के मुद्दे पर भारतीय पीएम के रुख का समर्थन किया गया है। घोषणा पत्र में आतंकवाद की कड़ी निंदा
की गई। इसमें कहा गया कि संगठन के सदस्य देश आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए प्रतिबद्ध हैं और आतंकी समूहों का इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है। घोषणा पत्र में दोहरे मापदंडों को खारिज करते हुए आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सीमा पार आतंकियों की
आवाजाही रोकने पर जोर दिया गया। यह आतंकवाद के खिलाफ एससीओ का अभी तक का सबसे सख्त रुख है। मोदी के बाद पाक पीएम शरीफ ने भी अपने भाषण में राज्य प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र किया और कहा कि उनका देशसभी तरह के आतंकवाद की निंदा करता है।
मोदी ने कहा-‘भारत पिछले चार दशकों से निर्मम आतंकवाद का दंश झेल रहा है। कितनी ही माताओं ने अपने बच्चे खोए और कितने बच्चे अनाथ हो गए। हाल ही में, हमने पहलगाम में आतंकवाद का बहुत ही घिनौना रूप देखा। इस दुख की घड़ी में जो मित्र देश हमारे साथ खड़े रहे, मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।
यह हमला केवल भारत की अंतरात्मा पर ही आघात नहीं था, बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले सभी लोगों के लिए खुली चुनौती था।’ मोदी ने अपील की कि हमें स्पष्ट रूप से और एक स्वर में कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई भी दोहरापन स्वीकार्य नहीं होगा। हमें मिलकर आतंकवाद का हर रंग में, हर रूप में, विरोध करना होगा। ये मानवता के प्रति हमारा दायित्व है। पीएम ने स्वदेश लौटने के बाद एससीओ शिखर सम्मेलन को ‘प्रोडक्टिव’ बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा-‘एससीओ सम्मेलन में भाग लिया और विश्व के विभिन्न नेताओं से बातचीत की। वैश्विक मुद्दों पर भारत के रुख को स्पष्ट किया। राष्ट्रपति चिनफिंग, चीनी सरकार और लोगों का इस सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आभार।’
मोदी ने एससीओ को नए अंदाज में किया परिभाषित
प्रधानमंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन के संक्षित नाम ‘एससीओ’ का नया अर्थ पेश किया। उन्होंने कहा कि एससीओ के ‘एस’ का अर्थ है सिक्योरिटी यानी सुरक्षा, ‘सी’ का अर्थ है कनेक्टिविटी यानी संपर्क और ‘ओ’ का अर्थ है आपर्चुनिटी यानी अवसर। मोदी ने कहा-‘मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी राष्ट्र के विकास की नींव हैं। हालांकि, आतंकवाद, अलगाववाद इस राह में बड़ी चुनौतियां बने हुए हैं।’ पीएम ने एससीओ के तहत एक सभ्यता संवाद मंच के निर्माण का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि ऐसा मंच हमें अपनी प्राचीन सभ्यताओं, कला, साहित्य और परंपराओं की समृद्धि को वैश्विक मंच पर साझा करने का अवसर प्रदान करेगा।
मजबूत कनेक्टिविटी से विश्वास व विकास के द्वार भी खुलते हैं: पीएम
कनेक्टिविटी परियोजनाओं के संदर्भ में भारत के पुराने रुख को भी मोदी ने एक बार फिर सामने रखा। उन्होंने कहा कि भारत का हमेशा से यह मत रहा है कि मजबूत कनेक्टिविटी से केवल व्यापार ही नहीं, बल्कि विश्वास और विकास के द्वार भी खुलते हैं। इसी सोच के साथ हम चाबहार पोर्ट और अंतरराष्ट्रीय नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कारिडोर पर काम कर रहे हैं। हमारा मानना है कि कनेक्टिविटी के हर प्रयास में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए। उल्लेखनीय है
कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के जरिए चीन अपनी बीआरआइ योजना (कई देशों को सड़क, रेल मार्ग से जोडने की योजना) को आगे बढ़ा रहा है। इसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक कारिडोर भी है जो गुलाम जम्मू कश्मीर से गुजरता है। भारत इसे अपनी संप्रभुता के हनन के तौर पर देखता है। तियानजिन घोषणा पत्र के मुताबिक एससीओ के 10 सदस्यों में से चीन की बीआरआइ योजना का आठ देशों ने समर्थन किया है। इसमें भारत का नाम शामिल नहीं है।
अमेरिका ने मोदी-चिनफिंग के बाद अब देखा मोदी-पुतिन की दोस्ती का रंग नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
ने सोमवार को तियानजिन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान कहा कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी भारत और रूस हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर चले हैं। दोनों के संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसे ट्रंप प्रशासन के बढ़ते दबाव के बीच भारत की तरह से ‘पुशबैक’ के तौर पर देखा जा रहा है। मोदी और पुतिन के बीच ऊर्जा सहयोग पर भी बात हुई है जो दर्शाती है कि रूस से तेल की खरीद को लेकर भारत अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं करने जा रहा है, जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ मुलाकात के 24 घंटे के बाद मोदी ने पुतिन के साथ यह द्विपक्षीय बैठक की। मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को इस साल के अंत में भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए भी आमंत्रित किया। राष्ट्रपति ने उसे स्वीकार भी किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति की वजह से भारत और अमेरिका के संबंधों में बढ़ते तनाव को देखते हुए मोदी की रूस और चीन की सरकारों के प्रमुखों से मुलाकात को भारत की तरफ से ट्रंप प्रशासन को दिए जाने वाले संकेत के तौर पर लिया जा रहा है। मोदी ने कहा- ‘मैं हमेशा अनुभव करता हूं कि आपसे मिलना मतलब एक यादगार मीटिंग। बहुत सी चीजों की जानकारियों का आदान प्रदान करने का अवसर मिलता है। हम लगातार संपर्क में रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच नियमित रूप से कई उच्च स्तरीय बैठकें भी हुई हैं। इस वर्ष दिसंबर में हमारी 23वीं समिट के लिए 140 करोड़ भारतीय उत्सुकतापूर्वक आपका इंतजार कर रहे हैं।’ पीएम ने कहा कि भारत और रूस हमेशा कठिनतम परिस्थितियों में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं। हमारा ये नजदीकी सहयोग न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए भी अहम हैं।
बैठक के दौरान पुतिन ने कहा-‘भारत और रूस के बीच संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं और यह साझेदारी वैश्विक स्थिरता के लिए जरूरी है।’ उन्होंने भारत को रूस का एक अहम साझीदार बताया और दोनों देशों के बीच सहयोग को और बढ़ाने के साथ कहा कि हमारे रिश्ते बाहरी प्रभावों से अप्रभावित हैं। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि हमने बहुस्तरीय सहयोग स्थापित किया है। व्यापार और आर्थिक संबंध समग्र रूप से सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं। हम अंतरराष्ट्रीय मंच पर यानी यूएन, ब्रिक्स, जी20, और निश्चित रूप से एससीओ में बहुत समन्वय से काम कर रहे हैं। मोदी ने बाद में एक्स पर पोस्ट में पुतिन के साथ बातचीत को उत्कृष्ट बताया।
कहा- ‘हमने व्यापार, उर्वरक, अंतरिक्ष, सुरक्षा और संस्कृति सहित सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग और बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। हमने यूक्रेन में संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान सहित क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर भी चर्चा की। हमारी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनी हुई है।’ विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि दोनों नेताओं के बीच आर्थिक, वित्तीय व ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तार से बात हुई और हाल के समय में इन सभी क्षेत्रों में प्रगति पर संतोष जताया गया है। भारत व रुस के बीच विशेष व रचनात्मक साझेदारी को और ज्यादा मजबूत बनाने को लेकर मोदी और पुतिन ने प्रतिबद्धता जताई।
मोदी ने पुतिन के समक्ष यूक्रेन का मुद्दा उठाया, कहा- जल्द से जल्द युद्ध खत्म कर स्थायी शांति का रास्ता खोजा जाए
मोदी ने पुतिन के सामने यूक्रेन का मुद्दा उठाते हुए कहा- यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के विषय में हम लगातार क्याँ करते रहे हैं। हाल में किए गए शांति के सभी प्रयासों का हम स्वागत करते हैं। हम आशा करते हैं कि सभी पक्ष रचनात्मक तौर पर आगे बढ़ेंगे। संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म करने और स्थायी शांति स्थापित करने का रास्ता खोजना होगा। यह पूरी मानयता की पुकार है। उल्लेखनीय है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात से दो दिन पहले ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलैस्की ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बातचीत की थी। जेलेस्की ने मोदी से आग्रह किया था कि जब वह पुतिन से मुलाकात करें तो उनसे युद्ध विराम पर बात करें।